भारत के लिए भौगोलिक और सामरिक दृष्टिकोण से कश्मीर, पंजाब और पूर्वोत्तर के राज्य अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। कश्मीर को भारत के सिर का ताज कहा जाता है और उसकी खूबसूरती की वजह से उसे जन्नत का दर्जा भी दिया जाता है। पूर्वोत्तर को भारत का गहना कहा जाता है, जहां की सांस्कृतिक विविधता, जनजातीय जीवन और प्राकृतिक संसाधन देश की पहचान को समृद्ध बनाते हैं। पंजाब को भारत का प्रवेश द्वार कहा जाता है, क्योंकि ऐतिहासिक रूप से यहां से ही भारत पर कई आक्रमण हुए और आज भी यह राज्य सीमावर्ती होने के कारण सामरिक दृष्टि से अत्यंत अहम है। इन तीनों क्षेत्रों का महत्व सिर्फ भूगोल तक सीमित नहीं है, बल्कि इनका सामाजिक और राजनीतिक महत्व भी उतना ही गहरा है।
इन्हीं कारणों से यह क्षेत्र हमेशा देश-विरोधी ताकतों के निशाने पर रहे हैं। इसके लिए अलगाववादी प्रोपेगेंडा किया जाता रहा है। डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म जैसे फेसबुक, एक्स (पहले ट्विटर), इंस्टाग्राम, टेलीग्राम और यूट्यूब न केवल संवाद के माध्यम हैं, बल्कि इन्हें भ्रामक जानकारी और प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए भी बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा रहा है। DFRAC की टीम ने हालिया जांच में ऐसा ही एक नेटवर्क उजागर किया है, जो कश्मीर, पंजाब और पूर्वोत्तर को लेकर एक सुनियोजित अलगाववादी अभियान चला रहा है। इनमें से कई अकाउंट्स से की जाने वाली पोस्ट ऐसी होती हैं, जिनसे यह प्रतीत होता था कि ये आवाज़ें सचमुच कश्मीर, पंजाब या पूर्वोत्तर के लोगों की हैं, जो भारत से नाराज हैं और अलगाववादी विचारधारा का समर्थन करते हैं। इसके अलावा कई यूजर्स ऐसे हैं, जो भारत की छवि को खराब करने के इरादे से पोस्ट शेयर करते रहते हैं।
इस रिपोर्ट के प्रमुख बिन्दू इस प्रकार हैं-
- प्रोपेगेंडा नेक्सस में शामिल यूजर्स
- दीप गांधी
- कोडेक्स इंडिया
- कुंगफू पांडा
- सन्नी और स्कैमिश
- सारा ड्यूमोनिटर
- प्रोपेगेंडा यूजर्स का नेक्सस
- फेक न्यूज और फैक्ट चेक
1. प्रोपेगेंडा नेक्सस में शामिल यूजर्सः
कुंगफू पांडा (Kongfu Panda), दीप गांधी (Deep Gandhi), कोडेक्स इंडिया (Codex India), सन्नी (Sunny), स्कैमिश (Squamish) और साराह ड्यूमोनिटर (Sarah Dumonitor) – ये सभी एक्स अकाउंट अलग-अलग शैली में काम करते हैं, लेकिन इनका मकसद एक जैसा है। ये लगातार पंजाब, कश्मीर और पूर्वोत्तर से जुड़ी ऐसी पोस्ट शेयर करते हैं, जो सतही तौर पर जानकारियां, विश्लेषण या राय लगती हैं, लेकिन असल में ये भारत की नीतियों और छवि को कमजोर करने वाला नैरेटिव गढ़ती हैं। इनमें कुछ अकाउंट जैसे कुंगफू पांडा, दीप गांधी, सन्नी और स्कैमिश कश्मीर, पंजाब और पूर्वोत्तर को लेकर अलगाववादी पोस्ट शेयर करते हैं। वहीं कोडेक्स इंडिया और सारा ड्यूमोनिटर भारत की छवि को खराब दिखाने वाले पोस्ट शेयर करते हैं।

