सोशल मीडिया वेबसाइट एक्स (पहले ट्विटर) एक ऐसा शक्तिशाली प्लेटफ़ॉर्म है, जिसके पूरी दुनिया में करोड़ों यूजर हैं। ‘स्टैटिस्टा’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर-2022 तक ट्विटर के पूरी दुनिया में 368 मिलियन सक्रिय ऑडियंस थे। वहीं इस प्लेटफॉर्म का दुरुपयोग करके लाखों यूजर रोज़ाना फेक न्यूज, भ्रामक न्यूज और हेट सामग्री फैलाते हैं। DFRAC हमेशा से ही ऐसे नफरत फैलाने वाले यूजर और हैशटैग की निगरानी करता आया है। हाल ही में सोशल मीडिया पर ऐसी कई कैम्पेन्स चलाए गए, जिसमें एक पूरे समुदाय को “दुश्मन” के रूप में पेश किया गया था।
इनमें से एक ऐसे ही यूजर हैं सुधीर मिश्रा, जिनका पसंदीदा विषय– सोशल मीडिया पर मुस्लिम विरोधी नफरत को फैलाना है।
आखिर DFRAC को सुधीर मिश्रा के अकाउंट के विश्लेषण की जरूरत क्यों हुई?
DFRAC पहले से ही उनके फेक और भ्रामक ट्वीट्स की जांच करता आया है। हमारी टीम ने उनकी कई पोस्ट के फैक्ट चेक किये है। लेकिन अपनी आदत से मजबूर सुधीर मिश्रा अब भी लगातार फेक न्यूज और हेट कंटेंट शेयर करते हैं और हमेशा की तरह मुस्लिम समुदाय और विपक्ष के नेताओं के खिलाफ पक्षपाती ट्वीट करते रहते हैं।
यह रिपोर्ट सुधीर मिश्रा की सोशल मीडिया पर फैलाई गई नफरत और घृणित मानसिकता को उजागर करती है। इस रिपोर्ट में हम निम्नलिखित बिन्दुओं को कवर करेंगे।
- कौन हैं सुधीर मिश्रा?
- सुधीर मिश्रा के द्वारा मुसलमानों के खिलाफ फैलाई गई फेक न्यूज का विश्लेषण
- विपक्षी नेताओं के खिलाफ फैलाई गई फेक न्यूज का विश्लेषण
- फेक न्यूज के प्रभाव का विश्लेषण
1. कौन हैं सुधीर मिश्रा?
सुधीर मिश्रा के ट्विटर पर बायो के अनुसार, वह स्वयं को पत्रकार और राष्ट्रवादी के रुप में संबोधित करते हैं। वह अपने फॉलोवर्स से आग्रह करते हुए कहते है कि उनके ट्वीट व्यक्तिगत हैं। हालांकि निजी राय और राष्ट्रवाद की आड़ में उनके ट्वीट्स नफरत भरे पैटर्न की एक अलग ही कहानी को उजागर करते हैं। उनकी नफरत भरी बहसों और अपनी मुस्लिम विरोधी टिप्पणियों ने दर्शकों की एक बड़ी संख्या को प्रभावित किया है।
हमने ट्विटर पर उनके पिछले 2 महीनों की इंगेजमेंट का विश्लेषण किया। हमने पाया कि मिश्रा के पास पर्याप्त फॉलोवर्स हैं, जो उन्हे बड़े पैमाने पर इंगेजमेंट प्रदान करते हैं। उनका अकाउंट लगातार एक्टिव रहता है। उन्होने 28 जून से 26 अगस्त, 2023 तक की दो महीने की अवधि में कुल 370 ट्वीट पोस्ट किये।
पिछले 2 महीने के उनके ट्वीट्स के कलेक्शन से पता चलता है कि उन्होंने अपने दर्शकों से एक महत्वपूर्ण जुड़ाव (Engagement) हासिल किया, जिसमें बड़ी संख्या में 813,000 लाइक्स, 274,000 रीट्वीट और 31,400 कमेंट्स शामिल हैं।
- पत्रकार या नफरती तत्व?
