मौजूदा दौर में मीडिया की गिरती साख अकादमिक और बुद्धिजिवी वर्गों के बीच चर्चा का विषय है। मेनस्ट्रीम मीडिया से फैलती फेक न्यूज, भ्रामक और गलत सूचनाओं ने मीडिया की विश्वनीयता को काफी प्रभावित किया है। न्यूज के नाम पर प्रोपेगैंडा और पीत पत्रकारिता के लिए बदनाम मीडिया द्वारा दी गई सूचनाओं की प्रमाणिकता भी कटघरे में खड़ी हो गई है। सवाल ये भी पैदा होने लगा है कि क्या मीडिया द्वारा दी गई सूचनाएं सत्य हैं? क्योंकि जिस तरह से पोस्ट ट्रूथ जर्नलिज्म या फैक्ट चेक पत्रकारिता ने मेनस्ट्रीम मीडिया और उसके चर्चित तथाकथित पत्रकारों को एक्सपोज किया है, उसने ना सिर्फ इनकी विश्वनीयता को लेकर सवाल उठाए हैं, बल्कि उनकी निष्पक्षता और पत्रकारिता के मापदंड तथा एथिक्स पर भी प्रश्नवाचक चिन्ह लगा दिया है। मीडिया की हालत का अंदाजा कोई ऐसे भी लगा सकता है कि वर्ल्ड प्रेस फ़्रीडम इंडेक्स में 180 देशों में भारत का 150वे स्थान पर है, जो पिछले साल 142वे स्थान पर था। यह इंडेक्स किसी भी देश में मीडिया की आजादी और उनकी निष्पक्षता को दर्शाता है। खुद भारत सरकार के सूचना प्रसारण मंत्रालय द्वारा भारतीय मीडिया की रिपोर्टिंग, भाषा और संवेदनशीलता को लेकर एडवायजरी जारी किया जा चुका है।
इन सबके बीच फैक्ट चेक जर्नलिज्म ने कुछ हद तक मीडिया की साख और विश्वनीयता को बनाए रखने की कोशिश की है, क्योंकि फैक्ट चेकर्स ने ना सिर्फ फेक और भ्रामक सूचनाओं को एक्सपोज़ किया है बल्कि दर्शकों को सही सूचनाएं भी रेफरेंस के साथ पहुंचाई है। आज DFRAC की इस रिपोर्ट में टाइम्स नाउ (Times Now) की एंकर नविका कुमार (Navika Kumar) की भ्रामक सूचनाओं की पड़ताल करेंगे।
फ़िल्म कश्मीर फ़ाइल्स
टाइम्स नाउ (Times Now) की एडिटर इन-चीफ़ नविका कुमार (Navika Kumar) ने अपने शो ‘सवाल पब्लिक का’ में फ़िल्म कश्मीर फ़ाइल्स की टीम का इंटरव्यू किया। इस इंटरव्यू के इंट्रो में वो कहती हैं,“आपने बस फ़ैक्ट उठाकर रख दिये हैं, कोई शेड्स ऑफ़ ग्रे नहीं है, ब्लैक है और वाईट है, क्या हुआ था और क्या दिखाया गया बस इसका कंट्रॉस्ट है”
फ़िल्म के डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री दावा करते है,“जहां 100 परशेंट हिन्दू रहते थे…” साथ ही अग्निहोत्री ने अमेरिकी राजनेताओं द्वारा दिया गया रिकॉग्निशन पत्र पढ़कर सुनाते हुए कहा- “पांच हज़ार कश्मीरी पंडितों को मारा गया।” विवेक अग्निहोत्री इन दावों पर एंकर नविका कुमार (Navika Kumar) खामोश़ रहती हैं।
वीडियो सौजन्य: टाइम्स नाउ
फ़ैक्ट चेक
अग्निहोत्री का सबसे पहला दावा कि कश्मीर में 100 प्रतिशत हिंदुओं की आबादी थी, ये दावा सही नहीं है, क्योंकि वहां अलग अलग समुदाय और क़बीले (आदिवासी समूहों) के लोग रहते थे, जो आज भी हैं।