2. दीप गांधी
दीप गांधी ने खुद की पहचान को असम राज्य के रहने वाले नागरिक के रुप बताया है। उसने अपने लोकेशन में तेजपुर, असम, इंडिया लिख रखा है। लेकिन उसके बायो को देखने पर उसके अलगाववादी सोच का पता चलता है। उसने बायो में लिखा है, ‘असम किंगडम का एक व्यापारी / उल्फा के आदर्शों को साकार किया जाना चाहिए / मैं चीनी भाषा में अपनी बात कहने में अच्छा हूँ।’ (हिन्दी अनुवाद)

क्या दीप गांधी भारतीय है?
हमें दीप गांधी के भारतीय होने पर संदेह है, क्योंकि इसकी ऑनलाइन गतिविधियां ऐसी हैं, जो इस यूजर के भारतीय होने पर संदेह पैदा करती हैं। हमने इस यूजर की जांच के दौरान पाया कि यह यूजर उन चीन, पाकिस्तान और खालिस्तान समर्थकों से एक्स (ट्विटर) पर जुड़ा है और उनके पोस्ट को लगातार शेयर करता रहता है, जिनके अकाउंट्स भारत में विथहेल्ड यानी कानून की मांग पर भारत में प्रतिबंधित किए गए हैं।
उदाहरण के तौर पर एक चाइनीज प्रोपेगेंडा अकाउंट झाओ दाशुआई है, जिसे भारत में विथहेल्ड कर दिया गया है। झाओ ने 16 जून 2024 को एक पोस्ट में बताया था कि उसका अकाउंट भारत में विथहेल्ड कर दिया गया है, जबकि उसके एक महीने बाद जुलाई के महीने में दीप गांधी का एक्स अकाउंट बनाया गया है। दीप गांधी ना सिर्फ झाओ दाशुआई को फॉलो करता है, बल्कि उसके पोस्ट पर इंप्रेशन जनरेट करने के लिए लाइक, कमेंट और रिपोस्ट करता है। नीचे दिए गए ग्राफिक्स में आप देख सकते हैं कि भारत में विथहेल्ड झाओ दाशुआई के अकाउंट पर दीप गांधी ने कमेंट किया है।

भारत में विथहेल्ड अकाउंट्स और दीप गांधी एक-दूसरे को फॉलो करनाः
भारत में पाकिस्तान, चाइनीज और खालिस्तानी प्रोपेगेंडा करने वाले कई अकाउंट्स को विथहेल्ड कर दिया गया है। इन अकाउंट्स में डिफेंस इंडेक्स (Defence Index), फरीद खान (Farid Khan), हरजीत सिंह (Harjeet Singh), आयरल क्लैड (Ironclad), क्राइम रिपोर्ट्स इन इंडिया (Asian Digest) और बीडी मिलिट्री (BD Military) शामिल हैं। ये भारत में प्रतिबंधित अकाउंट्स और दीप गांधी एक-दूसरे को फॉलो करते हैं और पोस्ट को शेयर करते हैं।