एक पत्रकार निष्पक्ष बहस शुरू करने के लिए निश्चित रूप से अपने दर्शकों से दिलचस्प सवाल पूछेगा। लेकिन सुधीर मिश्रा के ट्वीट केवल सांप्रदायिकता और मुस्लिम विरोधी बहस का आह्वान करते हैं।
यहां 22 अगस्त, 2023 को उनके द्वारा पोस्ट किया गया एक ट्वीट दिया गया है, जिसमें वह सवाल करते है कि “अंदाजा लगाओ कौन?” जब मैं कश्मीर गया तो मुझे कोई आतंकवादी नहीं दिखा,, और “अरुणाचल” गया,, तो चीनी सेना देखी??
ट्वीट के बाद चीन और अरुणाचल प्रदेश पर राहुल गांधी के हालिया बयान पर अपमानजनक और उपहासपूर्ण टिप्पणियां की गईं।
2. सुधीर मिश्रा के द्वारा मुसलमानों के खिलाफ फैलाई गई फेक न्यूज का विश्लेषण
सुधीर मिश्रा की फेक खबरों की सीरीज हमें उनके अकाउंट के विश्लेषण की तरफ ले जाती है। सुधीर मिश्रा द्वारा शेयर की गई फेक खबरों से जुड़े DFRAC द्वारा किये गए कई फैक्ट चेक यहाँ दिए जा रहे हैं-
- मुसलमानों के खिलाफ फैलाई गई फेक खबरें
दावा- सुधीर मिश्रा द्वारा दावा किया गया कि केंद्र सरकार जामा मस्जिद सहित 123 महत्वपूर्ण संपत्तियों को वापस ले लेगी जो कांग्रेस सरकार के दौरान “वक्फ बोर्ड” को दी गई थी।
फैक्ट चेक- जिस मस्जिद को इस सूची में शामिल किया गया है वह लाल किला के सामने वाली जामा मस्जिद नहीं, बल्कि एक अलग मस्जिद है, जो मध्य दिल्ली में स्थित है।
दावा- उन्होंने एक पुराना वीडियो फिर से इस दावे के साथ शेयर किया कि एक व्यक्ति द्वारा क्रूरतापूर्ण कृत्य करते हुए एक बुजुर्ग भिक्षु के बाल और दाढ़ी खींचते देखा जा सकता है। आगे बताते हुए कहा गया कि इस घटना को कुछ ‘विशेष समुदाय’ के लोगों ने अंजाम दिया है।
फैक्ट चेक– जब हमने जांच की तो पाया कि इस वीडियो पर हमारी टीम द्वारा 31 मई, 2022 को एक फैक्ट चेक किया गया था। वीडियो 24 मई, 2022 का खंडवा, मध्य प्रदेश का था। आरोपी मुस्लिम नहीं बल्कि हिन्दू समुदाय के थे।
दावा-उन्होंने दावा किया कि बुलन्दशहर में एक मस्जिद के पास रहने वाले शफीक के घर में विस्फोट हुआ। घर में केमिकल से भरे ड्रम पाए गए और मृतक के शरीर के हिस्से दूर-दूर तक बिखरे हुए थे।
फैक्ट चेक– फैक्ट-चेक से पता चलता है कि ये सभी दावे झूठे थे।
(A) विस्फोट मस्जिद के पास नहीं, बल्कि भीड़ से दूर खेतों में स्थित एक घर में हुआ था।
(B) घर का मालिक शफीक नहीं, बल्कि सतीश था और उसने इसे राजकुमार को किराए पर दिया था, जो केमिकल फैक्ट्री चलाता था और विस्फोट में चार अन्य लोगों के साथ उसकी भी मौत हो गई थी।
दावा- उन्होंने दावा किया कि मोहम्मद गफ्फार के शरीर को “5 टुकड़ों” में काटकर नाले में फेंक दिया गया था, जो हिंदू लड़की के बलात्कार मामले में आरोपी था।
फैक्ट चेक– देवरिया पुलिस ने बयान जारी कर कहा कि ऐसी कोई घटना देवरिया जिले में नहीं हुई है और यह खबर झूठी है।
सुधीर मिश्रा ने एक वीडियो भी पोस्ट किया था जिसमें एक शख्स को नमाज अदा करते हुए देखा जा सकता है। उन्होंने दावा किया कि बस को रोककर नमाज अदा की गई थी और यह सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग है। जब हमने वीडियो का विश्लेषण किया, तो बस के अंदर कोई भी यात्री बैठा हुआ नहीं मिला, वहीं बस द्वारा यातायात में कोई बाधा नहीं डाली गई।