बक़ौल नविका कुमार ,“आप (विवेक अग्निहोत्री) ने बस फ़ैक्ट उठाकर रख दिये हैं” मगर फ़िल्म कश्मीर फ़ाइल्स में कई तथ्यों से छेड़छाड़ किया गया है और कुछ काल्पनिक घटनाओं को जोड़कर एक नैरेटिव गढ़ने की कोशिश की गई है।
विवेक अग्निहोत्री ने अमेरिकी राजनेताओं के माध्यम से दावा किया कि पांच लाख कश्मीरी पंडितों को मारा गया। फ़िल्म में भी यही दावा किया कि है कश्मीर घाटी से पांच लाख पंडितों को मार के भगाया गया था।
इस संदर्भ में DFRAC ने शीर्षक- (द कश्मीर फाइल्स, फेक v/s फैक्ट) के साथ फैक्ट चेक किया है। इस फैक्ट चेक के मुताबिक पी.पी. कपूर द्वारा RTI के जरिए मांगे गए जवाब में ख़ुद भारत सरकार ने बताया है कि 1.5 लाख लोगों ने कश्मीर से पलायन किया था और उनमें से 88 प्रतिशत हिंदू थे जो घाटी में हुई हिंसा और ख़तरे के कारण वहां से पलायन कर गए थे।
वहीं द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, 219 कश्मीरी पंडित मारे गए और पंडितों के 24000 परिवार घाटी से पलायन कर गए। कश्मीर घाटी छोड़ने वाले केवल 1.5 लाख प्रवासियों के रिकॉर्ड हैं। हालांकि उनमें 88% हिंदू थे, लेकिन ऐसा कोई डेटा 5 लाख की बड़ी संख्या से मेल नहीं खाता।
DFRAC का फैक्ट चेक यहां पढ़ सकते हैं-द कश्मीर फाइल्स, फेक v/s फैक्ट
निष्कर्ष:
कश्मीर घाटी से 1.5 लाख कश्मीरियों ने पलायन किया था, जिसमें 88 प्रतिशत हिन्दू थे। बाकी 12 प्रतिशत में अन्य धर्मों के लोग शामिल हैं। ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिलता जिसमें 5 लाख कश्मीरी पंडितों के पलायन की बात सामने आई है।
अफगानिस्तान की पंजशीर घाटी में पाकिस्तानी सेना के आक्रमण की भ्रामक खबरः
किसी देश पर हमला उसकी संप्रभुता को लेकर बहुत संवेदनशील मुद्दा है। इस तरह की ख़बर से हालात बिगड़ सकते हैं। लेकिन सनसनी पैदा करने वाली मीडिया बिना तथ्य जांचें वायरल वीडियो को स्क्रीन में धड़ाधड़ चलाने लगती है। सितम्बर 2021 में टाइम्स नाउ (Times Now) ने एक वीडियो क्लिप प्रसारित कर दावा किया कि यह अफगानिस्तान पर ‘पाकिस्तानी हमले’ का सबूत है।
वीडियो सौजन्य: टाइम्स नाउ
फैक्ट चेकः
यूके डिफ़ेंस जर्नल ने फ़ैक्ट चेक कर इसका खंडन किया। यूके डिफ़ेंस जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि यह वीडियो क्लिप, वेल्स में उड़ रहे एक अमेरिकी F-15 का है, जिसे टाइम्स नाउ (Times Now) ने भ्रामक दावे के साथ प्रसारित किया था।
Indian news channel @TimesNow has broadcast a clip of an American F-15 flying in Wales and claimed it is proof of a "full fledged Pakistani invasion" of Afghanistan.https://t.co/0iK4wnyPyq
— UK Defence Journal (@UKDefJournal) September 6, 2021
स्वाती चतुर्वेदी ने ट्विट किया,“डियर @navikakumar इस शर्मनाक फर्ज़ी ख़बर के लिए कोई सार्वजनिक माफ़ी? आपका चैनल ‘न्यूज़’ पर एक रोज़मर्रा का मज़ाक़ है।”