दीप गांधी का पूर्वोत्तर पर अलगाववादी एजेंडाः
दीप गांधी का अकाउंट देखने में एक सामान्य राजनीतिक और सामाजिक मुद्दों पर टिप्पणी करने वाला हैंडल लगता है, लेकिन इसके कंटेंट को गहराई से परखने पर स्पष्ट हो जाता है कि यह बेहद सुनियोजित और संवेदनशील नैरेटिव गढ़ने में लगा हुआ है। खासतौर पर पूर्वोत्तर के राज्यों जैसे असम और अरुणाचल प्रदेश को लेकर दीप गांधी लगातार ऐसे पोस्ट शेयर करता है, जो अलगाववादी भावनाओं को हवा देते हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि दीप गांधी अरुणाचल प्रदेश को “जंगनान” कहकर संबोधित करता है। “जंगनान” दरअसल चीन द्वारा प्रचारित वह नाम है, जिसका इस्तेमाल चीन अरुणाचल प्रदेश को अपने क्षेत्र के रूप में दिखाने के लिए करता है और दावा करता है कि यह तिब्बत का दक्षिणी हिस्सा है, हालांकि भारत द्वारा कई मौकों पर आधिकारिक तौर पर चीन इन चालबाजियों को नकारते हुए करारा जवाब भी दिया गया है।
जब दीप गांधी जैसे अकाउंट इस नाम का इस्तेमाल करते हैं, तो यह सिर्फ शब्द चयन नहीं होता, बल्कि सीधे-सीधे चीन की भाषा और दावे को आगे बढ़ाने जैसा होता है। यह एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा लगता है, क्योंकि बार-बार इस्तेमाल करने से यह शब्द धीरे-धीरे सामान्य चर्चा में जगह बनाने लगता है, और यही किसी भी प्रोपेगेंडा का मकसद होता है। इसके अलावा, दीप गांधी असम के संदर्भ में भी वही पैटर्न अपनाता है। वह असम के उग्रवादी अलगाववादी संगठन उल्फा की पैरवी करता है। उसके अकाउंट पर कई ऐसी पोस्ट हैं, जिनमें उसने असम को भारत राज्य का हिस्सा होने से इनकार करता है और अलगाववादी विचारधारा को बढ़ावा देते हुए खुद की पहचान भारत से अलग दिखाने की कोशिश करता है। यह भाषा महज राय व्यक्त करना नहीं है; यह एक खतरनाक नैरेटिव है जो अलगाववाद को जायज़ ठहराने की कोशिश करता है। और जब यह कंटेंट किसी ऐसे अकाउंट से आता है जो भारतीय पहचान का नकली आवरण ओढ़े हुए है, तो इसका असर और गहरा होता है, क्योंकि पाठक इसे “अंदर की आवाज़” समझ सकते हैं।

दीप गांधी का खालिस्तानी अलगाववाद को बढ़ावा देनाः
दीप गांधी के कंटेंट में सबसे खतरनाक पहलुओं में से एक है खालिस्तानी अलगाववाद को बढ़ावा देना। कई पोस्ट में उसने खुलकर “जय खालिस्तान” लिखा है। इसके अलावा दीप गांधी ने बार-बार ऐसे पोस्ट डाले हैं जिनमें यह संकेत या सीधा दावा किया गया है कि असम भारत का हिस्सा नहीं है।

3. कोडेक्स इंडियाः
एक्स पर कोडेक्स इंडिया (Codex India) नामक यूजर सक्रिय है। इसकी यूजरआईडी @Codex_India3 है। एक्स पर इसके 3700 से ज्यादा फॉलोवर्स हैं। यह अकाउंट खुद को ऑस्ट्रेलिया से संचालित होने का दावा करता है। हालांकि इसकी ऑनलाइन गतिविधियां इसे संदिग्ध बनाती हैं, क्योंकि यह अकाउंट ना सिर्फ अपनी पहचान को गुप्त रखे हुए है, बल्कि ब्रिटिश प्रसारक, जीवविज्ञानी, प्राकृतिक इतिहासकार और लेखक डेविड एटेनबरो की फेक पहचान भी लिया हुआ है। इसकी पोस्ट भारत की छवि को धूमिक करने के प्रयासों के तहत रहती हैं।

