प्रोपेगेंडा का द ग्रेट वाल: भारत के खिलाफ चीनी सूचना युद्ध अभियान

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पहलगाम में पर्यटकों पर आतंकी हमले के बाद भारत की ओर से पाकिस्तान स्थित आतंकी कैंपों पर की गई कार्रवाई के बाद दोनों देशो के बीच तनावपूर्ण हालात बन गए थे। इन हालातों में सोशल मीडिया सूचना युद्ध का एक ऐसा अखाड़ा बन गया, जिसमें चीन एक ऐसे रेफरी की भूमिका निभा रहा था, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान की जीत को दर्ज कराना था। इस दौरान चीनी इन्फ़्लुएन्सर ने वीबो, ट्विटर, कमेंट्री साइट्स के जरिये अंतराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि और कुटिनीतिक स्थिति को कमजोर करने की पूरी साजिश की। चीन की इस साजिश का हम निम्नांकित बिन्दुओं से समझने की कोशिश करेंगे।

विषय-सूचीः

1. कार्यकारी सारांश (Executive Summary)

2. चरण एक: पहलगाम हमले के बाद प्रारंभिक प्रतिक्रिया अभियान

2.1 रणनीतिक हैशटैग समन्वय

2.2 बहु-स्तरीय नैरेटिव निर्माण

3. चरण दो: भारतीय सैन्य प्रतिक्रिया के बाद अभियान का तीव्र विस्तार

3.1 संगठित भ्रामक सूचना अभियान

3.2 प्रमुख प्रभावशाली अकाउंट्स द्वारा प्रवर्धन

4. चरण तीन: सैन्य श्रेष्ठता नैरेटिव अभियान

4.1 व्यापक मीडिया इकोसिस्टम की सक्रियता

4.2 फ़ेसबुक पर सैन्य विश्लेषण और प्रचार

4.3 अतिरंजित सैन्य क्षमताओं के दावे

5. चरण चार: राज्य मीडिया का प्रवर्धन और भावना विश्लेषण

5.1 आधिकारिक चीनी मीडिया के नैरेटिव का रणनीतिक समावेश

5.2 मात्रात्मक भावना विश्लेषण के परिणाम

कार्यकारी सारांश (Executive Summary)

इस रिपोर्ट में हम उपरोक्त बिन्दुओं का गहनता से विश्लेषण करेंगे। जिसमें हम जानेंगे कि भारत-पाक तनाव के बीच चीन की सरकार से जुड़े प्रभावशाली लोगों ने सोशल मीडिया यूजर्स के साथ मिलकर एक ऐसा भारत विरोधी माहौल रचा, जिसमें भारत की छवि को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ पाकिस्तान के समर्थन में भ्रम फैलाया गया। इस दौरान चीनी सैन्य श्रेष्ठता को प्रदर्शित करते हुए भारत की विश्वसनीयता को कम आंका गया। इस उद्देश्य के लिए ट्विटर, वीबो, फ़ेसबुक और विभिन्न चीनी मीडिया प्लेटफ़ॉर्म पर एक साथ एक जैसे हैशटैग चलाये गए। इन हैशटैग के साथ एक जैसे मेसेज शेयर किये गए। इन मेसेज को शेयर करने के लिए ज्यादा फॉलोवर्स वाले अकाउंट का इस्तेमाल किया गया। इन संदेशों में सच भी था तो झूठ भी। ये सब एक साजिश के तहत हुआ। ताकि पाठकों का विश्वास आसानी से हासिल किया जा सके।