Dear @navikakumar any public apology for this shameful fake news? Your channel is a daily joke on “news” https://t.co/8iTqaaIYXs
— Swati Chaturvedi (@bainjal) September 6, 2021
कंगना रनौत की ‘भीख वाली आज़ादी’ का विवादः
टाइम्स नाउ (Times Now) ने एक शिखर सम्मेलन का आयोजन किया था, जिसका नाम ‘सेलिब्रेटिंग इंडिया @75’ था। इस शिखर सम्मेलन में विवादित बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत को बुलाया गया था।
कंगना रनौत ने नविका कुमार (Navika Kumar) से बातचीत करते हुए दावा किया था,“ 1947 में मिलने वाली आज़ादी, आज़ादी नहीं थी वो भीख थी और जो आज़ादी मिली है वो 2014 में मिली है।” हालांकि टाइम्स नाउ (Times Now) के शिखर सम्मेलन में कंगना से बातचीत का मुद्दा ‘बॉलीवुड के ग्लोबल प्रभाव’ पर था। कंगना के भीख वाली आजादी बयान के 24 सेकेंड वाले वीडियो को सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया गया। इस बयान की हर तरफ आलोचना की गई। सोशल मीडिया यूजर्स ने एफआईआर दर्ज करवाने तक की मांग कर डाली।
#TimesNowSummit2021: आजादी अगर भीख में मिले, तो क्या वो आजादी हो सकती है? देखिए, कंगना रनौत ने ऐसा क्यों कहा@navikakumar के सवाल.. #KanganaRanaut के जवाब#TimesNowNavbharat #TimesNowSummit #OpinionIndiaKa pic.twitter.com/EDzxHlfsVK
— Times Now Navbharat (@TNNavbharat) November 10, 2021
इस वीडियो में लगभग 4:30 पर सुना जा सकता है, कि वो आज़ादी नहीं थी, वो भीख थी….
कंगना के इस विवादित बयान पर बीजेपी सांसद वरूण गांधी ने आलोचना करते हुए ट्वीट किया-“कभी महात्मा गांधी जी के त्याग और तपस्या का अपमान, कभी उनके हत्यारे का सम्मान, और अब शहीद मंगल पाण्डेय से लेकर रानी लक्ष्मीबाई, भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और लाखों स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानियों का तिरस्कार। इस सोच को मैं पागलपन कहूँ या फिर देशद्रोह?”
कभी महात्मा गांधी जी के त्याग और तपस्या का अपमान, कभी उनके हत्यारे का सम्मान, और अब शहीद मंगल पाण्डेय से लेकर रानी लक्ष्मीबाई, भगत सिंह, चंद्रशेखर आज़ाद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और लाखों स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानियों का तिरस्कार।
इस सोच को मैं पागलपन कहूँ या फिर देशद्रोह? pic.twitter.com/Gxb3xXMi2Z
— Varun Gandhi (@varungandhi80) November 11, 2021
इंडियन यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ने भी ट्वीट करके कंगना की आलोचना की थी।
ऐसे लोगों को पद्मश्री दिलाने वाले मोदी जी जवाब दे,
क्या हम कुर्बानियों में मिली 'आजादी' के 75वे वर्ष का जश्न मना रहे है, या आपके भक्तों के अनुसार 'भीख में मिली' आजादी का?
