“यह पाया गया है कि हाल के दिनों में कई सैटेलाइट टीवी चैनलों ने घटनाओं के कवरेज को इस तरह से किया है, जो अप्रमाणिक, भ्रामक, सनसनीखेज और सामाजिक रूप से अस्वीकार्य भाषा और टिप्पणियों का उपयोग करते हुए, अच्छे शब्द और शालीनता को ठेस पहुंचाते हैं, और अश्लील और मानहानिकारक और साम्प्रदायिक स्वर वाले, जो सभी कार्यक्रम संहिता का उल्लंघन करते प्रतीत होते हैं।” भारतीय समाचार चैनलों के बारे में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का यह कहना है। सरकार ने मीडिया के लिए एडवाइजरी जारी करके उसे आईना दिखाने की कोशिश की है। हम आपको एक बार फिर बताते हैं कि भारतीय टेलीविजन चैनलों के बारे में सरकार द्वारा जारी एडवाइजरी में स्पष्ट कहना है कि इन चैनलों द्वारा अप्रमाणिक, भ्रामक, सामाजिक रुप से अस्वीकार्य भाषा और सांप्रदायिक स्वर वाले कार्यक्रम पेश किए गए। देश के टीवी चैनल भ्रामक समाचार देश के लोगों को प्रसारित कर रहे हैं। वह ऐसी भाषा बोल रहे हैं जिसे कोई भी सम्भ्रांत समाज स्वीकार नहीं करेगा।
भारतीय चैनलों की यह संवेदनहीनता, मनगढ़ंत कहानियों का प्रसारण ऐसे समय हो रहा है, जब दुनिया का एक देश भयंकर मानवीय त्रासदी से गुजर रहा है, दूसरे कई देशों पर इस त्रासदी से बर्बाद होने का खंतरा मंडरा रहा है। यूक्रेन की रिपोर्टिंग में भारतीय चैनलों ने नीचता की हद को पार दिया। भारतीय पत्रकारों द्वारा उछल-उछल कर और नांच-नाच कर उस जगह की रिपोर्टिंग की जा रही है, जहां बरसने वाले बम से लाखों लोगों के आशियाने उजड़ गए, उनकी जिंदगियां तबाह हो गईं, उनका बसा-बसाया घर-गृहस्थी उजड़ गया, उनके अपने या तो युद्ध में मारे गए या फिर अपनी मिट्टी-अपना देश छोड़कर दूसरे देश के राहत शिविरों में रह रहे हैं। यह भारतीय मीडिया के संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है।
यूक्रेन पर रूसी हमले की मानवीय त्रासदी में वहां पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्र भी युद्ध क्षेत्र में फंस गए थे। कई छात्र मारे भी गए। इस त्रासदी को टीवी चैनलों ने अपनी संवेदनहीनता दिखाते हुए ड्रामे में बदल दिया और विश्व युद्ध शुरु होने या परमाणु हथियार इस्तेमाल होने जैसी बेबुनियाद और मनगढ़ंत कहानियां गढ़ने लगे। वह रूस और युक्रेन के युद्ध में “परमाणु-परमाणु” का अभी भी जाप कर रहे हैं। भारतीय समाचार चैनलों की कवरेज और उनकी डरावनी और रक्तपिपाशु हेडलाइंस देखकर हर कोई ये सोचने लगता होगा कि बस अब परमाणु युद्ध शुरु होने वाला है, जिसके बाद तीसरा विश्व युद्ध होगा और दुनिया का विनाश हो जाएगा। कुछ समाचार चैनल परमाणु युद्ध के बाद दुनिया के खात्मे की उसी पुरानी थ्योरी गढ़ने लग गए। दरअसल मीडिया दुनिया को खत्म होने की अपनी थ्योरी को बदलते वक्त के साथ अपडेट करता रहता है। इनके लिए कभी दुनिया को खत्म होने के लिए ‘महाप्रलय’ का कॉन्सेप्ट सबसे प्रचलित था। लेकिन महाप्रलय जैसा बनाया गया हवाहवाई किला ध्वस्त होने के बाद मीडिया ने दुनिया को खत्म करने की एक नई थ्योरी गढ़ ली। यह थ्योरी ‘माया कैलेंडर’ थी। माया कैलेंडर के मुताबिक 21 दिसंबर 2012 में एक ग्रह पृथ्वी से टकराएगा और सारी दुनिया खत्म हो जाएगी। इस थ्योरी को लेकर मीडिया ने लोगों को खूब डराया। इन समाचारों से बच्चों और युवाओं मन मस्तिष्क को इतना प्रभावित किया कि जीवन के प्रति उनकी इच्छा ही नीरस हो गई। वह सच में मानने लगे कि दुनिया खत्म होने जा रही है। लेकिन नासा के स्पष्टीकरण के बाद मीडिया द्वारा बनाया गया दुनिया के खत्म होने की यह थ्योरी फेल हो गई है।
दुनिया को खत्म करने अमादा हमारी मीडिया अपनी पिछली थ्योरी फेल होने के बाद नई थ्योरी के साथ सामने आती है और दुनिया के पीछे हाथ धोकर पड़ी रहती है। कभी वह नास्त्रेदमस की भविष्यवाणियों का सहारा लेती है तो कभी महाप्रलय की। अब इस मीडिया के हाथ रूस-यूक्रेन के जारी युद्ध में परमाणु युद्ध की थ्योरी हाथ लगी है, जिसको बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है। भारतीय मीडिया पर चलने वाली खबरों की माने तो रूस बस परमाणु हमला करने वाला है, पुतिन को बटन दबाने की देर है, इसके बाद यूक्रेन में परमाणु बम गिरेगा और सबकुछ तबाह और बर्बाद हो जाएगा। परमाणु हमले को लेकर कुछ समाचार चैनलों की हेडलाइंस पर गौर करें तो कई हेडलाइंस ऐसे थे जिन्होंने परमाणु युद्ध होने की घोषणा तक कर दी थी। एक चैनल से ‘ये रात कयामत वाली है’ कहकर यह साबित करने की कोशिश की अगल सुबह रूस परमाणु हमला करेगा और विश्व युद्ध शुरु हो जाएगा। कई चैनलों ने ‘न्यूक्लियर निशाना, हैरतअंगेज खुलासा वर्ल्ड वॉर का’, ‘यूक्रेन से पुतिन का परमाणु प्लान तैयार?’ और ‘विश्व युद्ध के मुहाने पर दुनिया’ टैगलाइन के साथ खबरें चलाईं।
भारतीय मीडिया की संवेदनहीनता को देखते हुए भारत को इस मामले पर हस्तक्षेप करना पड़ा और मीडिया के लिए कड़े शब्दों में एडवाइजरी जारी की। इस एडवाइजरी में यूक्रेन और दिल्ली के जहांगीरपुरी में हुई हिंसा की न्यूज कवरेज पर कड़ा ऐतराज जताया गया।
भ्रामक, अप्रमाणिक और अस्वीकार्य भाषा का इस्तेमालः
मंत्रालय की एडवाइजरी में उल्लेखित है कि- यह पाया गया है कि हाल के दिनों में कई सैटेलाइट टीवी चैनलों ने घटनाओं के कवरेज को इस तरह से किया है जो अप्रमाणिक, भ्रामक, सनसनीखेज और सामाजिक रूप से अस्वीकार्य भाषा और टिप्पणियों का उपयोग करते हुए, शालीनता को ठेस पहुंचाते हैं, और अश्लील और मानहानिकारक और साम्प्रदायिक स्वर वाले, जो सभी कार्यक्रम संहिता का उल्लंघन करते प्रतीत होते हैं।
चैनलों ने किया झूठा दावाः