 चरण 1 : पहलगाम हमले के बाद प्रारंभिक प्रतिक्रिया अभियान

इस चीनी सूचना युद्ध का पहला चरण पहलगाम हमले के साथ ही शुरू हुआ। पहलगाम हमले (22 अप्रैल, 2025) के तुरंत बाद सावधानीपूर्वक तैयार किए गए हैशटैग का इस्तेमाल किया गया, ताकि भारत की प्रतिक्रिया को कमज़ोर करते हुए पाकिस्तान के पक्ष में बयानबाजी की जा सके। प्राथमिक हैशटैग #ModiInterruptsHisVisitAndReturnsHomeUrgently” और “#PakistanSuspendsAllTradeWithIndia” को मोदी की भारत वापसी को घबराहट या कमज़ोरी के संकेत के रूप में चित्रित करने के लिए रणनीतिक रूप से चुना गया था, जबकि साथ ही पाकिस्तान के आर्थिक उपायों को भारतीय आक्रामकता के लिए उचित प्रतिक्रिया के रूप में प्रस्तुत किया गया था। हैशटैग एक तरह के समन्वय (co-ordination) के तरीके की तरह काम करते थे। इससे सोशल मीडिया पर यूजर अलग-अलग जगहों से बिना किसी केंद्रीकृत नियंत्रण के एक जैसी कहानी या संदेश को फैलाने में मदद कर रहे थे।

बहु-स्तरीय कथा निर्माण (Multi-Layered Narrative Construction)

प्रारंभिक चरण में तीन अलग-अलग लेकिन परस्पर जुड़ी हुई रणनीतियों का इस्तेमाल किया गया। इस दौरान चीनी सोशल मीडिया यूज़र्स ने पहलगाम हमले पर सीधे चर्चा करने के बजाय भारत पर बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) का समर्थन करने का आरोप लगाया। यह एक पुरानी तकनीक है जिसे “व्हाटअबाउटिज़्म” (Whataboutism) कहते हैं — यानी किसी मुद्दे से ध्यान हटाने के लिए दूसरा मुद्दा बीच में लाना। इसका उद्देश्य लोगों का ध्यान पहलगाम हमला से भटकाना था ताकि उस पर सीधी चर्चा न हो सके।

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दूसरा नरेटिव भारत की जल कूटनीति पर केंद्रित था। हालांकि चीनी सोशल मीडिया यूज़र्स ने इस पूरे मामले को मानवीय संकट में बदल दिया। चीनी यूजर ने इस मामले को इस तरह पेश किया कि भारत पाकिस्तानी नागरिकों के खिलाफ जल संसाधनों का हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहा है और पाकिस्तान के आम लोगों को नुकसान पहुँचाने की योजना बना रहा है। उनका कहना था कि भारत पाकिस्तान की पानी की सप्लाई रोक देगा, और फिर बांध के फाटकों को खोलकर बाढ़ लाकर पाकिस्तान के खेतों को डुबो देगा, जिससे 50 गांव बर्बाद हो जाएंगे और लाखों लोग प्रभावित होंगे। इस कहानी ने कई उद्देश्यों की पूर्ति की: इसने आतंकवादी हमले से ध्यान हटाने की कोशिश की और भारत को नागरिकों के खिलाफ हमलावर के रूप में चित्रित किया, तथा दक्षिण एशिया में जल संसाधनों के संबंध में चीन के व्यापक क्षेत्रीय हितों के साथ जुड़ गया।

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तीसरी और सबसे चिंताजनक साजिश ये थी कि चीनी यूजर ने सोशल मीडिया पर ये बात फैलाई कि यह हमला असली नहीं था, बल्कि एक “फॉल्स फ्लैग ऑपरेशन” था — यानी भारत ने खुद ही हमला करवाया और इसका आरोप पाकिस्तान पर लगा दिया। कुछ यूजर ने दावा किया कि मोदी ने अमेरिकी साजिश के साथ गठबंधन करने के लिए बड़े पैमाने पर आतंकवादी हमले की साजिश रची और इसके लिए पाकिस्तान को दोषी ठहराया।”

ये वहीं कहानी थी। जो पाकिस्तान हमले के बाद से कहता आया था। लेकिन इसमें अमेरिका को शामिल करके इस झूठी कहानी को बार-बार दोहराया गया। हालाँकि, पहले ही झूठी कहानी का पर्दाफाश हो चुका था।

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प्लेटफ़ॉर्म के अनुसार संदेशों में बदलाव (Platform-Specific Messaging Adaptation)