— Srinivas BV (@srinivasiyc) November 10, 2021
कंगना के इस बयान के बाद सवाल ना सिर्फ उनके विवादित बयान को लेकर हुए बल्कि टाइम्स नाउ (Times Now) की पत्रकारिता की एथिकल वैल्यूज को लेकर भी खड़े किए गए। क्योंकि प्रोग्राम की मोडरेटर होने के बावजूद नविका ने कंगना के बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, वह बस कुछ शब्द कहकर आगे बढ़ गईं। उन्होंने कोई सवाल नहीं किया और ना ही कंगना को रोका। नविका कुमार (Navika Kumar) पर यह सवाल इसलिए भी उठ रहा है क्योंकि ये भारत को मिली आज़ादी और आजादी की लड़ाई में शहीद होने वाले हजारों-लाखों भारतीयों का अपमान था। एंकर नविका कुमार (Navika Kumar) को उसी दौरान तुरंत इस बात का खंडन करना चाहिए था और लोगों के सामने ‘भीख वाली आजादी’ पर सही फैक्ट रखे जाने चाहिए थे।
हालांकि विवाद और आलोचना बढ़ते देख, दो दिन के बाद 11 नवम्बर 2020 को टाइम्स नाउ (Times Now) ने ट्वीट करके सफ़ाई दी,उन्होंने लिखा- “#KanganaRanaut की सोच हो सकती है कि भारत को 2014 में असल आजादी मिली थी लेकिन इसका समर्थन कोई भी सच्चा भारतीय नहीं कर सकता। यह उन लाखों स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान है जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति दे दी ताकि वर्तमान पीढ़ी लोकतंत्र के स्वतंत्र नागरिकों के रूप में स्वाभिमान और गरिमा के साथ ज़िंदगी जी सके”।
#KanganaRanaut may think India got Independence in 2014 but this cannot be endorsed by any true Indian. This is an insult to millions of freedom fighters who gave up their lives so that present generations can live a life of self-respect & dignity as free citizens of a democracy. pic.twitter.com/o0EtH0hukU
— TIMES NOW (@TimesNow) November 12, 2021
टाइम्स नाउ (Times Now) की दी गई सफ़ाई पर भी लोगों ने सवाल खड़े किए। हंसल मेहता ने लिखा,“आप इसका समर्थन नहीं करते हैं लेकिन अपने ट्वीट में वीडियो शामिल ज़रूर करते हैं। व्यापार के लिए अच्छा है?”
You don’t endorse it but put up the video in your tweet. Good for business is it? https://t.co/1geZJ13yvI
— Hansal Mehta (@mehtahansal) November 12, 2021
फिल्म ‘सम्राट पृथ्वीराज’ और उसका विवादः
हाल ही में “सम्राट पृथ्वीराज” फ़िल्म आई थी। फिल्म के प्रमोशन के लिए के डायरेक्टर चंद्रप्रकाश द्विवेदी और एक्टर अक्षय कुमार टाइम्स नाउ नवभारत के प्रोग्राम “सवाल पब्लिक का” में नविका कुमार (Navika Kumar) के शो में बतौर मेहमान शामिल हुए।
शो के आग़ाज़ में चलते चलते स्टूडियो आते समय नविका ने अक्षय कुमार से पूछा कि फ़िल्म बनाते हुए, आप सिर्फ़ एक्टर थे, या कैरेक्टर में घुस गये थे, इतिहास से आपको कितना अटैचमेंट हो गया था? इसके जवाब में अक्षय ने कहा कि जब मैं पहली बार डॉ. साहब (चंद्रप्रकाश द्विवेदी) से मिला था, इन्होंने मुझे इस बारे में बताया कि हम जितना कुछ जानते हैं, वो हमारे टेक्स्ट बुक में सिर्फ़ चार लाइनें हैं।
वीडियो सौजन्य: टाइम्स नाउ
इस दौरान डायरेक्टर चंद्रप्रकाश अक्षय कुमार को किताब थमाते हैं और अक्षय आगे कहना जारी रखते हैं कि- मैं किताब भी ले आया हुं, ये आठवीं कक्षा की किताब है। इस किताब में आप देखेंगे कि सम्राट पृथ्वीराज चौहान या हमारे हिन्दू राजा के बारे में सिर्फ़ चार लाइनें हैं। मुग़ल एम्पायर के बारे में पूरी किताब भरी हुई है। ये देखने लायक़ है। इस पर नविका किताब अपने हाथ में लेती हैं, और कहती हैं- मैं आपको दिखाना चाहती हूं।
नविका ने पहला सवाल किया कि चार लाइनों में क्यों सिमट कर रह गए सम्राट पृथ्वीराज और मुग़लों पर किताब पर किताब लिखी गई? और औरंगज़ेब की क़ब्र पर जाकर फूल चढ़ाना चाहिए या नहीं?
