सोशल मीडिया पर नफरत का प्रसार और प्रचार आम बात हो चुकी है। हर दिन धर्म और जातियों को लेकर यहां गाली-गलौज, फूहड़ता और सांप्रदायिकता वाले कंटेंट को परोसा जा रहा है। यहां उन लोगों को टारगेट किया जाता है, जो इस नफरत के खिलाफ फैक्ट चेक, खोजी, सूचनात्मक और सच्चे मायनों में पत्रकारिता करते हैं। इन नफरती जंतुओं का सबसे आसान चारा महिला पत्रकार होती है। हमारी टीम द्वारा पहले भी महिलाओं पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और लेखकों को टारगेट किए जाने का विश्लेषण किया जा चुका है। जिसे यहां क्लिक करके पढ़ा जा सकता है- दक्षिणपंथियों द्वारा ट्रोल होतीं, सोशल मीडिया पर मुखर होने वाली महिलाएं
वहीं लगातार मुस्लिम महिलाओं और खासकर उनको, जो सोशल मीडिया पर सक्रिय हैं। मुस्लिम महिलाओं को पहले #SulliDeals ऐप के जरिए निशाना बनाया गया। अब #BulliBai ऐप के जरिए निशाना बनाया गया है। ये ऐप्लीकेशन ओपन-सोर्स कोड रिपॉजिटरी गिटहब (GitHub) पर बनाए गए हैं। इस ऐप का इस्तेमाल मुस्लिम महिला पत्रकारों, सोशल एक्टिविस्टों और लेखकों की तस्वीरों को नीलामी के लिए पोस्ट किया गया है, जो कि उनके सोशल मीडिया अकाउंट से चोरी-छिपे डाउनलोड किए गए थे।
इस नीलामी इन महिलाओं को शारीरिक तौर पर नुकसान तो नहीं हुआ है, लेकिन उनके सामाजिक जीवन को प्रभावित करने की कोशिश जरूर की गई है। उनके लिए ऐसी-ऐसी संज्ञाएं दी गई हैं, जो उनको अपमान का बोध करवाती हैं साथ ही उनको मानसिक तौर पर प्रताड़ित भी करती है।
इस पूरे मामले को लेकर सोशल मीडिया पर कुछ लोगों ने बड़े ही शातिराना तरीके से अपने “हेट” और “सांप्रदायिकता” का एजेंडा खुलकर खेला है। इनलोगों ने इस्लामोफोबिया, लव जिहाद और एंटी मुस्लिम एंगल देकर कई ट्वीट और रिट्वीट किए। हमारे विश्लेषण में एक खास पैटर्न ये भी देखने को मिला है कि सोशल मीडिया के यूजर्स ने एक पोस्ट को खूब कॉपी-पेस्ट किया है।
क्या है विवाद?
1 जनवरी 2022 को पूरी दुनिया ने नए साल का इस्तकबाल किया। इसी दिन गिटहब पर एक ऐप्लीकेशन बनाया गया, जिले बुल्ली बाई (#BulliBai) नाम दिया गया। इस वेबसाइट पर सोशल मीडिया पर एक्टिव सैकड़ों मुस्लिम महिलाओं की फोटो को नीलामी के लिए पोस्ट किया गया। इन महिलाओं के फोटो कैप्शन- “Your Bulli Bai of the day is” जिसका हिन्दी अनुवाद “आज के लिए आपकी बुल्ली बाई” के साथ ऐप्लीकेशन पर पोस्ट किया गया था। इस पोस्ट में इन मुस्लिम महिलाओं की कीमत भी लगाई गई थी, जो रुपए में नहीं बल्कि पैसे में थी।
1 जनवरी 2022 को यह मामला तब सामने आया जब ‘द वायर’ न्यूज वेबसाइट की महिला पत्रकार इस्मत आरा ने खुलासा किया। दरअसल इस्मत आरा की भी फोटो इस बुल्ली बाई एप पर डाली गई थी। ट्वीटर पर इस्मत ने लिखा- “यह बहुत दुख की बात है कि एक मुस्लिम महिला के रूप में आपको अपने नए साल की शुरुआत इस डर और घृणा के साथ करनी पड़ रही है। बेशक यह बिना कहे चला जाता है कि #sullideals के इस नए संस्करण में मुझे निशाना बनाया जाने वाला अकेला नहीं है। आज सुबह एक मित्र द्वारा भेजा गया स्क्रीनशॉट। नववर्ष की शुभकामनाएं।”
इस्मत के इस खुलासे के बाद सोशल मीडिया पर इस ऐप की आलोचना होने लगी। सोशल मीडिया पर लोगों ने इस एप्लिकेशन को तत्काल बंद करने और आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने लगे। जिसके बाद इस एप्लिकेशन को सस्पेंड कर दिया गया, साथ ही इस एप जुड़े ट्विटर अकाउंट्स को भी सस्पेंड कर दिया गया है।
इस पूरे मामले की हमारी टीम ने इन्वेस्टीगेटिव रिसर्च किया है। जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। हमारी रिसर्च में इस एप को शुरु करने वाले लोग और उनके ट्विटर अकाउंट्स का अध्ययन किया गया।
GitHub क्या है?