इस अभियान के विश्लेषण के दौरान हमें यह भी देखने को मिला ये अभियान बेहद ही चालाकी और सोच-समझ के साथ चलाया गया था। अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म के दर्शकों (users) को ध्यान में रखकर संदेश तैयार किये गए थे। संदेशों की शैली बदली गई लेकिन मुख्य कहानी एक जैसी ही रखी गई। चीनी लोगों के लिए Weibo पर डाले गए संदेशो में भारत के खिलाफ सीधे तौर पर अपमानजनक बातें लिखी गईं। “भारत को इंसानियत और नैतिकता की कोई परवाह नहीं है” जैसे कमेंट किए गए। इसके साथ ही मोतो हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट जैसे चीन के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स का ज़िक्र कर चीन के तेजी से होते विकास को दर्शाया गया।।

वहीं Twitter पर अंतराष्ट्रीय दर्शकों को ध्यान में रखते हुए संदेश तैयार किए गए। इन संदेशों में भारत को न केवल अंतरराष्ट्रीय कानून तोड़ने वाला दिखाया गया बल्कि भारत को एक खतरनाक ताकत के रूप में पेश किया गया। वहीं पाकिस्तान के लिए व्यापक अंतर्राष्ट्रीय समर्थन की धारणा बनाने हेतु पाकिस्तान के सरकारी अकाउंट्स की बातों को ज़्यादा शेयर किया गया, ताकि ऐसा लगे कि दुनिया पाकिस्तान का साथ दे रही है।

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चरण दो: भारतीय सैन्य प्रतिक्रिया के बाद व्यवस्थित दुष्प्रचार अभियान में वृद्धि

7 मई को भारत की सैन्य कार्रवाई के बाद, यह दुष्प्रचार अभियान और तेज़ हो गया। अब इसमें और ज़्यादा चालाकी से बनाई गई झूठी बातें शामिल की गई। चीनी यूजर ने झूठे दावे फैलाना शुरू कर दिया कि भारत ने सबसे पहले पाकिस्तान पर बम गिराया और उसने आतंकवादी हमले की जांच में अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी से इनकार कर दिया”, जबकि षड्यंत्र के सिद्धांतों को बढ़ावा देते हुए कि “इस आतंकवादी हमले का समर्थन भारत ने ही किया था।”

दुष्प्रचार का ये अभियान बढ़ता ही गया, जिसमें यूजर ने दावा किया कि आतंकी संगठनों ने खुद सामने आकर कहा कि हमला उन्होंने नहीं किया, और दस्तावेज प्रदान किए कि भारत सरकार ने इस झूठी घटना की योजना बनाई थी।” यह दुष्प्रचार का एक विशेष चालाकी दर्शाता है। यानि आतंकी संगठन अगर हमले से इनकार कर रहा है, तो भारत पर ही शक किया जाए। इससे जुड़े चीन की सरकारी मीडिया जैसे Global Times और Xinhua के ट्वीट्स को हजारों लोग लाइक और शेयर कर रहे थे। 7 मई की Xinhua की अंग्रेज़ी रिपोर्ट, जिसमें भारत पर हमला करने का आरोप था, बहुत ज़्यादा वायरल हुई। इस दौरान वीबो पर भी सैकड़ों इंटरैक्शन देखे गए। पाकिस्तान के समर्थन में की गई एक पोस्ट को 500 से ज्यादा लाइक्स और 150 से ज़्यादा शेयर मिले।

हैशटैग और ट्रेंड:

वीबो ने संघर्ष को दर्शाने के लिए चीनी टैग का इस्तेमाल किया। हैशटैग #印巴冲突 (भारत-पाकिस्तान संघर्ष) कई दिनों तक ट्रेंड करता रहा, जिसे अक्सर भारत का मज़ाक उड़ाने या पाकिस्तान की प्रशंसा करने वाली पोस्ट देखी गई। अन्य टैग में #巴基斯坦绝不容忍 (“पाकिस्तान किसी भी हमले को बर्दाश्त नहीं करेगा”) और #中巴友谊 (चीन-पाकिस्तान दोस्ती) जैसे सामान्य भू-राजनीतिक लेबल शामिल थे। इसके विपरीत, Weibo पर अंग्रेज़ी हैशटैग का बहुत कम इस्तेमाल हुआ। सारी बातचीत ज़्यादातर चीनी भाषा में ही की गई, जिससे यह साफ़ था कि इन पोस्ट्स का मुख्य लक्ष्य घरेलू (चीन के अंदर के) दर्शक थे।