वीडियो सौजन्य: टाइम्स नाउ
चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने जवाब दिया,“… 1947 के बाद जब देश आज़ाद हुआ तो निर्णय करना था कि वो कौन सी चेतना है, जिसके आधार पर हम भारत का भविष्य तय करेंगे। मुझे यहां तक याद पड़ता है फ़्रांस के एक विद्वान ने कहा था कि क्या हम आदि गुरू शंकर द्वेत या वेदांत के रास्ते पर चलेंगे? तो उस समय जो राजकर्ता थे, उनके दिमाग़ में ये बात थी नहीं, और उसके बाद सेक्यूलरिज़्म के नाम पर हमारे मन में एक अपराध बोध पैदा किया गया…लेकिन ऐसा क्यों हुआ कि वैदिक काल की इतिहास के बाद चंद्रगुप्त की भी जो बात करते हैं, वो भी एक पैरा में होता है। जिन्होंने भी आज़ादी के बाद का इतिहास लिखा, उन्होंने इसे छिपाया। 2014 के बाद देश में एक ऐसी सरकार आई है जो अपने अतीत पर प्रश्न कर रही है। सबसे बड़ी बात वो है, जो हमारे जवानों से कहते हैं कब आप अपने इतिहास को रिक्लेम करेंगे, अब समय है रिक्लेम का। जब मैंने अक्षय से कहा कि मैं ये फ़िल्म करना चाहता हूं, तो इन्होंने कहा कि मैं ये फ़िल्म तब करूंगा, जब इसमें नौरेटिव बदने की संभावना हो।”
नविका अक्षय से पूछती हैं कि आप नैरेटिव बदलना चाहते थे, you went beyond the actor…?
वीडियो सौजन्य: टाइम्स नाउ
फ़ैक्ट चेक:
लगभग हर फ़िल्म के डिस्कलेमर में ये दर्ज होता है कि फ़िल्म की कहानी और इसके किरदार सब काल्पनिक हैं। दूसरे, पृथ्वीराज चौहान के बारे में स्कूल टेक्स्ट बुक से लेकर पीएचडी तक पढ़ाई लिखाई की जाती है।
यूट्यूब पर 15 जून 2022 को अपलोड किए गए न्यूज़लॉन्ड्री (Newslaundry) के NL Tippani के 108एपिसोड दी गई जानकारी के मुताबिक़ बक़ौल चंद्रप्रकाश द्विवेदी, अगर इतिहास पढ़ाया नहीं गया तो इनकी ज़िम्मेदारी है कि जो बतायें, वो पूरी तरह तथ्य पर आधारित हो ना कि मिथक पर। दूसरे, क्या साहित्य को इतिहास बनाकर दर्शकों के सामने पेश करना बौध्दिक बेईमानी नहीं है? या आप मानते हैं कि साहित्य और इतिहास एक ही चीज़ है। ये दो सवाल इसलिए, क्योंकि ये फ़िल्म जिस साहित्यिक रचना “पृथ्वीराज रासो” के आधार पर बनी है, उसे चंदबरदाई ने लिखा है, और ये हाई स्कूल की हिन्दी की किताबों में पढ़ाई जाती है।
वीडियो सौजन्य: न्यूज़लॉन्ड्री
इस महाकाव्य में चंदबरदाई ने लिखा है कि पृथ्वीराज चौहान ने ग़ौरी को मार डाला था, और फ़िल्म में भी “ठीक से इतिहास बताते हुए” जस का तस दिखा दिया गया है, जबकि इसके स्पष्ट प्रमाण हैं कि ग़ौरी से दूसरी लड़ाई हारने के बाद पृथ्वीराज चौहान की हत्या 1192 में कर दी गई थी, जबकि ग़ौरी की मौत 1206 में हुई।