डेविड एटेनबरो की फेक पहचान लेकर धन-उगाहीः
कोडेक्स इंडिया नामक यूजर का काम केवल भारत-विरोधी पोस्ट और प्रोपेगेंडा वीडियो शेयर करने तक सीमित नहीं है। उसने अपने प्रोपेगेंडा नेटवर्क को वित्तीय आधार देने के लिए भी सुनियोजित तरीके से प्रयास शुरू किए हैं। इसके लिए उसने अपने एक्स अकाउंट पर एक डोनेशन लिंक शेयर किया है, जहां वह खुले तौर पर लोगों से पैसे मांगता है ताकि वह “अपने काम” को जारी रख सके। इस डोनेशन कैंपेन की सबसे चौंकाने वाली और चिंताजनक बात यह है कि लिंक पर ब्रिटिश प्रसारक और लेखक डेविड एटेनबरो की तस्वीर लगाई गई है। एटेनबरो की पहचान वैश्विक स्तर पर पर्यावरण-प्रेमी और लेखक के रूप में है। उनकी तस्वीर का इस्तेमाल करके कोडेक्स इंडिया यह झूठा आभास पैदा करना चाहता है कि शायद यह डोनेशन कैंपेन किसी तरह से एटेनबरो से जुड़ा हुआ है या उन्हें इसका समर्थन प्राप्त है। यह न केवल लोगों को भ्रमित करने की कोशिश है, बल्कि एक गंभीर नैतिक छल है — क्योंकि यह एटेनबरो की प्रतिष्ठा का सहारा लेकर अपनी भारत-विरोधी गतिविधियों के लिए फंड जुटाना चाहता है।
डोनेशन पेज पर लिखा गया लक्ष्य भी हैरान करने वाला है। कोडेक्स इंडिया ने अपने अभियान के लिए 10 लाख ऑस्ट्रेलियन डॉलर (AUD) का लक्ष्य तय किया है, जो भारतीय रुपये में कई करोड़ के बराबर होता है। अब तक की जानकारी के मुताबिक इस लिंक के जरिए 287 ऑस्ट्रेलियन डॉलर जमा भी हो चुके हैं। यह रकम भले अभी कम हो, लेकिन यह बताता है कि कुछ लोग पहले ही इस भ्रामक कैंपेन से प्रभावित होकर पैसे दे चुके हैं। डोनेशन पेज पर एक और अहम जानकारी है — फंडरेज़र बनाने वाले व्यक्ति का नाम जेम्स डीन दिया गया है। वही व्यक्ति इस डोनेशन लिंक को ऑपरेट कर रहा है और डोनेशन के पैसे उसी के खाते में ट्रांसफर हो रहे हैं।

कौन है जेम्स डीन?
हमने जेम्स डीन के बारे में जानकारी के लिए एक्स पर कुछ सर्च किया। हमें जेम्स डीन का यूजरआईडी @Codex_India4 से एक अकाउंट भी मिला, लेकिन इस अकाउंट के सभी पोस्ट को सुरक्षित किया गया है।

कोडेक्स इंडिया के कई अकाउंट्स हो चुके हैं सस्पेंडः
हमारी टीम ने अपनी जांच के दौरान पाया कि कोडेक्स इंडिया के इससे पहले कई अकाउंट्स को एक्स (पूर्व ट्विटर) द्वारा संस्पेंड किया जा चुका है। इससे पहले @Codex India और @Codex India2 नामक अकाउंट्स सस्पेंड हो चुके हैं, जबकि @Codex India3 नामक अकाउंट अभी संचालित है और @Codex India4 को जेम्स डीन खुद अपने नाम से संचालित करता है।