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हाई-प्रोफाइल इन्फ्लुएंसर एम्पलीफिकेशन

दूसरे चरण में कुछ ऐसे बड़े सोशल मीडिया अकाउंट सामने आए, जिनके बहुत ज़्यादा फॉलोअर्स थे और जिनकी पोस्ट्स को हजारों लोग देखते थे। इस दौरान तीन ऐसे खास अकाउंट्स देखने को मिले। लेकिन असल में ये बहुत ही चालाकी से झूठी और भ्रामक जानकारी फैला रहे थे।

1। @YinZP365 नामक अकाउंट सैन्य विश्लेषण में विशेषज्ञता रखता है, जिसे चीनी और पाकिस्तानी सैन्य क्षमताओं को बढ़ावा देते हुए भारत की विश्वसनीयता को कम करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। 20 मई, 2025 को, इस अकाउंट ने भारत की सैन्य रणनीति का मज़ाक उड़ाया, जिसमें दावा किया गया कि मोदी ने “भारतीय लोगों का ब्रेनवॉश करने, मनोबल बढ़ाने और चीन के सैन्य उद्योग के विकास में बाधा डालने” के लिए “हार को जीत में बदलने” का तरीका अपनाया। इस अकाउंट ने वैध लगने वाले सैन्य विश्लेषण को अटकलबाज़ी के दावों के साथ जोड़ा, जैसे कि पाकिस्तान द्वारा 40 J-35 लड़ाकू विमानों का ऑर्डर देने की अफ़वाहें, जबकि उत्तेजक तरीके से पूछा गया कि क्या दर्शक भविष्य में “नई दिल्ली की लड़ाई” देखेंगे।

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2. @zhao_dashuai अकाउंट पाकिस्तानी नागरिकों के खिलाफ भारतीय अत्याचारों के बारे में भावनात्मक और झूठी जानकारी फैलाते हुए पाया गया। 21 मई, 2025 को, इस अकाउंट ने मनगढ़ंत दावे पोस्ट किए कि “एक भारतीय न्यूज़ चैनल ने खुशी ज़ाहिर की कि भारत ने एक आतंकी हमला करवाया जिसमें 4 पाकिस्तानी बच्चों और 2 बड़ों की मौत हो गई।” अकाउंट ने इन दावों के साथ वीडियो भी पोस्ट किए, जिन्हें बाद में दावा की गई घटनाओं से असंबंधित बताकर खारिज कर दिया गया।। यह गलत सूचना के बारे में एक विशेष रूप से चिंताजनक रूप दर्शाता है क्योंकि क्योंकि: बच्चों की मौत जैसी बातें भावनात्मक असर डालती हैं और जब वीडियो साथ में होता है, तो लोग उसे जल्दी सच मान लेते हैं।

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3. @shen_shiwei अकाउंट सैन्य दुष्प्रचार में माहिर है, जो भारतीय अभियानों के दौरान पाकिस्तानी सैन्य सफलताओं के बारे में झूठे दावे करता है। 7 मई, 2025 को, इस अकाउंट ने दावा किया कि पाकिस्तान ने कई भारतीय जेट विमानों को मार गिराया था, जिसमें “तीन राफेल लड़ाकू विमान, एक मिग और एक Su-30” के साथ-साथ 12 भारतीय ड्रोन शामिल थे। इन दावों को भारत के प्रेस सूचना ब्यूरो ने पूरी तरह से खारिज कर दिया, जिसने स्पष्ट किया कि ऐसा कोई नुकसान नहीं हुआ और इस्तेमाल की गई तस्वीरें असंबंधित घटनाओं से थीं, जैसे कि पंजाब में 2021 में मिग-21 का क्रैश होना।