पृथ्वीराज की मौत से 200 से 300 साल बाद रासो की रचना 14वीं सदी से 16वीं सदी के बीच किसी समय में की गई। बीबीसी हिन्दी ने हिंदी साहित्य के इतिहासकार और बड़े विद्वानआचार्य रामचंद्र शुक्ल के हवाले अपनी रिपोर्ट में बताया कि- “किताब ‘हिंदी साहित्य का इतिहास’ में आचार्य शुक्ल ने लिखा, ”पृथ्वीराज रासो में दिए हुए साल (संवत्) ऐतिहासिक तथ्यों के साथ मेल नहीं खाते हैं। ऐसे में पृथ्वीराज के दौर में इसके लिखे जाने पर संदेह है। अनेक विद्वानों ने इन कारणों से पृथ्वीराज रासो को 16वीं शताब्दी (साल 1500 से 1600) में लिखा हुआ एक जाली ग्रंथ ठहराया है। रासो में चंगेज, तैमूर जैसे कुछ बाद के शासकों के नाम आने से ये शक और मज़बूत होता है।”मशहूर इतिहासकार और हिंदी लेखक रायबहादुर पंडित गौरीशंकर हीराचंद ओझा ने भी ‘पृथ्वीराज रासो’ को कल्पना और तथ्यों से दूर बताया है।”
वीडियो सौजन्य: न्यूज़लॉन्ड्री
न्यूज़लॉन्ड्री (Newslaundry) के मुताबिक़ डॉ नित्यानंद तिवारी ने अपनी किताब “मध्यकालीन रोमांचक आख्यान” में पृथ्वीराज रासो को रोमांचक आख्यान कहा है। वो कहते हैं कि इन रोमांचक आख्यानों का कोई ऐतिहासिक उद्देश्य या संबंध नहीं है, चूंकि ये साहित्यिक रचना है।
वहीं हिन्दी के महान विद्वान आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने अपनी प्रसिद्ध रचना हिंदी साहित्य का इतिहास में रासो के बारे में लिखा है, भाषा की कसौटी पर कसते हैं तो और भी निराश होना पड़ता है क्योंकि वह बिल्कुल बेठिकाने है। उसमें व्याकरण आदि की कोई व्यवस्था नहीं है। शब्दों की ऐसी मनमानी भरमार है जैसे किसी ने संस्कृत-प्राकृत की नक़ल की हो।”
न्यूज़लॉन्ड्री (Newslaundry) की रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि रासो अदिकाल में लिखी गई। हिंदी साहित्य का आदिकाल 1050 से 1400 के आस पास तक माना जाता है, इसके बाद भक्तिकाल शुरू होता है। आदिकाल को ही वीरगाथा काल, चारणकाल भी कहा जाता है। इस दौर के कवि अमूमन राज दरबारों के प्रश्रय में रहते थे, दरबार की शान में बढ़ा चढ़ा कर लिखते थे, ठाकुर सुहाती इस दौर के लेखन का आश्यक गुण था।
निष्कर्ष:
DFRAC की इस पड़ताल में सामने आया कि ये दावा बिल्कुल निराधार है कि कि पृथ्वीराज चौहान के बारे में नहीं पढ़ाया जाता। साथ ही साहित्यिक रचना को इतिहास बनाकर पेश करना कहां तक दुरुस्त है।
हेट स्पीच
दिल्ली के जहांगीरपुरी में रामनवमी के जुलूस में हुई दो समुदायों के बीच हुई हिंसा के बाद एमसीडी ने 20 अप्रैल को अवैध निर्माण पर बुल्डोज़र चलाने का फैसला किया। 2 घंटे से अधिक वक्त तक बुल्डोज़र अतिक्रमण के खिलाफ़ काम करता रहा। सोशल मीडिया पर लोग इस कार्रवाई पर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे थे। कुछ का कहना है कि अतिक्रमण के खिलाफ़ कार्रवाई होनी ही चाहिए तो वहीं कुछ कह रहे हैं कि गरीबों पर यह अत्याचार है जोकि गलत है!
