कट्टर वहाबी और सलाफ़ी स्कॉलर डॉ. जाकिर अब्दुल करीम नाइक उर्फ डॉ जाकिर नाइक की संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ़) पर लगे प्रतिबंध को भारत सरकार ने एक बार फिर से पाँच सालों के लिए बढ़ा दिया है। बता दें कि भारत सरकार ने आईआरएफ़ को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) 1967 की धारा 3 (1) के प्रावधानों के तहत गैरकानूनी घोषित किया हुआ है।
हाल ही में आईआरएफ़ पर लगे प्रतिबंध की जांच के लिए गृह मंत्रालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल की अध्यक्षता में एक ट्रिब्यूनल का गठन किया था। जिसने जांच में आईआरएफ़ पर लगे प्रतिबंध को सही पाया। गृह मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार ज़ाकिर नाईक और उसकी संस्था आईआरएफ़ देश की सुरक्षा से खिलवाड़ करने, शांति और सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाने, युवाओं को आतंकी कृत्यों के लिए प्रोत्साहित करने वाली गतिविधियों में लिप्त है।
अधिसूचना में कहा गया कि जाकिर नाईक अपनी कट्टर विचारधारा का प्रचार अपने दो सेटेलाइट चैनल पीस टीवी और पीस टीवी के जरिये करता है। लाखों-करोड़ों युवा ज़ाकिर नाईक के बयान को देखते है। हालांकि भारत सहित बांग्लादेश, श्रीलंका, कनाडा और यूनाइटेड किंगडम आदि में दोनों चैनल प्रतिबंधित है। इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी ज़ाकिर नाईक और उसकी संस्था आईआरएफ़ का एक बड़ा नेटवर्क है। भारत में ज़ाकिर नाईक और आईआरएफ़ के आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट को बैन किया हुआ है। बावजूद ज़ाकिर नाईक भारत से जाने से पहले ही देश में अपना एक नेटवर्क स्थापित कर चुका था जो उसकी विचारधारा के प्रचार-प्रसार में लिप्त है। ये नेटवर्क एक व्यवस्थित तरीके से काम करता है। इसका विश्लेषण हम पार्ट 1 : जाकिर नाईक का संगठन प्रतिबंधित लेकिन उसका मिशन अब भी जारी में कर चुके है। जिसमे बताया गया कि कैसे न केवल जमीनी स्तर पर बल्कि सोशल मीडिया विशेषकर ट्विटर पर पर ज़ाकिर नाईक की कट्टर विचारधारा का प्रसार करता है बल्कि समय-समय पर ज़ाकिर नाईक पर हो रही कानूनी कार्रवाई को मुस्लिम समुदाय पर एक अत्याचार के तौर पर प्रदर्शित किया जाता है। जिसमे मुस्लिम समुदाय विशेषकर युवाओं को एक संदेश देने की कोशिश की जाती है कि यदि ज़ाकिर नाईक जैसा व्यक्ति भारत में सुरक्षित नहीं है तो फिर एक आम मुसलमान कैसे सुरक्षित रह सकता है?
