सोशल मीडिया यूज़र्स द्वारा दावा किया जा रहा है कि अलवर के राजा जयसिंह ने अंग्रेज़ों से अपमान का बदला लेने के लिए रोल्स-रॉयस कार को कचरा उठाने वाली गाड़ी की तरह इस्तेमाल में लगा दिया था।
ओमल कंवर ने फ़ेसबुक पर एक पोस्ट लिख कर दावा किया है कि- अलवर के राजा जयसिंह साधारण वेशभूषा में लंदन की मशहूर कार कंपनी रॉल्स रॉयस के शोरूम पहुंचे। जब उन्होंने सेल्समैन से कार का रेट पूछा तो सेल्समैन ने उन्हें कंगाल, भारत का आम नागरिक समझकर बे-इज़्ज़त करके ‘गेट आउट’ कह दिया। फ़िर राजा जयसिंह ने नौकर से रॉल्स रॉयस के उसी शोरूम को फोन लगवाया कि वो कार ख़रीदने के इच्छुक हैं। कार कंपनी ने उनका स्वागत शानदार स्वागत किया। राजा ने शोरूम में खड़ी सभी छह कारों को खरीदकर उन्हें भारत पहुंचवाने का भुगतान कर दिया। वो कार में स्वयं नहीं बैठे। उन्होंने सभी छह कारों को अलवर नगर पालिका को देने के साथ, आदेश दिया कि हर कार का उपयोग अलवर राज्य में कचरा उठाने के लिए किया जाए। फिर कारों के आगे झाड़ू लगाई गई और शहर का कचरा कार से साफ़ होने लगा। यह ख़बर विश्व भर में आग की तरह फैल गई और रॉल्स रॉयस की इज्ज़त तार-तार होने लगी।…
अख़बार पत्रिका और दैनिक जागरण द्वारा पब्लिश रिपोर्ट में भी बताया गया है कि अलवर के राजा जयसिंह को अंग्रेजों ने बेइज्ज़त कर शोरूम से निकाल दिया था। इसके बाद उन्होंने कार ख़रीदकर उससे अलवर की सडक़ों का कचरा साफ़ कराया।
फ़ैक्ट-चेक
अलवर के राजा जयसिंह द्वारा रोल्स-रॉयस कार को ‘कूड़ा गाड़ी’ की तरह उपयोग किये जाने से जुड़े कुछ ख़ास की-वर्ड की मदद से हमने इंटरनेट पर एक सिंपल सर्च किया, हमें मीडिया हाउसेज़ द्वारा पब्लिश कई रिपोर्ट्स मिलीं। न्यूज़ 18 की वेबसाइट पर हेडलाइन, “क्या सच में महाराजा जय सिंह ने रोल्स रॉयस कार को कूड़ा गाड़ी में बदला था” के तहत पब्लिश एक रिपोर्ट मिली।
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि राजस्थान में जय सिंह के नाम से तीन राजा हुए हैं। जय सिंह प्रथम, जय सिंह द्वितीय और जय सिंह प्रभाकर। जय सिंह प्रथम और जय सिंह द्वितीय आमेर के प्रसिद्ध राजा थे। सवाई जय सिंह द्वितीय ने बाद में जयपुर भी बसाया। वो 03 नवंबर 1688 में पैदा हुए और 21 सितंबर 1743 में उनका निधन हो गया। यहां ध्यानार्थ है कि मोटर से चलने वाले वाहन 1885 से पहले शुरू नहीं हुए थे। पहला मोटर आधारित वाहन कार्ल बेंज ने 1885 में विकसित किया था। रोल्स रॉयस की शुरुआत 1906 में हुई थी। यानि महाराजा जयसिंह द्वितीय के निधन के बाद।