भारत विरोधी प्रोपेगेंडा के लिए बनाई गई डेविड एटेनबरो की फेक डॉक्यूमेंट्रीः
कोडेक्स इंडिया नामक यूजर का अकाउंट देखने में एक सामान्य सोशल मीडिया प्रोफ़ाइल की तरह लगता है, लेकिन गहराई से जांच करने पर यह साफ़ हो जाता है कि यह यूजर बेहद सुनियोजित तरीके से भारत-विरोधी नैरेटिव गढ़ने में लगा है। इसकी सबसे चौंकाने वाली और खतरनाक गतिविधियों में से एक है वह लगभग साढ़े तीन घंटे लंबी ‘डॉक्यूमेंट्री’ जो इस यूजर ने तैयार की है। इस तथाकथित डॉक्यूमेंट्री में डेविड एटेनबरो की फेक वॉयसओवर का इस्तेमाल किया गया है — यानी लोगों को भ्रमित करने के लिए यह दिखाने की कोशिश की गई है जैसे कि मशहूर नेचर डॉक्यूमेंट्री नैरेटर एटेनबरो खुद भारत के बारे में यह बातें कह रहे हों।
इस नकली नैरेशन का चुनाव कोई संयोग नहीं है। डेविड एटेनबरो जैसी वैश्विक शख्सियत की आवाज़ से जुड़ी विश्वसनीयता का फायदा उठाते हुए कोडेक्स इंडिया ने यह सुनिश्चित किया कि दर्शकों को लगे कि फिल्म में कही गई बातें ‘सच’ और ‘प्रामाणिक’ हैं। असल में यह एक भारी-भरकम प्रोपेगेंडा तकनीक है — अंतरराष्ट्रीय विश्वसनीयता वाले नाम और आवाज़ को हड़पकर संदेश को ज़्यादा भरोसेमंद बनाना। पूरी डॉक्यूमेंट्री में भारत को लगातार बेहद नकारात्मक रूप में दिखाया गया है। हर फ्रेम और हर वाक्य में यह कोशिश की गई है कि भारत को “गंदगी से भरा, पिछड़ा और अराजक देश” साबित किया जाए। भारत के शहरों की गंदगी के दृश्य, झुग्गियों की तस्वीरें, बदहाल सड़कों के वीडियो को बार-बार दिखाया गया है, लेकिन संदर्भ से बाहर।
सबसे आपत्तिजनक बात यह है कि इसमें केवल भारत को ही निशाना नहीं बनाया गया, बल्कि हिंदू समुदाय को भी नीचा दिखाने की कोशिश की गई है। धार्मिक स्थलों की भीड़, अनुष्ठानों की तस्वीरें और पूजा-पाठ से जुड़े दृश्य इस तरह पेश किए गए हैं जैसे ये अव्यवस्था और गंदगी का कारण हों। वॉयसओवर इन दृश्यों पर कटाक्ष करता है, जिससे यह झूठा संदेश फैलता है कि भारत की समस्याओं की जड़ हिंदू परंपराएं और संस्कृति हैं। यह प्रोपेगेंडा डॉक्यूमेंट्री बताती है कि यह कोई जल्दबाजी में बनाया गया वीडियो नहीं है। इतने लंबे वीडियो के लिए काफी रिसर्च, फुटेज का चयन, एडिटिंग और नैरेटिव बिल्डिंग की गई है। यह एक सुनियोजित और पेशेवर प्रयास है, जिसका लक्ष्य केवल आलोचना करना नहीं, बल्कि भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि को गहराई से नुकसान पहुंचाना है।

4. कुंगफू पांडा (Kongfu Panda):
“कुंगफू पांडा” नामक चाइनीज़ भाषा का हैंडल भारत के खिलाफ सुनियोजित डिजिटल नैरेटिव वॉर का हिस्सा है। इस अकाउंट की पोस्टिंग पैटर्न, इंटरैक्शन हिस्ट्री और कंटेंट एनालिसिस से पता चलता है कि यह हैंडल कई तरह के अलगाववादी और विदेशी प्रोपेगेंडा नेटवर्क्स से जुड़ा है, जो भारत को राजनीतिक, धार्मिक और भू-राजनीतिक स्तर पर कमजोर दिखाने की कोशिश करते हैं। “कुंगफू पांडा” का सबसे अहम पहलू इसका खालिस्तानी अलगाववादी गुटों तक पहुंच बनाना है। यह लगातार ऐसे अकाउंट्स के साथ इंटरैक्शन करता है, जो पंजाब में असंतोष भड़काने वाले संदेश फैलाते हैं, और खालिस्तान के लिए प्रोपेगेंडा करते हैं। इतना ही नहीं, यही हैंडल कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के नैरेटिव को आगे बढ़ाता है, उसे “अधिग्रहीत क्षेत्र” बताता है और भारतीय सुरक्षा बलों के खिलाफ झूठे आरोपों को एम्प्लीफाई करता है। इस हैंडल की एक और रणनीति भारत के पूर्वोत्तर राज्यों—अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड और मणिपुर—को लेकर चाइनीज़ दावे और प्रोपेगेंडा को बढ़ावा देना है। अरुणाचल को “जंगनान” कहकर संबोधित करना, मणिपुर की हिंसा को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाना और भारत की परियोजनाओं को विवादित बताना इसकी पोस्टिंग में बार-बार देखा जाता है।