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चरण तीन: “सैन्य श्रेष्ठता” (Military Superiority) की कहानी फैलाना, संपूर्ण मीडिया तंत्र को सक्रिय करना

अभियान का तीसरा चरण सोशल मीडिया से आगे बढ़कर पारंपरिक चीनी मीडिया आउटलेट और व्यक्तिगत ब्लॉगिंग प्लेटफ़ॉर्म को शामिल करते हुए और अधिक विस्तृत हो गया। इसमें चीन की सैन्य ताकत को भारत से बेहतर दिखाने पर ज़ोर दिया गया। इसके लिए सरकारी मीडिया, सोशल मीडिया, वीडियो प्लेटफॉर्म, और प्रभावशाली अकाउंट्स — सभी को मिलाकर एक पूरा मीडिया तंत्र (ecosystem) तैयार किया गया।

China.com ने झूठे दावों की रिपोर्ट की कि “पाकिस्तान ने भारत में ब्रह्मोस मिसाइल भंडारण सुविधा को नष्ट कर दिया”, जबकि तियानजिन डेली ने भारतीय और पाकिस्तानी वायु सेनाओं का तुलनात्मक विश्लेषण प्रकाशित किया, जिसका उद्देश्य यह निष्कर्ष निकालना था कि कोई भी दूसरे के खिलाफ “निर्णायक जीत” हासिल नहीं कर सकता।

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तियानजिन लेख का नैरेटिव विश्लेषण: तियानजिन डेली के 9 मई, 2025 के लेख में भारत के प्रति मुख्य रूप से नकारात्मक भावना प्रस्तुत की गई है। यह पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान के साथ हाल ही में हुए तनाव में भारत को एक हमलावर के रूप में चित्रित करता है। लेख में भारत की सैन्य कार्रवाइयों को भड़काऊ और अनुचित बताया गया है, जबकि हमले के अपराधियों के बारे में भारत के दावों पर संदेह जताया गया है। इसके अलावा, यह पाकिस्तान की प्रतिक्रियाओं को रक्षात्मक और मापा हुआ बताता है, यह सुझाव देते हुए कि भारत की कार्रवाइयां क्षेत्रीय शांति को अस्थिर कर रही हैं। लेख में पाकिस्तान के लिए चीन के समर्थन को भी रेखांकित किया गया है, इसे भारत की कथित आक्रामकता के विपरीत एक स्थिर शक्ति के रूप में प्रस्तुत किया गया है। कुल मिलाकर, यह नैरेटिव चीन के रणनीतिक हितों के साथ मेल खाता है, जो पाकिस्तान के पक्ष में और भारत विरोधी रुख को मजबूत करता है।

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गुआंचा मंच ने एक कदम और आगे बढ़ते हुए, चीनी हथियार प्रणालियों की कथित श्रेष्ठता का सक्रिय रूप से जश्न मनाते हुए दावा किया कि चीन द्वारा आपूर्ति किए गए उपकरण जैसे “जे-10सी लड़ाकू जेट, पीएल-15ई मिसाइल और एचक्यू-9 वायु रक्षा प्रणाली ने भारत की हथियार प्रणालियों से बेहतर प्रदर्शन किया है और चीन की तकनीकी और औद्योगिक ताकत को प्रतिबिंबित किया है।”

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फेसबुक सैन्य विश्लेषण प्रचार

फेसबुक पर चलाये गए इस अभियान को चीनी प्रशिक्षण और उपकरणों की श्रेष्ठता को प्रदर्शित करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। जिसमे यह दिखाने की कोशिश की गई कि चीन की ट्रेनिंग और हथियार भारत से कहीं बेहतर हैं। यूजर ने यह दावा किया कि “चीनी प्रशिक्षण के तहत, भारत को हवाई युद्ध में पाकिस्तान पर कोई आसान जीत नहीं मिली है” और पाकिस्तान को बेहतर “हवाई युद्ध रणनीति” दी गई थी जो “केवल एक कमजोर हमले के साथ एक छोटा परीक्षण” का प्रतिनिधित्व करती थी।