रिपोर्ट के अनुसार ये मामला राजस्थान के एक अन्य महाराजा से जुड़ा है, जिनका पूरा नाम जय सिंह प्रभाकर था। वो अलवर रियासत के महाराजा थे। उनके बारे में कहा जाता है कि शुरू में तो वो अपनी प्रजा का बहुत ख़याल रखते थे। प्रजा की भलाई के लिए उन्होंने बहुत काम किया लेकिन बाद में राज्य के खज़ाने का पैसा बेहिसाब तरीके से अपनी वैभवपूर्ण ज़िदगी पर खर्च करने लगे। उन्हें महंगी कारों का बहुत शौक था।
अलवर के महाराजा जय सिंह प्रभाकर 1920 के दशक में लंदन गए थे। उन्होंने कैज़ुअल इंडियन ड्रेस पहना हुआ था। वो शहर में घूम रहे थे। तभी उन्होंने शोरूम में रोल्स रॉयस कारें देखीं। वो इन कारों के बारे में कुछ जानने के लिए शोरूम के अंदर जाना चाहते थे। अचानक उनकी दिलचस्पी इन कारों के नए मॉडल को खरीदने में हुई। शोरूम के सेल्समैन को वो कोई साधारण शख्स लगे, लिहाज़ा उसने उन्हें अंदर नहीं घुसने दिया।
न्यूज़18 हिंदी ने टेलीग्राफ के हवाले से रिपोर्ट में लिखा है- नाराज़ महाराजा ने रोल्स रॉयस कार डीलरशिप के मैनेजर को बुलाया। उन्होंने उसके सामने अपनी पहचान उजागर की। उन्होंने तब शोरूम में खड़ीं सभी 07 कारों को ख़रीदने का आर्डर दे दिया। उन्होंने ये भी कहा कि इन कारों की डिलिवरी भारत आकर वही सेल्समैन करेगा, जिसने उन्हें शोरूम में अंदर घुसने से रोका था। हालांकि सेल्समैन को अब भी अंदाज़ा नहीं था कि उसने क्या किया है। जब वो राजस्थान में महाराजा के मह़ल में कार डिलीवर करने पहुंचा तो वहां उसने महाराजा को देखा।
महाराजा ने उस सेल्समैन को ज़्यादा तवज्जो दिये बिनाअपने सहायकों से कहा कि हर कार को नगर पालिका में कूड़ा इकट्ठा करने के लिए लगा दिया जाए। ये ख़बर पूरी दुनिया में फैली, जिसने रोल्स रॉयस के ब्रांड और इमेज को तगड़ा झटका दिया। तब कंपनी ने तुरंत अलवर में महाराजा के महल में टेलीग्राम के ज़रिए एक माफीनामा भेजा। साथ ही कंपनी ने उन्हें 07 रोल्स रॉयस कारें मुफ्त में देने का ऑफर दिया। कंपनी ने कहा कि जो कुछ हुआ है, वैसा दोबारा कभी नहीं होगा। तब महाराजा ने वो कारें कूड़ा एकत्र करने के काम से हटवा लीं।
निष्कर्ष
DFRAC के इस फ़ैक्ट-चेक से स्पष्ट है कि अलवर के राजा जयसिंह प्रभाकर ने अंग्रेजों से अपमान का बदला लेने के लिए 07 रोल्स-रॉयस कारों को कचरा उठाने के इस्तेमाल में लगाया था ना कि राजा जय सिंह द्वितीय। राजा जय सिंह द्वितीय अलवर के नहीं आमेर के प्रसिद्ध राजा थे। राजा जय सिंह के नाम से यही राजा जय सिंह द्वितीय मशहूर हैं जिन्होंने बाद में जयपुर भी बसाया था।, इसलिए सोशल मीडिया यूज़र्स द्वारा किया जा रहा दावा भ्रामक है।
दावा : अलवर के राजा जयसिंह ने अंग्रेजों से अपमान का बदला लेने के लिए रोल्स-रॉयस कार को कचरा उठाने के इस्तेमाल में ‘कूड़ा गाड़ी’ गाड़ी बनाया था।
दावाकर्ता: सोशल मीडिया यूज़र्स
फ़ैक्ट चेक: भ्रामक