कुंगफू पांडा का कश्मीर पर पाकिस्तानी प्रोपेगेंडाः
कुंगफू पांडा सबसे अधिक कश्मीर और पूर्वोत्तर को लेकर दुष्प्रचार करता है, जहां वह कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा बताने वाले पोस्ट लिखता है। यह हैंडल केवल कश्मीर तक सीमित नहीं रहता, बल्कि पंजाब को लेकर खालिस्तानी आंदोलन की भाषा अपनाता है और पंजाब के भारत से अलग होने के फेक दावे गढ़ता है। यह हैंडल दक्षिण भारत के राज्यों के बारे में भी भ्रामक दावे करता है, जैसे कि वहां लोग भारत से अलग होने की मांग कर रहे हैं।

कुंगफू पांडा की खालिस्तानी नेटवर्क तक पहुंचः
कुंगफू पांडा की खालिस्तानी प्रोपेगेंडा करने वाले नेटवर्क तक पहुंच है। इसकी फेक सूचनाओं वाले पोस्ट को सोशल मीडिया पर खालिस्तानी प्रोपेगेंडा करने वाले अकाउंट्स जैसे जगदीप सिंह और इंद्रजीत सिंह भी क्वोटपोस्ट करते हैं। यहां ध्यान देने वाली बात है कि जगदीप सिंह और इंद्रजीत सिंह का अकाउंट भारत में प्रतिबंधित किया गया है।

पूर्वोत्तर पर भारत विरोधी प्रोपेगेंडाः
एक सुसंगठित चाइनीज़ प्रोपेगेंडा मशीनरी का हिस्सा है, जो भारत के पूर्वोत्तर राज्यों पर केंद्रित झूठे नैरेटिव गढ़ रहा है। यह हैंडल लगातार अरुणाचल प्रदेश को “जंगनान” कहता है – वही शब्दावली जो चीन की आधिकारिक पॉलिसी और सरकारी मीडिया इस्तेमाल करते हैं। ऐसा कर वह अरुणाचल प्रदेश पर चीन के दावे को वैध दिखाने और भारत की संप्रभुता को चुनौती देने की कोशिश करता है। इसके अलावा, “कुंगफू पांडा” नागालैंड को लेकर “भारतीय कब्जा” जैसी भाषा इस्तेमाल करता है, जो भारत की क्षेत्रीय अखंडता पर सवाल खड़ा करने की सुनियोजित चाल है। यह हैंडल फेक न्यूज़ फैलाने में भी सक्रिय है। अरुणाचल प्रदेश में भारत सरकार द्वारा घर गिराने या लोगों को विस्थापित करने के झूठे दावे बार-बार पोस्ट करता है, जिससे यह दिखाया जा सके कि भारत अपने ही नागरिकों के साथ अन्याय कर रहा है। सबसे चिंताजनक बात यह है कि “कुंगफू पांडा” पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों के लिए यह नैरेटिव गढ़ता है कि वे चीन से “सांस्कृतिक और भाषाई तौर पर जुड़े” हैं। इन पोस्टों का पैटर्न साफ़ करता है कि “कुंगफू पांडा” एक लंबे समय तक चलने वाले मनोवैज्ञानिक और सूचनात्मक युद्ध (information warfare) का हिस्सा है।

5. स्कैमिश और सन्नी का खालिस्तानी प्रोपेगेंडाः
“स्कैमिश” और “सन्नी का” नामक यूजर खालिस्तानी नैरेटिव को बढ़ावा देने वाले डिजिटल नेटवर्क का हिस्सा दिखाई देते हैं। दोनों अकाउंट आपस में कंटेंट शेयर करते हैं, एक-दूसरे की पोस्ट को एम्प्लीफाई करते हैं और खालिस्तानी समर्थक नेटवर्क से जुड़े अन्य हैंडल्स को टैग कर coordinated कैम्पेन चलाते हैं। यह गतिविधियां बताती हैं कि “स्कैमिश” और “सन्नी का” महज़ व्यक्तिगत अकाउंट नहीं बल्कि खालिस्तानी डिजिटल इकोसिस्टम का हिस्सा हैं।