मंत्रालय की ओर से जारी एडवाइजरी में कहा गया मीडिया द्वारा रूस-यूक्रेन युद्ध पर झूठे दावे किए गए और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों को मिसकोट (गलत उद्धरण) दिया गया। ऐसी अपवादजनक हेडलाइंस/टैगलाइंस चलाई गई, जिसका न्यूज से कोई संबंध नहीं था। इन चैनलों के कई पत्रकारों और न्यूज ऐंकरों ने दर्शकों को उकसाने के इरादे से मनगढ़ंत और अतिशयोक्तिपूर्ण बयान दिए।
चैनलों ने फैलाया सांप्रदायिक तनाव, शांति व्यवस्था को किया बाधितः
दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में हनुमान जयंती के जुलुस के दौरान भड़की हिंसा की कवरेज को लेकर भी मंत्रालय ने टिप्पणी की है। मंत्रालय ने इस हिंसा की घटनाओं पर टीवी चैनलों की रिपोर्टिंग और उनकी हेडलाइंस को भड़काऊ करार हुए कहा कि इससे समुदायों में आपसी सौहार्द बिगड़ सकती है और शांति तथा कानून व्यवस्था को नुकसान पहुंच सकता है। इसके अलावा मंत्रालय की ओर से कहा गया बिना पुष्टि के सीसीटीवी फूटेज दिखाए गए और एक विशिष्ट समुदाय के फूटेज को दिखाकर सांप्रदायिक तनाव को बढ़ाया गया। साथ ही सत्ता के कार्यों को सनसनीखेज और सांप्रदायिक रंग देने के लिए हेडलाइंस गढ़ी गई।
नॉर्थ-वेस्ट दिल्ली हिंसा की कवरेजः
इसके साथ ही सरकार ने नॉर्थ-वेस्ट दिल्ली की घटना पर कई हेडिंग पर आपत्ति जताते हुए चैनलों को नियमों के तहत कार्यक्रम प्रसारित करने को कहा है।
1- ‘दिल्ली में अमन के दुश्मन कौन’ (16 अप्रैल 2022 को प्रसारित)
2- बड़ी साजिश दंगे वाली, करौली, खरगौन वाया दिल्ली’ (17 अप्रैल 2022 को प्रसारित)
3- ‘हिंसा से एक रात पहले साजिश का वीडियो’ (19 अप्रैल 2022 को प्रसारित)
4- ‘वोट बैंक वर्सेज मेजोरेटेरियन पॉलिटिक्स’ (19 अप्रैल 2022 को प्रसारित)
5- एक चैनल ने एक वीडियो बार-बार दिखाया, जिसमें एक विशेष धर्म का व्यक्ति हाथ में तलवार लिए था।
6- एक चैनल ने दावा किया कि यह वीडियो प्रदर्शित करता है कि धार्मिक यात्राओं में हिंसा फैलाना पहले से प्लान किया हुआ था। (19 अप्रैल 2022 को प्रसारित)
न्यूज चैनलों पर डिबेट्स में नफरत और अमर्यादित भाषाः
मंत्रालय द्वारा कई चैनलों की डिबेट शो की हेडलाइंस/टैगलाइंस पर भी टिप्पणी की गई। जो इस प्रकार हैं-
- एक चैनल द्वारा 20 अप्रैल 2022 को ‘हुंकार’ टाइटल से प्रोग्राम प्रसारित किया गया। इस डिबेट के दौरान कई पैनलिस्ट ने एक-दूसरे पर असंसदीय और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया। कुल मिलाकर यह शो बहुत आक्रामक और विक्षुब्ध करने वाला था। इस तरह का शोरगुल दर्शकों खासतौर पर बच्चों पर दीर्घकालीक रुप से मनोवैज्ञानिक तौर पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।
- एक न्यूज चैनल का डिबेट शो जिसका टाइटल- ‘अली Vs बली, कहां कहां खलबली?’ 15 अप्रैल 2022 को प्रसारित हुआ था। इसमें भड़काने वाले बयान और अपमानजनक संदर्भ दिए गए।
- एक चैनल के पत्रकार ने अपने प्राइम टाइम शो जिसका टाइटल- “अली, बजरंगबली पर खलबली” को 15 अप्रैल 2022 को प्रसारित किया था। इसमें भी भड़काने वाले बयान और अपमानजनक संदर्भ दिए गए।
