कश्मीर के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी का निधन 1 सितंबर 2021 को हो गया था। वह 92 साल के थे। गिलानी अपनी पूरी जिंदगी कश्मीर की आजादी की वकालत करते रहे। उनके निधन पर सोशल मीडिया पर कई मीम्स और मैसेज पोस्ट किए गए। किसी ने उनके निधन का जश्न मनाया, तो किसी ने सिर्फ मृत्यू की न्यूज पोस्ट की। वहीं कुछ लोग ऐसे भी थे जिन्होंने गिलानी की मौत पर अपने नफरत का धंधा चलाते रहे। सुदर्शन न्यूज के संस्थापक सुरेश चव्हाणके ने इस संदर्भ में एक पोस्ट किया। आपको बता दें कि वह अपने चैनल और सोशल मीडिया पर इस्लामोफोबिक और घृणित टिप्पणियों के लिए बदनाम हैं।
चव्हाणके ने अपने ट्वीटर से ट्वीट किया, “पाकिस्तान परस्त, ग़द्दार -ए-हिंदुस्थान सैयद अली शाह गिलानी नहीं रहा। इसने मुझे श्रीनगर आकर इंटरव्यू करने का चैलेंज दिया था। मैं वहाँ सीधे इसके घर के दरवाज़े तक पहुँच गया था। लेकिन इसने इंटरव्यू से दंगे होने का बहाना बताकर दरवाज़ा तक नहीं खोला।” इस ट्वीट को 10 हजार से ज्यादा लाइक्स मिल चुके हैं और 3 हजार से ज्यादा बार रिपोस्ट किया जा चुका है।
पाकिस्तान परस्त, ग़द्दार -ए-हिंदुस्थान सैयद अली शाह गिलानी नहीं रहा।
इसने मुझे श्रीनगर आकर इंटरव्यू करने का चैलेंज दिया था। मैं वहाँ सीधे इसके घर के दरवाज़े तक पहुँच गया था। लेकिन इसने इंटरव्यू से दंगे होने का बहाना बताकर दरवाज़ा तक नहीं खोला। pic.twitter.com/t7iCD5Uc7X— Dr. Suresh Chavhanke “Sudarshan News” (@SureshChavhanke) September 1, 2021
इसके अलावा चव्हाणके की इस लाइन “पाकिस्तान परस्त, ग़द्दार -ए-हिंदुस्थान सैयद अली शाह गिलानी नहीं रहा” को सैकड़ों लोगों द्वारा पोस्ट किया गया। दरअसल चव्हाणके ने 1 सितंबर 2021 को 11 बजकर 57 मिनट पर यह पोस्ट किया था, जिसके बाद सोशल मीडिया पर इसकी कॉपी-पेस्ट 12 बजकर 1 मिनट से शुरु हो गई। इस कंटेंट को कॉपी-पेस्ट करने वाले कुल 44 से ज्यादा यूजर्स हैं। दरअसल इस कॉपी-पेस्ट पैटर्न का उपयोग अक्सर ट्विटर बॉट्स द्वारा किसी विशेष शब्द या वाक्यांश को ट्विटर पर ट्रेंड करने के लिए किया जाता है। इसमें वही सटीक वाक्य यूजर्स और फेक अकाउंट्स द्वारा बार-बार पोस्ट किया गया।
इस कंटेंट को बार-बार पोस्ट करने के साथ, एक ऐसा पैटर्न उभरता है जो इस कंटेंट को ज्यादा से ज्यादा लोगों की टाइमलाइन तक पहुंचाने की कोशिश की जाती है। यहां यह साबित करने की कोशिश की जा रही थी कि गिलानी पाकिस्तान समर्थक और देशद्रोही थे और सभी को उनकी मृत्यु का जश्न मनाना चाहिए। इसके अलावा यह किसी ऐसे व्यक्ति के लिए घृणा उत्पन्न करना था, जो अब जीवित नहीं है। जो शख्स दुनिया से चला गया उसके नाम पर घृणा फैलाने का क्या मतलब है? यह संभव है कि इस तरह का समूह नफरत फैलाने वाले हर अवसर का उपयोग करते हैं।
वहीं हमने पाया कि गिलानी की मृत्यू के बाद उनके विकिपीडिया पेज पर उनको “पाकिस्तान समर्थक अलगाववादी नेता” लिख दिया गया। दरअसल ये ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि जिन लोगों द्वारा ये एजेंडा चलाया जा रहा था उन लोगों की बातों को वैधानिकता मिले, क्योंकि गिलानी की मौत के बाद शायद उनके बारे में जानने के लिए लोगों की रूची दिखे और वह विकिपीडिया को पढ़ें।
इसके अलावा गिलानी के बारे में इस तरह के कॉपी पेस्टिंग पैटर्न को इस बात को प्रतिबिंबित करती है कि दक्षिणपंथी विचारधारा के लोग अपनी पसंद का माहौल बनाने और रुचि बनाने के लिए ट्विटर का इस्तेमाल करते हैं।