ट्रांस यूनियन द्वारा किए गए शोध में भारत में होने वाले ऑनलाइन फ्रॉड का खुलासा हुआ है। इस शोध में पता चला कि भारत में ऑनलाइन फ्रॉड किस तरह अपनी पैंठ बनाता जा रहा है। ट्रांस यूनियन के शोध में सामने आए तथ्यों से पता चलता है कि मार्च 2020 से मार्च 2021 तक इन मामलों की संख्या में 28.3% की वृद्धि हुई। इसी शोध में यह भी पता चला कि देश में घोटालेबाजों द्वारा किस तरह के घोटाले किए जा रहे हैं।
शोध के अनुसार, धोखाधड़ी के प्रयासों में 224% की वृद्धि हुई। इसमें ऑनलाइन खाने की डिलीविरी भी शामिल हैं। इसमें सामने आया कि घोटाले का का एक तरीका यह था कि पैकेज उनके सही मालिकों तक पहुंचने से पहले ही इंटरसेप्ट कर दी जाती थी। एक अन्य विधि ने उपयोगकर्ताओं की जानकारी को ट्रैक किया और उन्हें एक नकली पैकेज भेजा और असली माल को घोटालेबाज के दिए गए पते पर पहुंचा दिया। ऑनलाइन फ्रॉड की बढ़ती संख्या के लिये COVID-19 महामारी को भी जिम्मेदार ठहराया जा सकता है, क्योंकि लॉकडाउन के दौरान ऑनलाइन खरीदारी अक्सर घरों का एक अनिवार्य हिस्सा बन गई है।
क्रेडिट कार्ड फ्रॉड
कोरोना महामारी में अक्सर लोगों के साथ क्रेडिट कार्ड डेटा धोखाधड़ी भी दुनिया भर में तीन गुना बढ़ गई, अक्सर ऐसा हुआ कि क्रेडिट कार्ड धारकों को उनके खातों ने अचानक उन्हें लेनदेन दिखाया जो उन्होंने कभी नहीं किया था। इसे आइडेंटिटी चोरी के साथ भी जोड़ा गया था, जहां स्कैमर्स किसी और के होने का दिखावा कर रहे थे, जिसमें ओएलएक्स और क्विकर जैसी वेबसाइटों पर अनजान ग्राहकों को धोखा देने के लिए फर्जी सरकारी दस्तावेज उपलब्ध कराना तक शामिल था। 2020 से 2021 तक आइडेंटिटी फ्रॉड में भी 89% की बढ़ोतरी हुई।
ट्रांस यूनियन ने जो डेटा जमा किया है वह व्यापक है। इनमें 1 अरब तरह की और 40 हज़ार वेबसाइट में लेन देन की डिटेल शामिल हैं। जबकि डेटा केवल धोखाधड़ी के प्रयासों के मामलात को जमा किया गया है। कोरोना महामारी के कारण धोखाधड़ी की बढ़ी हुई संख्या का अनुमान लगाना आसान था।
यहां ध्यान में रखने वाली चिंताजनक बात यह है कि भारत सहित दुनिया के अधिकांश हिस्सों में महामारी प्रतिबंधों में काफी ढील दी गई है। लॉकडाउन प्रतिबंधों में ढील के बावजूद, घोटालों के प्रयास का प्रतिशत कम नहीं हुआ। इसका मतलब यह है कि जब GooglePay और PayTm जैसे भुगतान गेटवे का उपयोग करने की बात आती है तब तकनीकी जानकारी की कमी के कारण लोगों का लाभ उठाने में घोटालेबाज सक्षम हैं। इन घोटालों को रोकने के लिए कदम उठाए गए हैं लेकिन अभी भी पेमेंट गेटवे के इस्तेमाल को लेकर जागरूकता की कमी है।