सुधीर मिश्रा के अभियान का उद्देश्य मुस्लिम विरोधी नरेटिव स्थापित करना है। इस पैटर्न की जांच करते हुए, हमने देखा कि कैसे बम विस्फोट की घटना के संबंध में राजकुमार नाम के व्यक्ति की पहचान शफीक में बदल दी गई या मनगढ़ंत रिपोर्टों में गफ्फार नाम के एक काल्पनिक चरित्र को हमलावर के रूप में झूठा दिखाया जाता है, जबकि ऐसी कोई घटना कभी नहीं हुई।
विपक्षी नेताओं के खिलाफ फैलाई गई फेक न्यूज का विश्लेषण
- विपक्षी नेताओं के खिलाफ फेक न्यूज़ फैलाना
मिश्रा की पसंदीदा कार्यप्रणाली में वीडियो कंटेंट में जानबूझकर हेरफेर करना, अक्सर विपक्षी नेताओं को गलत तरीके से पेश करने के लिए उनके आधे-अधूरे वीडियो को शेयर करना या वीडियो को गलत तरीके से लिंक करना शामिल है।
दावा- सुधीर मिश्रा ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का एक पुराना वीडियो इस दावे के साथ शेयर किया कि उन्होंने गुजरातियों को धमकी देते हुए कहा, “अगर तुमने मेरा विरोध किया तो मैं तुम्हें और गुजरात के लोगों को कुचल दूंगा, तुम जो भी कर सकते हो, कर लों, तुम मेरा कुछ बिगाड़ सकते हो तो बिगाड़ दो।।”
फैक्ट चेक- वीडियो 6 साल पहले का था और उन्होंने गुजरातियों को लेकर कोई धमकी नहीं दी थी, बल्कि असल में उनका इशारा अमित शाह की तरफ था।
दावा- सुधीर मिश्रा ने फरवरी 2023 में यूपी के बजट सत्र के दौरान कथित तौर पर हंगामा कर रहे समाजवादी पार्टी (सपा) के सदस्यों का एक वीडियो शेयर किया, जिसमें यह झूठा दावा किया गया कि पार्टी के सदस्यों ने अपने ही नेता की श्रद्धांजलि का अपमान किया।
फैक्ट चेक- यह वीडियो राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के संबोधन का था। बता दें कि 5 दिसंबर 2022 को यूपी विधानसभा में पूर्व सीएम मुलायम सिंह यादव को श्रद्धांजलि दी गई थी।
दावा- तृणमूल कांग्रेस (TMC) के उद्घाटन दिवस पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आधे-अधूरे भाषण का इस्तेमाल उन पर और विपक्षी दल के नए गठबंधन पर निशाना साधने के लिए किया गया। उनका बयान ऐसे अंतराल पर काटा गया था जहां उनका अंतिम शब्द ‘महाभारत’ था और उनके अगले शब्द थे, ‘काजी नजरूल इस्लाम द्वारा लिखित’। इस क्रॉप किए गए वीडियो के जरिये ममता बनर्जी को ट्रोल किया गया। इस वीडियो के जरिए विपक्षी गठबंधन की तुलना शरीयत गठबंधन से करने में सुधीर मिश्रा पीछे नहीं रहे।
फैक्ट चेक- ममता बनर्जी ने महाभारत के लेखक के रूप में इस्लाम का उल्लेख नहीं किया क्योंकि यह एक क्रॉप किया हुआ वीडियो था।
दावा- मिश्रा द्वारा एक अन्य वीडियो इस दावे के साथ शेयर किया गया था कि राहुल गांधी भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल एक लड़की से मिले।
फैक्ट चेक- तस्वीर में दिख रही लड़की कांग्रेस सेवा दल की नेता मिया एनरेलियो थी, न कि अमूल्या लियोना, जिसने पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाया गया था। DFRAC ने इस दावे को झूठा पाया।
- विपक्ष का मज़ाक और कट्टर आलोचना
मिश्रा ने अपने ट्वीट्स में विपक्षी नेताओं का काफी हद तक मजाक उड़ाया है। उन्होने विशेषकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मुस्लिम समुदाय का समर्थन करने वाले के रूप में चित्रित किया। वे यहीं नहीं रुके, मिश्रा ने राहुल गांधी की मां सोनिया गांधी का इटली से जुड़े होने के संबंध में भी उपहास उड़ाया गया था।