फेसबुक पर की गई पोस्ट में जटिल सैन्य तकनीकी ज्ञान का खुलासा किया गया। जिसमें “पहले शूट डाउन खोजने” की रणनीति और मिसाइल मार्गदर्शन में एयरली वार्निंग एयरक्राफ्ट की भूमिका जैसी अवधारणाओं पर चर्चा की गई। यूजर ने दावा किया कि “पाकिस्तानी फाइटर सिर्फ़ मिसाइल दागता है, असली जीत तय करने वाला तो वह विमान है जो दूर से लक्ष्य साधने में मदद करता है।” वहीं कुछ पोस्ट में इस पूरे संघर्ष को चीन की रणनीति से जोड़ा गया। इस दौरान यूजर ने दावा किया कि “इस लड़ाई के माध्यम से, चीनी पक्ष ने बैल से लड़ने और बाघ को मारने का लक्ष्य हासिल किया।” यह रूपक भाषा बताती है कि चीनी रणनीतिकारों ने भारत-पाकिस्तान संघर्ष को भारत की क्षेत्रीय स्थिति को कमजोर करते हुए चीनी सैन्य क्षमताओं का परीक्षण और प्रदर्शन करने के अवसर के रूप में देखा। हालांकि असल मकसद था चीन की ताकत दिखाना और भारत को कमज़ोर साबित करना था।

सैन्य क्षमता के बारे में बढ़ा-चढ़ाकर किए गए दावे

इस अभियान में चीनी सैन्य श्रेष्ठता के बारे में लगातार बढ़ा-चढ़ाकर दावे किए गए। जिसमें फेसबुक यूजर ने दावा किया कि पाकिस्तान ने “चीन से मिले पुराने J10 लड़ाकू विमानों के साथ भारत से युद्ध किया, 6 भारतीय लड़ाकू विमानों को मार गिराया। केवल 30 मिनट में, इसने 6:0 का रिकॉर्ड बनाया।” इन यूजर ने फिर इन झूठे दावों को आधार बनाकर सवाल उठाया कि “J15, J16, J20, J35, J36, J50” जैसे नए चीनी विमान कथित रूप से सफल J10 की तुलना में कितने अधिक शक्तिशाली होंगे।

इन झूठे युद्धक्षेत्र दावों से लेकर व्यापक सैन्य श्रेष्ठता के आख्यानों तक की यह प्रगति दर्शाती है कि सूचना युद्ध अभियान कैसे तात्कालिक घटनाओं का उपयोग क्षेत्रीय शक्ति संतुलन के बारे में दीर्घकालिक रणनीतिक संदेश के लिए लॉन्चिंग पॉइंट के रूप में कर सकते हैं।

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चरण 4 : सरकारी मीडिया का समर्थन और भावनात्मक विश्लेषण

आधिकारिक चीनी मीडिया की रणनीतिक भागीदारी

यह सूचना युद्ध अभियान कितना सोच-समझकर और व्यवस्थित ढंग से चलाया गया, यह तब और साफ़ हो जाता है जब हम देखते हैं कि चीनी सरकारी मीडिया ने सोशल मीडिया प्रचार के साथ कैसे तालमेल बैठाया।

भारत-पाकिस्तान तनाव की महत्वपूर्ण अवधि के दौरान, तीन प्रमुख चीनी राज्य मीडिया संगठनों – ग्लोबल टाइम्स, चाइना मिलिट्री और CGTN (चाइना ग्लोबल टेलीविज़न नेटवर्क) – ने ऐसे लेख और रिपोर्ट पब्लिश की जो सोशल मीडिया पर चल रहे प्रचार से मेल खाती थीं। सोशल मीडिया पर जो झूठे दावे किये गए थे। उन्हें सरकारी मीडिया के ज़रिए ज्यादा वैध (legitimate) और प्रामाणिक दिखाया गया। ये सब कुछ वैध पत्रकारिता कवरेज की आड़ में किया गया। ताकि आम दर्शक को सच और झूठ में फर्क कर पाना मुश्किल हो जाए।