ऐसे में अब हम इस पार्ट में कुछ और ट्विटर अकाउंट का विश्लेषण करेंगे। जो बड़े सलाफ़ी संगठन और उनके प्रमुखों के है। ये भारत में जाकिर नाईक के समर्थक माने जाते है।
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फैजान इब्न सिराजुद्दीन
(@ibnsirajuddin )
फैजान इब्न सिराजुद्दीन का ट्विटर पर @ibnsirajuddin के नाम से ट्विटर हेंडल है। जो बेहद ही सीक्रेट तौर पर कार्य कर रहा है। इस अकाउंट के बारे में अहमदाबाद से सक्रिय होने के आलवा कोई विशेष जानकारी नहीं है। ट्विटर पर अकाउंट की प्रोफाइल पिक्चर पर भी फेक है। लेकिन ये ज़ाकिर नाईक और आईआरएफ़ के समर्थक में कई ट्वीट करते हुए पाया गया है।
उपरोक्त सभी ट्वीट का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि ये सभी ट्वीट जाकिर नाईक के जुलाई 2016 में भारत से फरार होने के बाद किए गए है। ट्वीट देखने से ही स्पष्ट हो जाता है कि जाकिर नाईक को मुस्लिमों के मसीहा के तौर पर दिखाने की कोशिश की गई है। जिसे भारत में मुस्लिमों के लिए आवाज उठाने पर निशाना बनाया गया है। इसके साथ ही ये भी साबित करने की कोशिश की गई ज़ाकिर नाईक आतंकवाद के खिलाफ है। इन सभी ट्वीट में #SupportZakirNaik हेशटेग का इस्तेमाल किया गया। जो ज़ाकिर नाईक के लिए समर्थन जुटाने की पुष्टि करता है।
फैजान इब्न सिराजुद्दीन के टाइमलाईन का विश्लेषण
टाइमलाइन से पता चलता है कि फैजान जून 2016 से 2017 के बीच सबसे ज्यादा एक्टिव रहा।
नीचे दिए गए वर्डक्लाउड से पता चलता है कि फैजान इब्न सिराजुद्दीन के ट्वीट्स में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए शब्द “जाकिर नाइक”, “मुस्लिम”, “इंडिया”, “अल्लाह”, आदि रहे।
दिए गए ग्राफ से पता चलता है कि फैजान ने सबसे ज्यादा 140 से अधिक बार @peace_moin को मेंशन किया, उसके बाद @aidcaofficial और @aidcamedia का क्रमशः 62 और 60 मेंशन किया गया
दिए गए ग्राफ़ से पता चलता है कि फैजान ने 190 से अधिक काउंट के साथ #SupportZakirNaik हैशटैग का सबसे अधिक बार उपयोग किया, इसके बाद #RapeForBeef और #Qurbani का नंबर रहा।
दिया गया ग्राफ दिखाता है कि फैजान इब्न सिराजुद्दीन के फॉलोवर में से @YasirPost, @PeaceMoin और @TakeNoteOK प्रमुख हैं।
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ICGF
ICGF का पूरा नाम इस्लामिक कॉल एंड गाइडेंस फाउंडेशन (ICGF) है। जो एक गैर-लाभकारी इस्लामिक संगठन है। आईसीजीएफ़ भी गुजरात के अहमदाबाद से ही संचालित होता है। संगठन का दावा है वह ईश्वर की एकता के माध्यम से समाज में शांति को बढ़ावा देता है। आईसीजीएफ़ महाराष्ट्र के मुंबई से संचालित होने वाले आल इंडिया दावा सेंटर एसोसिएशन (AIDCA) से जुड़ा हुआ है। एआईडीसीए भी जाकिर नाईक की विचारधारा के प्रसार में लिप्त पाया गया है। एआईडीसीए ट्विटर पर @AIDCAofficial और @AidcaMedia अकाउंट के साथ एक्टिव है। एआईडीसीए ने जाकिर नाईक के समर्थन में #ZakirsLetterToIndians और #JusticeToZakir ट्रेंड कराया था। दोनों ही अकाउंट का हम पार्ट 1 : जाकिर नाईक का संगठन प्रतिबंधित लेकिन उसका मिशन अब भी जारी में विश्लेषण कर चुके है।