उन्होंने केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत अभियान को अन्य सभी राजनीतिक नेताओं को खत्म करने के साधन के रूप में चित्रित करने वाला एक व्यंग्यपूर्ण चित्रण (Satirical illustration) शेयर करके विपक्षी दल का सामूहिक उपहास भी उड़ाया।
उन्होने राहुल गांधी का एक खाना पकाने का वीडियो, जिसे 2 सितंबर को उनके आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर अपलोड किया गया था, का इस्तेमाल उनकी धार्मिक मान्यताओं और आस्था के बारे में संदेह पैदा करने के लिए किया गया। वीडियो में राहुल को लालू प्रसाद यादव के साथ मटन पकाते हुए देखा जा सकता है। मिश्रा ने वीडियो शेयर किया और राहुल पर श्रावण के पवित्र महीने के दौरान इसे पकाने का आरोप लगाया। हालाँकि, श्रावण का महीना 30 अगस्त को समाप्त हो चुका था, जबकि वीडियो 2 सितंबर को पोस्ट किया गया था।
किसी भी व्यक्ति को सुधीर मिश्रा के ट्वीट्स के अध्ययन से उनके किसी भी पोस्ट को सांप्रदायिक रंग देने के उनके कौशल के बारे में पता चल जाएगा। उदाहरण के लिए, चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के एक साधारण बधाई संदेश में ‘बधाई हो’ के बजाय ‘मुबारक’ शब्द के इस्तेमाल करने पर उनका मज़ाक बनाया गया।
इसके अलावा, उन्होंने चंद्रयान मिशन में केवल साड़ी पहनने वाली महिलाओं की भूमिका को स्वीकार करते हुए और हिजाब पहनने वाली महिलाओं की उपेक्षा की और इस पूरे मिशन को हिंदू-मुस्लिम विभाजन में बदल दिया।
4. फेक न्यूज के प्रभाव का विश्लेषण
उनके फेक ट्वीट्स ने हमें उनकी फेक न्यूज के प्रभाव का विश्लेषण करने के लिए मजबूर किया। यह देखना आश्चर्यजनक था कि उनकी फेक और मिसलिडिंग कंटेंट की पहुंच और प्रभाव काफी व्यापक और चौंका देने वाला था। 850,000 से अधिक ट्विटर अकाउंट उनके इस दुष्प्रचार के संपर्क में आए हैं, लगभग 10,000 यूजर ने इस पर अपनी भी सहमति व्यक्त की और 5,600 से अधिक अकाउंट ने इसे रीट्वीट कर आगे बढ़ाया।
यह विश्लेषण ‘फ़ेक न्यूज़ के प्रभावशाली व्यक्ति’ के रूप में सुधीर मिश्रा की भूमिका पर प्रकाश डालता है, जिनके भ्रामक और भड़काऊ ट्वीट्स ने जनता की राय को प्रभावित किया है, खासकर मुस्लिम समुदाय और विपक्षी दल से संबंधित मामलों में।
नीचे दिया गया वर्डक्लाउड सुधीर मिश्रा के ट्वीट्स में इस्तेमाल किए गए प्रमुख शब्दों को प्रदर्शित करता है। जाहिर है कि उनके ट्वीट मुख्य रूप से “सरकार”, “यूपी”, “योगी”, “कांग्रेस”, “यादव”, “मंदिर-मस्जिद” जैसे विषयों के इर्द-गिर्द घूमते हैं।
निष्कर्ष
सुधीर मिश्रा की ट्विटर गतिविधियों का विश्लेषण एक ऐसे यूजर की परेशान करने वाली तस्वीर पेश करता है, जिसने नफरत, गलत सूचना और विभाजनकारी नरेटिव फैलाने के लिए सोशल मीडिया की शक्ति का दुरुपयोग किया है। ‘फ़ेक न्यूज़ के प्रभावशाली व्यक्ति’ के रूप में सुधीर मिश्रा की भूमिका को कम करके नहीं आंका जा सकता। उनके ट्वीट्स ने न केवल विभाजन और कलह के बीज बोए, बल्कि जनता की राय को भी प्रभावित किया, खासकर मुस्लिम समुदाय और विपक्षी दल से संबंधित मामलों में। यह रिपोर्ट उस ज़िम्मेदारी की याद दिलाती है, जो सोशल मीडिया पर खुद को अभिव्यक्त करने की आज़ादी के साथ आती है।