प्रोपेगेंडा यूजर्स का नेक्ससः
एक्स प्लेटफॉर्म पर सक्रिय कुंगफू पांडा (Kongfu Panda), दीप गांधी (Deep Gandhi), कोडेक्स इंडिया (Codex India), सन्नी (Sunny), स्कैमिश (Squamish) और साराह ड्यूमोनिटर (Sarah Dumonitor) जैसे अकाउंट्स का विश्लेषण बताता है कि ये अलग-अलग नामों से काम करते हुए भी एक समन्वित डिजिटल नेटवर्क की तरह सक्रिय हैं। इन अकाउंट्स के बीच लगातार इंटरैक्शन, एक-दूसरे की पोस्ट का रिपोस्ट और कोट ट्वीट करना, और एक ही नैरेटिव को बार-बार दोहराना दिखाता है कि यह महज़ संयोग नहीं, बल्कि एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है।
इन अकाउंट्स के कंटेंट में एक पैटर्न साफ दिखाई देता है कि ये सभी भारत के खिलाफ विभिन्न विभाजनकारी नैरेटिव को एम्प्लीफाई करते हैं। उदाहरण के तौर पर, कुंगफू पांडा और दीप गांधी कश्मीर और पूर्वोत्तर पर चाइनीज़ प्रोपेगेंडा करते हैं, जबकि कोडेक्स इंडिया अक्सर भारत की छवि को धूमिल करने वाला पोस्ट डालता है। इसी तरह सन्नी और स्कैमिश खालिस्तानी प्रोपेगेंडा फैलाते हैं, और साराह ड्यूमोनिटर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर “ह्यूमन राइट्स” के नाम पर इन नैरेटिव्स को वैध ठहराने की कोशिश करती है। ये अकाउंट एक-दूसरे की पोस्ट को एम्प्लीफाई कर के उसे ज्यादा रीच देते हैं। इस तरह का आपसी तालमेल इन्हें एक बड़े ऑनलाइन प्रोपेगेंडा इकोसिस्टम का हिस्सा बनाता है, जिसका उद्देश्य भारत को लेकर नकारात्मक धारणा बनाना, अलगाववादी विचारों को हवा देना और अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की छवि को कमजोर करना है।

फेक-भ्रामक न्यूज और फैक्ट चेकः
इन यूजर्स द्वारा जमकर फेक और भ्रामक सूचनाएं भी शेयर की है, जिनमें कुछ फेक और भ्रामक सूचनाओं का फैक्ट चेक यहां फैक्ट चेक प्रदान किया जा रहा है।
फेक-भ्रामक सूचना-1
कुंगफू पांडा ने एक तस्वीर शेयर की, जिसमें भारतीय सैनिकों को चीन के झंडे के साथ देखा जा सकता है। हालांकि यह तस्वीर एडिटेड है। ओरिजिनल तस्वीर में देखा जा सकता है कि भारतीय सैनिकों ने भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा लहराया है। इसी तस्वीर को एडिट करके उसमें तिरंगे की जगह चीन का झंडा जोड़ दिया गया है।

फेक-भ्रामक सूचना-2
दीप गांधी द्वारा भारत का बताते हुए एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें देखा जा सकता है कि एक ब्रिज के ऊपर और नीचे दो ट्रेनें गुजर रही हैं। दोनों ट्रेन के ऊपर बड़ी संख्या में लोग बैठे हुए दिखाई दे रहे है। DFRAC की टीम ने फैक्ट चेक में पाया कि वायरल वीडियो भारत का नहीं, बल्कि बांग्लादेश का है।

निष्कर्षः
यह नेटवर्क केवल झूठी पोस्टिंग तक सीमित नहीं है, बल्कि यह लगातार एक नैरेटिव गढ़ रहा है। इस नेक्सस में शामिल यूजर्स अपने प्रोपेगेंडा के जरिए यह दिखाना चाह रहे हैं कि भारत में अलगाववाद की सोच बहुत गहरी है। DFRAC की जांच में यह भी सामने आया कि इस नेटवर्क के सभी अकाउंट भारत के बाहर से संचालित हो रहे हैं। पोस्ट करने का पैटर्न भी यह साबित करता है कि यह कोई बेतरतीब ऑनलाइन गतिविधि नहीं थी, बल्कि योजनाबद्ध और समन्वित अभियान था। ऐसा डिजिटल प्रोपेगेंडा बेहद खतरनाक है, क्यों यह धीरे-धीरे असंतोष को जन्म देता है।

