नई दिल्ली में नवनिर्मित संसद भवन में भारतीय उपमहाद्वीप के भूभाग के भित्ति चित्र (बड़ा और एक दीवार या किसी इमारत की बाहरी दीवार पर पेंटिंग) को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। सोशल मीडिया यूज़र्स ने अखंड भारत (अर्थात अविभाजित भारत) के नक्शे के रूप में इसकी व्याख्या की है, इस पूरे परिदृश्य पर पार्टी लाइन सहित नेपाल के राजनीतिक नेताओं ने गुस्सा और नाराज़गी व्यक्त की हैं, इस पूरे परिदृश्य पर पार्टी लाइन सहित नेपाल के राजनीतिक नेताओं ने गुस्सा और नाराज़गी व्यक्त की हैं।
28 मई 2023 को, जब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने नए संसद भवन का उद्घाटन कर इसे राष्ट्र के नाम समर्पित किया तो भित्ति का यह पूरा परिदृश्य ध्यान में आया। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी भित्ति चित्र को “अखंड भारत” के रूप में वर्णित करने वाले पहले व्यक्ति थे।
9 जून 2023 को, चीनी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘Weibo’ पर एर सरकारी वेरीफ़ाइड हैंडल “कम्युनिस्ट चाइना” को बालेंद्र शाह (काठमांडू मेट्रोपॉलिटन सिटी मेयर) के ग्रेटर नेपाल आंदोलन के पोस्ट को शेयर करके यह दावा करते हुए पाया गया कि चीन के लोग नेपाल की संप्रभुता का समर्थन कर रहे हैं।
चीन, पाकिस्तान और नेपाल के कई यूज़र्स इस मुद्दे को अपने अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स द्वारा हवा दे रहे हैं।
इतना ही नहीं, अशोक स्वैन ने भी दो देशों के बीच दुश्मनी को समर्थन देने वाले संदर्भ में ही ट्वीट किया।
उन्होंने लिखा,“काठमांडू के मेयर ने नई दिल्ली स्तिथ नए भारतीय संसद भवन में मोदी द्वारा ‘अखंड भारत’ भित्ति चित्र बनाए जाने का विरोध करने के लिए अपने चैम्बर में ‘ग्रेटर नेपाल’ का नक्शा लगाया है। न केवल भारत के बड़े हिस्से ‘ग्रेटर नेपाल’ में शामिल हैं, बल्कि मुख्य भूमि और पूर्वोत्तर भारत के बीच लिंक भूमि भी शामिल है।
इस खबर के साथ 8 तारीख को हैशटैग #Akhand_Nepal ट्रेंड कर रहा था, जो कि इसका शुरूआती स्टेज था और वक्त के साथ साथ यह बढ़ता चला गया।
DFRAC टीम ने पाया कि लगभग 230 यूज़र्स ने इस हैशटैग के साथ ट्वीट किया था, जिनसे ट्विटर पर 5,50k से अधिक अकाउंट्स प्रभावित हुए।
फ़ैक्ट–चेक:
वायरल दावे की हकीकत जानने के लिए DFRAC टीम ने गूगल पर कुछ की-वर्ड सर्च किया और नतीजे में टीम को इस पूरे मामले पर कई मीडिया रिपोर्ट्स मिलीं।
टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के अनुसार, नेशनल गैलरी ऑफ़ मॉडर्न आर्ट के महानिदेशक अद्वैत गदनायका ने बताया कि भित्ति चित्र प्राचीन काल में भारत के प्रभाव को दर्शाती है।
टाइम्स नाउ को दिए एक इंटरव्यू में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान में समझने की क्षमता नहीं है, उन्होंने आगे कहा कि बाकी देश जो भारत के दोस्त हैं, उन्होंने इस मामले को समझ लिया है। भित्ति चित्र अखंड भारत का नहीं बल्कि अशोक साम्राज्य के प्रसार का चित्रण है।
ट्विटर पर स्कॉलर दिलीप मंडल ने भी इसे ‘मौर्य साम्राज्य’ के रूप में वर्णित किया है।
उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “नए संसद भवन की इस तस्वीर में कुछ भी विवादास्पद नहीं है। यह अखंड भारत या इसी तरह की अवधारणाओं का प्रतिनिधित्व नहीं करता है, क्योंकि इसमें तमिलनाडु उल्लेखनीय रूप से मौजूद नहीं है। आप रंग अंतर देख सकते हैं। यह वास्तव में महान बौद्ध मगध/मौर्य साम्राज्य को दर्शाता है; कुछ ऐसा जो क्यूरेटर को स्पष्ट रूप से इंगित करना चाहिए था। सम्राट अशोक के भित्ति चित्र और अशोक के शिलालेख भी दर्शाए गए हैं।”
निष्कर्ष:
DFRAC के इस फ़ैक्ट-चेक और विश्लेषण से यह स्पष्ट है कि भित्ति चित्र का, “अखंड भारत” विवाद से कोई लेना-देना नहीं है, जैसा कि सोशल मीडिया यूज़र्स द्वारा दावा किया जा रहा है। इसके अलावा भित्ति चित्र प्राचीन मौर्य काल को दर्शाती है, अत: हमारे इस विश्लेषण ने पाकिस्तानी और चीनी यूज़र्स के इरादों को सोशल मीडिया पर फैलाकर उस पर पानी फेर दिया।