इन सबके बीच टाइम्स नाउ (Times Now) की एडिटर इन-चीफ़ नविका कुमार (Navika Kumar) ने हंसते हुए इमोजी के साथ एक ट्वीट किया कि “बुल्डोजर की मांग में भारी वृद्धि हो गई है। क्या हम मैन्यूफैक्चरिंग के लिए अपनी क्षमता बढ़ा रहे हैं या हमें आयात पर ही निर्भर रहना पड़ेगा? बस पूछ रही हूं।”
Dramatic increase in demand for bulldozers. Are we increasing domestic capacity for manufacturing or will we have to depend on imports?? #JustAsking. 😝😝😂😂
— Navika Kumar (@navikakumar) April 20, 2022
एक औरत और एक बच्चा अपने आशियाने और पूरी पूंजी के तबाह होते मंज़र को देखकर रो रहै हैं और नविका कुमार (Navika Kumar) की हंसी नहीं रूक रही है।
वीडियो सौजन्य: ट्विटर
इस पर @RoflGandhi_ ने ट्वीट रिप्लाई किया, “नाविका जी, आपका आलीशान घर है,महंगी दारू भी नज़र आ रही है। कल किसी पड़ोसी से आपका झगड़ा हो और सरकार बिना नोटिस, इसको तोड़ दे तो कैसा लगेगा? वैध-अवैध का फैसला तो कोर्ट करेगा ना, सरकार अपनी मर्ज़ी से हर तरह के क्राइम पर घर तोड़ने लगी तो सारी कॉलोनियां अनुपम खेर के सिर जैसी हो जायेंगी।”
नाविका जी, आपका आलीशान घर है,महंगी दारू भी नजर आ रही है। कल किसी पड़ोसी से आपका झगड़ा हो और सरकार बिना नोटिस इसको तोड़ दे तो कैसा लगेगा
वैध-अवैध का फैसला तो कोर्ट करेगा ना, सरकार अपनी मर्जी से हर तरह के क्राइम पर घर तोड़ने लगी तो सारी कॉलोनियां अनुपम खेर के सिर जैसी हो जायेंगी। pic.twitter.com/DiUW9Rt5ND
— Rofl Gandhi 2.0 🏹 (@RoflGandhi_) April 20, 2022
पत्रकार अतुल चौरसिया ने लिखा,“सिर्फ बुलडोजर नहीं चला है। इस बच्चे के एक-एक वक्त के खाने पर, स्कूल की फीस पर, छोटी छोटी खुशियों पर बुलडोजर चला है।@navikakumar कोई चुटकुला सूझ रहा है. जुबां पे पाश और दिमाग में पाशविकता।”
सिर्फ बुलडोजर नहीं चला है। इस बच्चे के एक-एक वक्त के खाने पर, स्कूल की फीस पर, छोटी छोटी खुशियों पर बुलडोजर चला है। @navikakumar कोई चुटकुला सूझ रहा है. जुबां पे पाश और दिमाग में पाशविकता। pic.twitter.com/JO86p2HR2K
— Atul Chaurasia (@BeechBazar) April 20, 2022
अभिनेत्री स्वरा भास्कर ने दो तस्वीरों, एक नविका का ट्वीट स्क्रीनॉट और दूसरा एक बच्चा जो अपनी मां के साथ बचे-खुचे सामान और चंद सिक्के इकठ्ठा कर रहा है, के साथ ट्वीट किया,“गोदी मीडिया एंकरों की कुरूपता, इतनी अमानवीयता कि वे परेड पर गर्व करते हैं.. यह बताने के लिए पर्याप्त शब्द नहीं हैं कि हम एक इंसान के रूप में कितने नीचे गिर गए हैं…”
The ugliness of Godi media anchors, the sheer inhumanity that they are so proud to parade.. There aren’t enough words to capture how low we’ve sunk as a people.. pic.twitter.com/690EmL6fLs
— Swara Bhasker (@ReallySwara) April 20, 2022
निष्कर्ष:
जहांगीरपूरी प्रकरण पर सुप्रीम कोर्ट के स्टे ऑर्डर देने के बावजूद भी काफ़ी टाइम तक बुल़्डोज़र चलते रहे। टाइम्स नाउ (Times Now) की पत्रकार को पत्रकारिता धर्म निभाते हुए इस पर दिल्ली पुलिस और एमसीडी से सवाल पूछना चाहिए था मगर वो संवेदनहीनता का प्रदर्शन करती हैं।
