बिहार में वोटरलिस्ट का स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) चल रहा है। चुनाव आयोग द्वारा एसआईआर के लिए कई दस्तावेज मांगे गए हैं, हालांकि इसमें आधार कार्ड नहीं है। एसआईआर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान आधार कार्ड को शामिल नहीं किए जाने को लेकर याचिकाकर्ताओं के वकीलों की तरफ से सवाल खड़े करते हुए दलील दी गई। इस बीच मुख्यधारा की मीडिया और कई यूट्यूब चैनल्स पर बिहार के मुस्लिम की अधिक जनसंख्या वाले जिलों जैसे- किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार और अररिया के आधार सेचुरेशन का डाटा प्रदर्शित किया जा रहा है। इस डाटा को सांप्रदायिक और भ्रामक एंगल से दिखाया जा रहा है।
न्यूज-18 हिन्दी ने शीर्षक ‘100 लोगों पर 120 आधार… बिहार में ये कैसा खेल, मुस्लिम बहुल जिलों में तो चौंकाने वाले आंकड़े’ से खबर प्रकाशित किया है।

एक यूट्यूब पर भी इस डाटा के साथ न्यूज अपलोड किया गया है।
फैक्ट चेकः
DFRAC की टीम ने आधिकारिक वेबसाइट https://uidai.gov.in/ पर आधार सेचुरेशन का डाटा देखा। हमारी टीम ने सबसे पहले इन चार जिलों किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार और अररिया का डाटा देखा। हमने पाया कि जो आंकड़े दिए गए हैं, वो बिल्कुल सही है। लेकिन यहां पर एक प्रश्न और खड़ा होता है कि क्या सिर्फ इन्हीं जिलों में आधार सेचुरेशन 100 प्रतिशत से ज्यादा है या फिर बाकी जिलों में आधार सेचुरेशन ज्यादा है। हमने पाया कि बिहार के सिर्फ जहानाबाद (97 प्रतिशत) को छोड़कर लगभग सभी जिलों में आधार का सेचुरेशन 100 प्रतिशत से ज्यादा है। हम यहां बिहार के कुल 38 जिलों के आधार सेचुरेशन का डाटा दे रहे हैं।

अगर आधार सेचुरेशन का डाटा को बेस बनाकर अगर देखा जाए तो हम बिहार के डाटा का बाकी अन्य राज्यों के डाटा से तुलना करने की कोशिश करेंगे। अगर बिहार के आधार सेचुरेशन के डाटा को उत्तराखंड के आधार सेचुरेशन के डाटा से तुलना करेंगे, तो पाएंगे उत्तराखंड के कई जिलों का आधार सेचुरेशन 120 प्रतिशत से ज्यादा है, इनमें वह जिलें भी शामिल हैं, जहां मुस्लिमों की आबादी 1 से 3 प्रतिशत है। आज तक की एक रिपोर्ट में यह उल्लेख किया गया है कि अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, बागेश्वर, चमोली, पौड़ी गढ़वाल और चम्पावत जिलों में मुस्लिम आबादी एक से तीन प्रतिशत के बीच है।

अब हम इन्हीं जिलों का आधार सेचुरेशन देखेंगे तो पाएंगे कि अल्मोड़ा में 115 प्रतिशत, बागेश्वर में 123 प्रतिशत, चमोली में 115 प्रतिशत, पौड़ी गढ़वाल में 116 प्रतिशत और चंपावत में 120 प्रतिशत आधार सेचुरेशन है।

अब यहां पर बिहार के आधार सेचुरेशन के डाटा का हिमाचल प्रदेश के आधार सेचुरेशन डाटा से तुलना किया जा रहा है। गौरतलब है कि हिमाचल में 2 से 2.5 प्रतिशत के बीच मुस्लिम आबादी रहती है। हिमाचल के हमीरपुर में 131 प्रतिशत आधार सेचुरेशन है, जो किशनगंज के 126 प्रतिशत से ज्यादा है। इसका अलावा उना का आधार सेचुरेशन 126 प्रतिशत है, जो कटिहार और अररिया के 123 प्रतिशत से ज्यादा है।

यहां एक बात और ज्यादा उल्लेखनीय है कि सेंट्रल दिल्ली का आधार सेचुरेशन 206 प्रतिशत है। सेंट्रल दिल्ली काफी हाई-प्रोफाइल जगह है।

निष्कर्षः
इस डाटा के एनालिसिस से पता चलता है कि बिहार के सिर्फ मुस्लिम बाहुल्य जिलों का डाटा को दिखाकर सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई है। जबकि बिहार के सिर्फ जहानाबाद को छोड़कर बाकी सभी जिलों का आधार सेचुरेशन 100 प्रतिशत से ज्यादा है। इसके अलावा हिमाचल जैसे राज्य के कई जिलों में भी आधार सेचुरेशन 100 प्रतिशत से ज्यादा है, जहां मुस्लिम आबादी 2 से 2.5 प्रतिशत के बीच रहती है।