सोशल मीडिया पर एक पोस्ट तेजी से वायरल हो रहा है। इस पोस्ट को 7 थ्रेड बनाकर उसे शेयर किया गया है। इस पोस्ट में यूजर्स दावा कर रहे हैं कि गाजियाबाद के कैला भट्टा गांव में पहले हिन्दू समुदाय के यादव जाति के कई परिवार रहते थे। जिसके बाद वहां एक मुस्लिम परिवार आया। धीरे-धीरे मुस्लिमों की संख्या बढ़ती गई और हिन्दू कम होते गए।
यूजर्स का दावा कि गांव में एक वक्त ऐसा आया जब मुस्लिम लड़कों की प्रताड़ना और गुंडई से तंग हिन्दू परिवारों को गांव छोड़ना पड़ा। उस गांव में एक भी हिन्दू परिवार नहीं रहता है। इस पोस्ट को जमकर शेयर किया जा रहा है। इस पोस्ट पर अन्य भी कई प्रकार के दावे किए जा रहे हैं।
फैक्ट चेकः
वायरल हो रहे पोस्ट की सत्यता की जांच के लिए हमने सबसे गूगल पर गाजियाबाद के कैला भट्टा गांव के बारे में सर्च किया। हमें दैनिक जागरण में प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट के मुताबिक- “इतिहासकार विघ्नेश कुमार की किताब में कैला भट्ठा की मिट्टी से कनाट प्लेस समेत अन्य सरकारी इमारतों के बनने की बात लिखी है। गाजियाबाद का कैला भट्ठा इलाका मुगलकाल में वर्ष 1740 में बसा था। इसमें कैला गांव की जमीन 52,500 बीघा थी, जो मॉडल टाउन तक फैली थी। इसके अलावा मकनपुर पूरे साहिबाबाद का इकलौता गाव था। कैला गांव के रहने वाले निवासियों का कहना है कि ग्रामीणों को रोजगार देने और शहर को बसाने के लिए कैला गांव के बाहर भट्टे बनाए गए थे।”
इस गांव के बारे में यह भी लिखा है कि- “यह गांव कैला भट्ठा के नाम से मशहूर हो गया था। कैला भट्ठा के लोगों का कहना है कि उन्हें अपनी पुरानी पीढ़ियों से इस बात की जानकारी मिली थी। स्थानीय निवासियों का कहना है कि आबादी बढ़ने पर विकास की राह में आ रहे भट्ठों को तोड़कर वहां अपने मकान बना दिए गए। मरकज मजिस्द के पास वाली जमीन पर भट्ठे बने थे, जिसके मालिक मिर्जा साहब थे, जिन्होंने भट्ठों की देखरेख के लिए इब्बू खां को रखा था। बाद में इब्बू खां ही भट्ठों के मालिक कहलाए थे। आज भी इब्बू खां का परिवार के कुछ सदस्य गाजियाबाद में ही रहते हैं”।
वहीं इस संदर्भ में और ज्यादा जानकारी के लिए हमने कैला भट्टा गांव के रहने वाले एडवोकेट मोहसिन अल्वी को फोन किया। मोहसिन ने बताया कि अभी भी गांव में हिन्दू परिवार रहते हैं, जिसके यादव और दलित सहित कई जातियां हैं। इसलिए सोशल मीडिया पर किया जा रहा दावा गलत है। वहीं कैला भट्टा के पूर्व पार्षद फारूक सेठी ने बताया कि सोशल मीडिया पर किया जा रहा दावा गलत है, यहां शुरु से ही मुस्लिम समुदाय के लोग रहते रहे हैं और रही बात यादव परिवारों की तो अभी भी कई यादव परिवार यहां रहते हैं।
निष्कर्षः
सोशल मीडिया पर कैला भट्टा गांव को लेकर किया जा रहा दावा गलत है। क्योंकि अभी भी गांव में हिन्दू परिवार रहते हैं और इस गांव को जब मुगलों द्वारा बसाया गया था, तब भी मुस्लिम परिवार थे।
दावा- हिन्दूओं ने गांव में बसाया 1 मुस्लिम परिवार, आज मुस्लिम बाहुल्य है गांव, हिन्दू कर पलायन
दावाकर्ता- सोशल मीडिया यूजर्स
फैक्ट चेक- फेक