GitHub एक अमेरिकी कंपनी है, जिसे 8 फरवरी 2008 को लॉन्च किया गया था। इसमें कई प्रकार के सॉफ्टवेयर बनाए जा सकते हैं। गिटहब एक ओपन-सोर्स कोड रिपॉजिटरी प्लेटफॉर्म है। यूजर्स इसके जरिए एप्लिकेशन बना सकते हैं। GitHub की सहायता से एक छोटी Website को भी Host किया जा सकता है। यहां पर लोग अपने द्वारा बनाए गए एप्लिकेशन को बेच भी सकते हैं।
“बुल्ली” का अर्थ
कई रिपोर्ट के मुताबिक क्षेत्रीय भाषाओं में “बुल्ली” शब्द को मुस्लिम महिलाओं को अपमानित करने के लिए गाली के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। इस शब्द को औमतौर पर लोग उत्तरी भारत के राज्यों में ज्यादा इस्तेमाल करते हैं।
#BulliBai को शुरु करने वाले अकाउंट्सः
बुल्ली बाई को शुरु करने वाला अकाउंट बुल्ली बाई (@bullibai_) ही है। हालांकि इस अकाउंट को अब ट्वीटर ने सस्पेंड कर दिया है। लेकिन हमारी टीम ने इस अकाउंट का आर्काइव निकाला है। इस ट्विटर अकाउंट की जांच पता चलता है कि इसे दिसबंर 2021 में बनाया गया था। यानी कि बुल्ली बाई एप्लिकेशन की शुरुआत करने से पहले इस अकाउंट को बनाया गया था। इस अकाउंट की ट्विटर आईडी Id = 1476907464373452802 है। इस आईडी का आर्काईव वर्जन इस लिंक पर क्लिक करके देखा जा सकता है।
इस ट्वीटर अकाउंट पर किसी सिख धर्म के व्यक्ति जैसे दिखने वाले कैरिकेचर को लगाया गया। इसके अलावा कवर फोटो में #FREEJAGGINOW लिखा गया है। वहीं उसने अपने बायो में लिखा है- Bulli Bai is a community-driven open-source app by Khalsa Sikh Force (KSF). जिसका हिन्दी अनुवाद है- “बुल्ली बाई खालसा सिख फोर्स (केएसएफ) द्वारा समुदाय संचालित ओपन सोर्स ऐप है।”
दूसरा यूजर-
Khalsa Warrior नाम का अकाउंट जिसकी आईडी @jattkhalsa7 है। इस अकाउंट को भी दिसंबर 2021 में बनाया गया था। इस अकाउंट को भी सस्पेंड कर दिया गया है, लेकिन इसने अपने ट्विटर अकाउंट में एप्लिकेशन आईडी Bullibai.github.io का लिंक मेंशन किया हुआ है। इसने अपने पिन किए गए ट्वीट में लिखा है- “I believe in Bulli Bai Supremacy” जिसका हिन्दी अनुवाद है “मैं बुल्ली बाई की सर्वोच्चता में विश्वास करता हूं”।
यहां हम आपको बता दें कि इन अकाउंट्स को आर्काईव कर लिया गया है और तमाम राज्यों की पुलिस द्वारा इनकी जांच जारी है। इनकी सत्यता की पुष्टि पुलिस की जांच के ही पता हो सकती है।
हिन्दू–मुस्लिम के बीच फैला “हेट एजेंडा”
इस मुद्दे पर सोशल मीडिया के यूजर्स एक दूसरे के खिलाफ हेट और नफरत फैलाने में लगे रहे। हिन्दू समुदाय से होने का दावा करने वाले यूजर्स ने बुल्ली डील्स पर लव जिहाद का एंगल जोड़ते हुए सवाल किया ऐसा गुस्सा लव जिहाद के मामलों में क्यों नहीं दिखता है। इन यूजर्स का ये भी सवाल था कि लव जिहाद में गैर मुस्लिम लड़कियों के रेट तय करने पर गुस्सा क्यों नहीं दिखाया जाता है। किसी “अब्दुल” के लव प्रपोजल को स्वीकार करने पर एक हिन्दू लड़की की हत्या पर गुस्सा क्यों नहीं दिखाया जाता है।