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ICGF द्वारा जाकिर नाईक के समर्थन में जुलाई 2016 के शुरुआत में ही मुहिम चलाई गई। इन सभी ट्वीट में #SupportZakirNaik हेशटेग का इस्तेमाल किया गया। इसके बाद #ZakirsLetterToIndians का प्रयोग किया गया। इन में से कई ट्वीट ऐसे है जिनको फैजान इब्न सिराजुद्दीन (@ibnsirajuddin) के अकाउंट से भी ट्वीट किया गया। इन ट्वीट में भी जाकिर नाईक को मुस्लिमों के मसीहा के तौर पर और आतंकवाद के विरोधी दिखाने की कोशिश की गई है। इसके अलावा सबसे खास बात ये रही कि इस दौरान #AIDCASupportZakirNaik हेशटेग का भी इस्तेमाल किया गया। जो ट्वीट नंबर -7 में देखा जा सकता है। साथ ही ज़ाकिर नाईक द्वारा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने वाले विडियो को भी बड़ी प्रमुखता से वायरल किया गया। इस विडियो को ट्वीट नंबर – 9 में देखा जा सकता है।
ICGF के टाइमलाईन का विश्लेषण
टाइमलाइन से पता चलता है कि यह अकाउंट जुलाई से दिसंबर 2017 के बीच ज्यादतर एक्टिव रहा।
यह वर्डक्लाउड बताता है कि इस अकाउंट के ट्वीट्स में सबसे ज्यादा “जाकिर नाइक”, “मोइनुद्दीन इब्न”, “मुस्लिम”, “इब्न नसरुल्ला”, आदि शब्दों का इस्तेमाल किया गया।
नीचे दिया गया ग्राफ उन अकाउंट के बारे में बताता है जिनको peace_icgf के ट्वीट में मेंशन किया गया है। इस दौरान @aidcaOfficial को सबसे अधिक बार मेंशन किया गया। इसके बाद @peace_moin और @aidcamedia को मेंशन किया।
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- हैशटैग का इस्तेमाल
इस अकाउंट के जरिये जिन हैशटैग का सबसे अधिक उपयोग किया गया उनमें #PeaceIndia2016 के बाद #IsraelKiHaqeeqat, #SupportZakirNaik शामिल हैं।
ICGF के फॉलोवर में कुछ बड़े अकाउंट भी शामिल हैं, जैसे @SenRehmanMalik, @YasirPost, @PeaceMoin, आदि।
मोईन इब्न नसरुल्लाह (@PeaceMoin)
गुजरात के अहमदाबाद के रहने वाला मोइनुद्दीन नसरुल्लाखान पठान उर्फ मोइनुद्दीन इब्न नसरुल्ला जाकिर नाईक का कट्टर समर्थक है। जो स्वयं को इस्लाम और सामाजिक-राजनीति पर एक लेखक और वक्ता के रूप में खुद को संबोधित करता है। वह अपने कालेज के दिनों से ही जाकिर नाईक से प्रभावित रहा है। अहमदाबाद सहित वह देश भर में ज़ाकिर नाईक की विचारधारा को सेमीनारों के जरिये फैलाता है। वह अल-मिजान गारमेंट्स (प्राइवेट) लिमिटेड का निदेशक हैं, और इस्लामिक कॉल एंड गाइडेंस फाउंडेशन के संस्थापक-अध्यक्ष हैं। इसके अलावा वह अल-फलाह इस्लामिक स्कूल, अहमदाबाद के संस्थापक-निदेशक भी हैं, जिसकी स्थापना वर्ष 2015 में हुई थी। साथ ही वह ICGF के साथ Aidca भी जुड़ा हुआ है। ढाका में आतंकवादी हमले के बाद मोइनुद्दीन ने ज़ाकिर नाईक का खुलकर बचाव किया था। वह कई मीडिया डिबेट में ज़ाकिर नाईक का समर्थन करते हुए पाया गया। जिसमे 26-7-2016 को आज तक चैनल का हल्ला बोल कार्यक्रम प्रमुख है। इसके अलावा ट्विटर पर भी मोइनुद्दीन ने ज़ाकिर नाईक और उसकी संस्था आईआरएफ़ का खूब समर्थन किया।
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मोईन इब्न नसरुल्लाह की टाइमलाइन का विश्लेषण
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टाइमलाइन
पीसमोइन की टाइमलाइन से पता चलता है कि वह दिसंबर 2019 – जून 2020 की अवधि के बीच बड़ा एक्टिव रहा। इस दौरान बड़ी संख्या में ट्वीट किए हैं।
वर्डक्लाउड से पता चलता है कि इस अकाउंट के ट्वीट में “इंडियन”, “कश्मीर”, “मुस्लिम”, “विरोध”, “पुलिस” आदि शब्दों का बहुत उपयोग किया गया।
पीसमोइन ने @YasirPost को सबसे अधिक 100 बार मेंशन किया है, उसके बाद स्वयं को और फिर @comlearn_islam को मेंशन किया है।
पीस मोइन ने #Islamophia_in_India, #KnowIslam, #SharjeelourLeader, आदि हैशटैग का बड़ी संख्या में उपयोग किया है।
पीसमोइन के 24 हजार फॉलोअर्स हैं। उनके फॉलोअर्स में कई बड़े खाते शामिल हैं, जो इस प्रकार हैं, @मिलिगाज़ेट, @TANYA__GAUTAM, @Muskan_Siddi, आदि।