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नीचे दिए गए ग्राफ़ में यह दिखाया गया है कि भारत-पाकिस्तान तनाव के दौरान चीनी सरकारी मीडिया (CGTN, Global Times, China Military) ने भारत के बारे में कैसा रुख अपनाया। तीनों प्रमुख चीनी राज्य मीडिया आउटलेट्स ने भारत के बारे में व्यवस्थित रूप से नकारात्मक कवरेज की। ग्राफ में दिखता है कि मीडिया आउटलेट्स के लेखों में भारत को हमेशा हमलावर (aggressor) के रूप में दिखाया गया और पाकिस्तान को पीड़ित (victim) बताया गया, जिसे भारत उकसा रहा है। इस दौरान CGTN (China Global Television Network) ने अपने लेखों में भारत की सेना और कूटनीति को नकारात्मक रूप से पेश किया। वहीं पाकिस्तान के आधिकारिक बयानों को समर्थन देने वाली खबरें पब्लिश कीं। वहीं Global Times शुरू से ही भारत पर झूठे हमले (False Flag Operations) के षड्यंत्र के आरोप लगाए और अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर भारत की विश्वसनीयता को सवालों के कठघरे में रखा। चाइना मिलिट्री ने अपनी रिपोर्ट में भारत की सैन्य ताकत को कमजोर दिखाने की कोशिश की। इसके साथ ही ये भी कहा कि पाकिस्तान को जो हथियार चीन से मिले हैं, वे भारत के हथियारों से बेहतर हैं।

1। सीजीटीएन आर्टिक्ल

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2. ग्लोबल टाइम्स आर्टिक्ल

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3। मिल्ट्री चाइना आर्टिकल

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निष्कर्ष

इस अभियान का समय और समन्वय दक्षिण एशियाई संघर्षों के प्रति चीन के अवसरवादी दृष्टिकोण को दर्शाता है। भारत-पाकिस्तान तनाव को कम करने की कोशिश करने के बजाय, चीनी सूचना अभियानों ने बीजिंग के रणनीतिक उद्देश्यों को आगे बढ़ाने के लिए संकट को सक्रिय रूप से बढ़ाया। इस अभियान के जरिये चीन ने पहलगाम हमले का इस्तेमाल भारतीय आक्रामकता, पाकिस्तानी को पीड़ित बताने और चीनी सैन्य श्रेष्ठता को साबित करने के रूप में हासिल किया।

भारत एक ऐसे विरोधी का सामना कर रहा है जिसने भारतीय हितों के खिलाफ पूरे चीनी डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र को हथियार बना लिया है। जमीनी स्तर के सोशल मीडिया यूजर, लोकप्रिय प्रभावशाली अकाउंट (Influencers) और राज्य मीडिया आउटलेट्स के बीच समन्वय एक सूचना युद्ध का बुनियादी ढांचा बनाता है जिसे भारत से जुड़े संकट में जल्दी और प्रभावी ढंग से इस्तेमाल किया जा सकता है।

भारत को यह समझना होगा कि जैसे-जैसे रणनीतिक प्रतिस्पर्धा गहरी होगी, चीनी सूचना युद्ध अभियान तेज होंगे। इस अभियान में हैशटैग की योजना, कई भाषाओं में और विभिन्न प्लेटफ़ॉर्म पर एक जैसी बातें फैलाना, तकनीकी सैन्य झूठी जानकारी का भरपूर इस्तेमाल हुआ। यह चीन की ऐसी क्षमताओं का प्रतिनिधित्व करता है जिन्हें भविष्य के संकटों में फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है।

ऐसे में अब भारत को सूचना युद्ध को गंभीरता से लेना होगा, क्योंकि यह एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ चीन ने पहले ही अपनी ताकत दिखा चुका है।