तिब्बत के आध्यात्मिक नेता दलाई लामा के बारे में सीएनएन के एक ट्वीट का स्क्रीनशॉट बड़ी संख्या में वायरल हो रहा है।
White nationalism is the only morally valid ideology in the west.
— European ⚔️ Revolution (@EuropeanRevolt) May 10, 2022
And everyone knows it. 👇🏻 pic.twitter.com/FBH8NkVRji
वायरल स्क्रीनशॉट में लिखा है कि “दलाई लामा ने आप्रवास और राष्ट्रीयता पर श्वेत राष्ट्रवादी बातों को कहने के बाद, निंदा का कारण बनते हुए विवाद को जन्म दिया। एक जुझारू बातचीत में, बुजुर्ग भिक्षु ने सुझाव दिया कि तथाकथित, “श्वेत देशों” को गैर-श्वेत लोगों (sic) को निष्कासित करने का अधिकार था।
फैक्ट चेक:
वायरल स्क्रीनशॉर्ट में किए गए दावे की पड़ताल करने के लिए सबसे पहले हमने सीएनएन के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से 9 मई को किए गए सभी ट्वीट देखे। लेकिन हमें दलाई लामा से जुड़ा ऐसा कोई ट्वीट नहीं मिला।
वहीं इस बारे में जब हमने गूगल पर सर्च किया तो हमने 2018 में, स्वीडन के माल्मो शहर में शरणार्थियों के बारे में दिया गया दलाई लामा का एक बयान मिला। जिसमे उन्हे यह कहते हुए सुना जा सकता है कि अन्य देश खतरे का सामना करने वाले शरणार्थियों की मदद करने के लिए “नैतिक रूप से जिम्मेदार” थे, लेकिन उन्हें अंततः अपने देशों के पुनर्निर्माण के लिए वापस लौटना चाहिए। “यूरोप यूरोपीय लोगों का है।”
इसके अलावा एक अन्य बयान में वह कहते है कि “अल्पावधि में, यूरोपीय देशों को उन्हें आश्रय प्रदान करना चाहिए, और विशेष रूप से युवाओं के लिए यांत्रिक प्रशिक्षण सहित शिक्षा और प्रशिक्षण के लिए बच्चों को सुविधाएं प्रदान करनी चाहिए। उद्देश्य यह है कि वे अंततः अपने देशों के पुनर्निर्माण के लिए लौटने में सक्षम हों।”
साथ ही 2020 में उन्होने टाइम को दिये इंटरव्यू में कहा था कि नस्लीय अन्याय से लड़ने की जिम्मेदारी “लोगों” की है।
निष्कर्ष:
दावा समीक्षा: दलाई लामा ने कहा, श्वेत मुल्कों से अश्वेत लोगों को निकाल देना चाहिए। दावाकर्ता: सोशल मीडिया यूज़र्स फैक्ट चेक: फेक |
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