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सुबाई जमीयत अहले हदीस मुंबई
सुबाई जमीयत अहले हदीस एक एक गैर-लाभकारी संगठन (एनजीओ) है। जो मुंबई के कुर्ला से संचालित होता है। ये संगठन भी जाकिर नाईक और उसकी कट्टर विचारधारा का समर्थक है। संगठन को ज़ाकिर नाईक का समर्थन करते हुए पाया गया है। संगठन ने ज़ाकिर नाईक और उसकी संस्था पर लगे प्रतिबंध को हटाने की मांग को लेकर भी पत्र जारी किया था।
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सुबाई जमीयत अहले हदीस की टाइमलाइन का विश्लेषण
जमीयत सुबाई का ट्विटर अकाउंट अक्टूबर 2015 में बनाया गया था, तब से ही ये लगातार एक्टिव है।
नीचे दिए गए ग्राफ से पता चलता है कि जमीयत सुबाई के ट्वीट में कौन से हैशटैग का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया गया।
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परवेज़ खान
परवेज़ खान कथित तौर पर स्टूडेंट्स इस्लामिक ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इंडिया (SIO) का कार्यकर्ता है। एसआईओ जमात ए इस्लामी का छात्र संगठन है। इसके अलावा वह स्वयं को अल खिदमत फाउंडेशन का फाउंडर भी बताता है। परवेज़ को भी जाकिर नाईक का समर्थन करते हुए पाया गया है।
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परवेज़ खान की टाइमलाइन का विश्लेषण
टाइमलाइन के विश्लेषण से पता चलता है कि यह अकाउंट दिसंबर 2019 से जनवरी 2020 की अवधि के दौरान सबसे ज्यादा एक्टिव रहा है।
वर्ड क्लाउड हमें बताता है कि इस अकाउंट के ट्वीट्स में सबसे ज्यादा “मुस्लिम”, “विरोध”, “भारत”, “पुलिस”, “सीएए”, “नागरिकता”, आदि शब्दों का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया गया हैं।
parvezsio के अकाउंट द्वारा जिस अकाउंट को सबसे ज्यादा मेंशन किया गया, उसमें @PeaceMoin 80 से ज्यादा बार टैग्स के साथ शामिल है। इसके बाद @anuragkashyap72 और @007qaqa का स्थान हैं।
नीचे दिए गए ग्राफ़ से पता चलता है कि इस अकाउंट द्वारा सबसे अधिक #WeSupportTahirHussain हैशटैग को 70 से अधिक बार इस्तेमाल किया गया, इसके बाद #AllahuAkbar, #ISupportTahirHussain, #IslamophobicIndianMedia, आदि का नंबर आता है।
इस अकाउंट के 973 फॉलोअर्स में से कुछ बड़े अकाउंट्स जो इस अकाउंट को फॉल करते हैं, उनमें @ela_mishra, @lmchaudhary, @SunilAh64145529, आदि शामिल हैं।
निष्कर्ष:
उपरोक्त सभी अकाउंट की जांच और विश्लेषण करने पर ये सभी अकाउंट एक-दूसरे से जुड़े हुए मिले। इन अकाउंट के द्वारा #SupportZakirNaik और #ZakirsLetterToIndians हेशटेग का कॉमन इस्तेमाल किया गया। सबसे विशेष ध्यान देने योग्य बाते ये है कि ज़ाकिर नाईक के समर्थन में किए गए कई ट्वीट का फार्मेट भी एक ही है। जिनमे से कुछ के वर्ड तो वर्ड एक जैसे देखे जा सकते है। मानो ऐसा प्रतीत होता है कि ज़ाकिर नाईक के समर्थन में मुहिम चलाने के लिए विशेष तौर पर एक टूलकिट जारी किया गया हो। सभी अकाउंट द्वारा किए गए मेंशन अकाउंट भी ज़्यादातर कॉमन है। इसके अलावा सभी वर्ड क्लाउड देखने से भी पता चलता है कि इन अकाउंट के द्वारा कॉमन वर्ड जाकिर नाईक, इंडिया, कश्मीर, आतंकवाद, सीएए, एनआरसी आदि इस्तेमाल किए गए है। कुछ अकाउंट के एक्टिव रहने की टाइमलाइन भी एक ही है।
उपरोक्त विश्लेषण से साबित होता है कि भारत में ज़ाकिर नाईक का नियोजित तरीके से समर्थन किया गया। जो न केवल जमीनी स्तर पर बल्कि सोशल मीडिया पर भी जारी रहा। ताकि भारत सरकार पर दबाव बनाया जा सके और ज़ाकिर नाईक और उसकी संस्था पर लगे बैन को वापस लेने के लिए विवश किया जा सके।