वहीं इन दावों की जांच में सामने आया है कि किसी भी लड़की की हत्या अब्दुल द्वारा लव प्रपोजल इनकार करने पर नहीं की गई थी। हालांकि अब्दुल द्वारा हिन्दू लड़की के साथ धोखेबाजी की घटना जरूर हुई थी। जिसको दैनिक भास्कर अखबार द्वारा कवर किया गया था।– खबर का लिंक- (https://www.bhaskar.com/local/uttar-pradesh/lucknow/news/muslim-youth-took-away-hindu-girl-in-barabanki-128641809.html)
मुस्लिम नाम वाले यूजर्स द्वारा भी इस मामले पर हिन्दू समुदाय के खिलाफ टिप्पणियां की गईं। एक यूजर ने इस मामले पर द्रौपदी का उदाहरण देते हुए टिप्पणी की। वहीं एक अन्य यूजर ने बुल्ली बाई के लिए आरएसएस को जिम्मेदार ठहराया। हालांकि इस मामले पर पुलिस की अभी जांच चल रही है और आरएसएस से कोई लिंक नहीं मिला है।
वर्डक्लाउडः
यहां पर सोशल मीडिया यूजर्स द्वारा ट्वीटर पर इस्तेमाल किए गए शब्दों का एक वर्डक्लाउड दिया गया है। जिससे पता चलता है कि वे कौन से शब्द थे, जो ट्वीट्स में सबसे ज्यादा बार इस्तेमाल किए गए थे। ज्यादातर हैशटैग #BulliBai और #BlliDeals थे। सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले शब्द ‘Muslim Women’, ‘Sulli Deals’, ‘Bulli Bai’, ‘FIR’, ‘Auction’, ‘Strict Action शामिल थे।
मेंशनः
सोशल मीडिया के ज्यादातर यूजर्स इस मामले पर आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई चाहते थे। उन्होंने इस मुद्दे नेताओं, अधिकारियों और पुलिस का ध्यान आकर्षित करने के लिए टैग और मेंशन किया था। @narendramodi का अधिकतम बार उल्लेख किया गया जहां लोग उन्हें टैग कर रहे थे और प्रधानमंत्री से कार्रवाई करने का अनुरोध कर रहे थे। वहीं @delhipolice, @nargisbano_ और @priyankac19 को भी कई बार मेंशन किया गया था।
हैशटैग का इस्तेमाल:
इस ट्रेंड में हैशटैग का इस्तेमाल किया गया था। कुछ लोग वो थे जिन्होंने इसके समर्थन में हैशटैग का इस्तेमाल किया था। वहीं कुछ लोग ऐसे थे, जिन्होंने इसके खिलाफ हैशटैग चलाए और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। #BulliDeals और #BulliBai हैशटैग के अलावा कुछ अन्य हैशटैग का भी उपयोग किया गया था, उदाहरण के लिए, #SulliDeals, #SpeakUpAgainstBulliDeals, #Github, #MuslimWomen सहित हैशटैग थे, ट्वीट किए गए थे।
सबसे ज्यादा ट्वीट और रिप्लाई करने वाले अकाउंट्स की जांचः
नीचे दिए गए ग्राफ़ से पता चलता है कि हैशटैग पर सबसे अधिक बार ट्वीट करने या जवाब देने वाले अकाउंट कौन थे। @TimesNow, @Vishwa71843138 ने ज्यादातर हैशटैग के बाद @ansariizharali, @MirrorNow, आदि ने ट्वीट किए।
निष्कर्षः
बुल्ली बाई ऐप के माध्यम से सोशल मीडिया पर मुखर होकर अपनी बात रखने वाली मुस्लिम महिला पत्रकारों, सोशल एक्टिविस्टों और लेखिकाओं को निशाना बनाया गया है। यह कदम उनकी छवि को धूमिल करने जैसा है। इस मामले पर पुलिस की जांच जारी है। पुलिस ने दो अभियुक्तों को गिरफ्तार भी कर लिया है। हालांकि सोशल मीडिया पर इस मामले पर भी हेट और नफरत देखने को मिली है। सोशल मीडिया के यूजर्स ने बिना किसी जांच के पूरा हुए आरोप-प्रत्यारोप लगाने में लगे रहे।