सोशल मीडिया पर कथित रूप से जेएनयू हॉस्टल की एक तस्वीर वायरल हो रही है। तस्वीर को लेकर दावा किया गया कि ये जेएनयू में जम्मू-कश्मीर हॉस्टल नाम की एक इमारत है। जिसका निर्माण सिर्फ जेएनयू में पढ़ने वाले जम्मू-कश्मीर के छात्रों के लिए किया गया।
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वायरल तस्वीर के साथ लिखा गया है कि ‘ यह एक फाइव स्टार होटल नहीं बल्कि 2012 में कांग्रेस सरकार द्वारा जेएनयू में जम्मू-कश्मीर के छात्रों के लिए बनाया गया हॉस्टल है। हॉस्टल में हिन्दू और अन्य धर्मों के छात्र नहीं रह सकते। मुसलमान छात्र भारतीयो के टेक्स के पैसों पर फ्री में रह सकते है और पढ़ाई कर सकते है। पढ़ाई पूरी करने के बाद वे भारत के खिलाफ नारेबाजी कर सकते है। कांग्रेस किस तरह से सेक्युलर पार्टी है?
इस तस्वीर को अन्य यूजर ने भी कांग्रेस पर सवाल उठाते हुए शेयर किया है।
फैक्ट चेक
उपरोक्त दावे की जांच के लिए हमने वायरल तस्वीर को रिवर्स सर्च इमेज करने पर पाया कि यह तस्वीर हमें कश्मीर टुडे द्वारा अपने पेज पर की गई एक पोस्ट मिली। इस पोस्ट में हॉस्टल की कई तस्वीर शेयर की गई। साथ ही इन तसवीरों के साथ केप्शन दिया गया कि यह तस्वीर जामिया इस्लामिया में जम्मू-कश्मीर हॉस्टल की है।
इस सबंध में कुछ और जानकारी हासिल करने पर हमें दी हिन्दू की एक रिपोर्ट मिली। जिसमे बताया गया कि हॉस्टल की योजना पहली बार 2012 में कल्पना की गई थी, जब जामिया और गृह मंत्रालय के बीच एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए थे।
हॉस्टल को गृह मंत्रालय द्वारा जामिया इस्लामिया विश्वविद्यालय और जम्मू-कश्मीर सरकार के बीच एक हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापन के माध्यम से वित्त पोषित किया जाता है।
वहीं जामिया के हॉस्टल मैनुअल के अनुसार, हॉस्टल में प्रवेश का मापदंड सिर्फ योग्यता है। धर्म के आधार पर मुफ्त आवास का कोई उल्लेख नहीं है। छात्रावास में किराए की छूट सिर्फ शारीरिक रूप से विकलांग छात्रों के लिए ही है। साथ ही जिनके माता-पिता की वार्षिक आय 1.50 लाख रुपये प्रति वर्ष से अधिक नहीं है।
अत: वायरल तस्वीर के जेएनयू हॉस्टल होने का दावा फेक है। साथ ही इस हॉस्टल का उदघाटन कांग्रेस के शासन में नहीं बल्कि 2017 में भाजपा सरकार के शासन में हुआ था। साथ ही हॉस्टल में मुस्लिम मुस्लिम छात्रों या जम्मू-कश्मीर के छात्रों के लिए कोई मुफ्त आवास की सुविधा नहीं है।