रूस-यूक्रेन संघर्ष पर रिपोर्टिंगः
- 18 अप्रैल 2022 को एक चैनल ने खबर चलाई ‘यूक्रेन में एटमी हड़कंप’। इसमें बताया गया कि रूस यूक्रेन पर परमाणु हमले की तैयारी कर रहा है। इस रिपोर्ट ने हालात को बेवजह सनसनीखेज बनाया। इस रिपोर्ट में अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों का गलत तरीके से हवाला दिया गया।
- एक अन्य चैनल भी युद्ध भड़काने में शामिल रहा, जो लगातार तथ्यहीन और मनगढ़ंत कवरेज करके लोगों को खौफ से भर दिया। रिपोर्ट में कहा गया कि रूस ने यूक्रेन पर परमाणु हमले के लिए 24 घंटे की डेडलाइन दी है।
- एक चैनल ने 18 अप्रैल 2022 को ही कई आधारहीन सनसनीखेज तरीके से ‘परमाणु पुतिन से परेशान जेलेंस्की’ शीर्षक वाली खबरें चलाई गईं। इस चैनल ने कई अपुष्ट दावे किए और विदेशी एजेंसियों का गलत उद्धरण दिया कि- ‘आधिकारिक रूसी मीडिया ने कहा है कि तीसरा विश्व युद्ध शुरू हो चुका है।’ चैनल ने झूठे दावे के साथ वीडियो दिखाया कि रूसी राष्ट्रपति अपने साथ न्यूक्लियर ब्रीफकेस लेकर चल रहे हैं।
- 19 अप्रैल 2022 को एक चैनल ने परमाणु युद्ध पर सनसनीखेज दावा किया। हेडलाइन बनाई, ‘न्यूक्लियर निशाना, हैरतअंगेज खुलासा वर्ल्ड वॉर का।’
- एक प्रमुख चैनल ने ‘यूक्रेन से पुतिन का परमाणु प्लान तैयार?’ हेडिंग के साथ दर्शकों को भ्रमित किया। यह चैनल बार-बार ऐसे भ्रमित करने वाली और अनरिलेटेड टैगलाइन लगाता रहा है।
- 19 अप्रैल 2022 को एक चैनल ने प्राइम टाइम के दौरान अटकलों पर कमेंट्री की कि ‘एटम बम गिरेगा? तीसरा विश्व युद्ध शुरू होगा।’
- 20 अप्रैल को ‘Mariupol Finished! Full and final’ और ‘ये रात कयामत वाली है?’ जैसे शीर्षकों के साथ झूठे दावे किए।
- Mykolaiv से रिपोर्टिंग करते हुए एक चैनल के पत्रकार ने कई झूठी बातें कहीं। उन्होंने ‘रूस परमाणु हमला कब करेगा? कहां करेगा?’ जैसी बात कही। टैगलाइन लगाई गई ‘विश्व युद्ध के मुहाने पर दुनिया।’
निष्कर्षः
भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय की एडवाइजरी से साफ पता चलता है कि भारतीय न्यूज चैनलों ने तथ्यहीन, भ्रामक और गलत उद्धरण के साथ खबरें चलाईं। इन चैनलों द्वारा दिल्ली दंगे के नफरती और भड़काऊ कवरेज से पूरे देश की शांति और कानून व्यवस्था के बिगड़ने का खंतरा हो सकता था। सवाल है कि गलत सूचनाओं की सत्यता की जांच के लिए लोग मीडिया पर भरोसा करते हैं। मीडिया में दिखाई गई खबरों को सच मानते हैं, लेकिन जब इन्हीं मीडियावालों से गलत, तथ्यहीन और भ्रामक खबरें चलाई जाएंगी तो देश की जनता को सही सूचना कैसे मिलेगी। देखा जाए तो रूस-यूक्रेन संघर्ष में युद्ध भड़काने का अपराध करने वाले इन चैनलों ने देश में ना सिर्फ सांप्रदायिकता को भड़काने का अपराध किया है बल्कि लोगों को भ्रमित और गलत सूचनाएं देने का भी अपराध किया है।