फैक्ट चेक: 48 मतदाताओं के कथित पिता ‘रामकमल दास’ से जुड़ी वायरल मतदाता सूची का जानिए सच

Fact Check hi Fake Featured Misleading

कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के चुनाव आयोग पर वोट चोरी के आरोपो के बीच सोशल मीडिया पर वाराणसी की 2023 की कथित वोटिंग लिस्ट जमकर वायरल हो रही है। वायरल मतदाता सूची के हवाले से दावा किया जा रहा है कि चुनाव आयोग द्वारा प्रकाशित मतदाता सूची में 50 बच्चों के पिता का नाम राजकमल दास दर्ज है। उनका सबसे छोटा बेटा राघ्वेन्द्र 28 साल का और सबसे बड़ा बेटा बनवारी दास 72 साल का है।

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सोशल साईट X पर वरिष्ठ पत्रकार पुण्य प्रसून बाजपेयी ने लिखा कि ये वाराणसी है… 50 बच्चों के पिता का नाम राजकमल दास.. सबसे छोटा बेटा राघ्वेन्द्र 28 साल का.. सबसे बड़ा बेटा बनवारी दास 72 साल का..

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वहीं एक अन्य वेरिफाइड यूजर यूपी कांग्रेस ने लिखा कि वाराणसी में चुनाव आयोग का एक और चमत्कार देखिए! मतदाता सूची में एक ही व्यक्ति ‘राजकमल दास’ के नाम पर 50 बेटों का रिकॉर्ड दर्ज है! सबसे छोटा बेटा राघवेन्द्र- उम्र 28 साल, और सबसे बड़ा बेटा बनवारी दास- उम्र 72 साल! क्या चुनाव आयोग इस गड़बड़ी को भी सिर्फ त्रुटि कहकर टाल देगा या मान लेगा कि फर्जीवाड़ा खुल्लमखुल्ला चल रहा है? वोट चोरी की यह घटना बता रही है कि सिर्फ बनारस के लोग ही नहीं, बल्कि पूरा लोकतंत्र ठगा गया है। @ECISVEEP, इसके लिए शपथ पत्र कब दे रहे हैं?

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इसके अलावा कई अन्य यूजर ने भी ऐसा ही मिलता-जुलता दावा किया है। जिस यहाँ पर देखा जा सकता है।

फैक्ट चेक:

वायरल मतदाता सूची के साथ किये जा रहे दावे की जांच के लिए DFRAC ने दावे से जुड़े कुछ कीवर्ड गूगल पर सर्च किये। इस दौरान हमें मई 2023 की एबीपी न्यूज़ और ईटीवी भारत की न्यूज़ रिपोर्ट मिली। जिसमे बताया गया कि ये तस्वीर है वाराणसी के वार्ड नम्बर 51 की वोटर लिस्ट है। जिसमें 13 बच्चे 37 साल के हैं, पांच 39 साल के, चार 40 तो वही अन्य 42 साल के हैं।  पिता का नाम वाराणसी के जाने-माने संत गुरुधाम के राम जानकी मंदिर के संस्थापक स्वामी राम कमल दास का है. लिस्ट के अनुसार उनके 48 बेटे हैं। गुरुधाम में स्थित उनके मंदिर के पते को बकायदा वोटर लिस्ट में मकान नंबर के तौर पर भी स्थापित किया गया है। वहीं स्वामी जी के सेक्रेटरी ने इस लिस्ट के सही होने की भी पुष्टि की है। स्वामी राम कमल दास के सेक्रेटरी रामभरत ने बताया कि यह लिस्ट पूरी तरीके से सही है। स्वामी जी अविवाहित हैं। लेकिन, हमारे आश्रम में गुरु शिष्य परंपरा का निर्वहन होता है। इस वजह से इस आश्रम में जो भी छात्र रहते हैं, वह स्वामी जी को अपने गुरु पिता के तौर पर मानते हैं। यही वजह है, कि इस वोटर लिस्ट में उन्होंने अपने पिता के नाम पर गुरु जी का नाम अंकित कराया है।

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इसके साथ ही जब हमने जांच को आगे बढ़ाया तो हमें उत्तर प्रदेश के एक मतदान केंद्र की मतदाता सूची की तस्वीर (जैसा कि उद्धृत ट्वीट में दिखाया गया है) पिछले 2-3 दिनों से सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। आरोप लगाया जा रहा है कि मतदाता सूची में श्री राजकमल दास और उनके 43 बेटों के नाम शामिल हैं। तस्वीर में दिखाई गई मतदाता सूची शहरी स्थानीय निकाय चुनावों में इस्तेमाल की जाने वाली मतदाता सूची है। इसका अंदाज़ा मतदाता सूची पर दिखाई देने वाले वॉटरमार्क और तस्वीर के ऊपर बाईं ओर मतदान केंद्र के आंशिक नाम से लगाया जा सकता है। शहरी स्थानीय निकाय चुनावों के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मतदाता सूची भारत के चुनाव आयोग द्वारा तैयार नहीं की जाती है। विधानसभा और लोकसभा चुनावों में इस्तेमाल की जाने वाली मतदाता सूची भारत के चुनाव आयोग द्वारा तैयार की जाती है और यह एक अलग मतदाता सूची है। यह भी ध्यान देने योग्य है कि किसी धार्मिक मठ/आश्रम में रहने वाले व्यक्तियों/संन्यासियों की पहचान उनके पिता के बजाय उनके गुरु के नाम से की जाती है। यह संभव है कि आश्रम में रहने वाले कई संन्यासी एक ही उम्र के हों।

निष्कर्ष:

DFRAC के फैक्ट चेक से साबित होता है कि वायरल दावा भ्रामक है। क्योंकि वायरल सूची में मतदाताओं के नाम गुरु शिष्य परंपरा के अंतर्गत दर्ज है। ना कि पिता-पुत्र के रूप में।