Bihar | Even after the interference of Supreme Court, an anti-encroachment drive was taking place in Jahangirpuri. China has entered inside India but no action is being taken on it whereas bulldozers are being run on the basis of religion: RJD chief Tejashwi Yadav in Patna pic.twitter.com/QbdGdWn0xB
— ANI (@ANI) April 21, 2022
पैगबंर हज़रत मोहम्मदﷺ पर नुपूर शर्मा का विवादित बयान और नविकाः
हाल ही में नविका कुमार (Navika Kumar) के ही शो में पूर्व बीजेपी नेता नुपुर शर्मा की पैगम्बर हज़रत मुहम्मदﷺ पर आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद देश की छवि को नुकसान पहुंचा है। खाड़ी के कई देशों में भारतीय राजदूतों को तलब करके उनसे जवाब मांगा गया था। देश और दुनिया में भारी विरोध के बाद बीजेपी ने अपने दोनों प्रवक्ताओं को पार्टी से निलंबित कर दिया था। इस प्रोग्राम में नविका कुमार (Navika Kumar) ने विवादित बयान पर किसी भी प्रकार का स्पष्टीकरण नहीं दिया था। वहीं इस विवाद के बाद लोगों ने नविका के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने के लिए सोशल मीडिया कैंपेन चलाया था, जिसके बाद नविका के खिलाफ महाराष्ट्र में केस दर्ज भी हो चुका है।
राहुल गांधी पर आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद नविका की माफीः
नविका कुमार (Navika Kumar) ने कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नेता राहुल गांधी पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर दिया था। नविका कुमार (Navika Kumar) ने एक प्रोग्राम की एंकरिंग करने के दौरान अपनी भाषा पर नियंत्रण ना रख पाईं। दरअसल पंजाब चुनावों के वक्त कांग्रेस के जारी सियासी घमासान चल रहा था। इस दौरान टाइम्स नाउ (Times Now) पर इसी विवाद पर नविका कुमार (Navika Kumar) ने एक डिबेट के दौरान राहुल गांधी पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर दी थी।
कान खोलकर सुन लिया जाए।
राहुल गांधी जी इस समय विपक्ष के प्रमुख नेता हैं।
उनके बारे में अभद्र भाषा का प्रयोग कांग्रेस कार्यकर्ता क़तई स्वीकार नहीं करेंगे।
लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ का दायित्व निभा रहे हर मीडिया का पूर्ण सम्मान है।
लेकिन मर्यादा नहीं भूलना चाहिए।
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) September 28, 2021
नविका कुमार (Navika Kumar) की आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर कांग्रेस और दूसरे यूजर्स द्वारा उनकी जमकर आलोचना की गई। छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल सहित तमाम कांग्रेसी नेताओं ने इस आपत्तिजनक बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी। वहीं विवाद बढ़ता देख नविका कुमार (Navika Kumar) ने वीडियो जारी कर अपने बयान पर खेद जताते हुए माफी मांग लिया था।
TIMES NOW CLARIFICATION pic.twitter.com/J84BFIHLaZ
— TIMES NOW (@TimesNow) September 29, 2021
रिपोर्ट निष्कर्ष:
इस रिपोर्ट के दौरान DFRAC की टीम ने पाया कि नविका कुमार (Navika Kumar) ने जर्नलिज़्म एथिक्स को ताक़ पर रख दिया है। उनके द्वारा कई बार भ्रामक सूचनाएं दी गई हैं साथ ही विपक्षी पार्टी के नेता के प्रति ऐसे आपत्तिजनक शब्द का भी इस्तेमाल किया गया है, जो पत्रकारिता के मूल्यों और मापदंडों के खिलाफ है।