
दावा
एक वायरल तस्वीर में दावा किया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि, “अगर सेना पर पत्थर फेंके गए और सेना ने पत्थर फेंकने वालों को सीधे गोली मारी तो भी कोई एफआईआर नहीं होगी।” पोस्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने पत्थरबाजों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सशस्त्र बलों या पुलिस को खुली छूट दे दी है।

फैक्ट चेक
इस दावे की पुष्टि करने के लिए DFRAC ने कीवर्ड सर्च किया। इस दौरान हमको किसी भी समाचार पत्र या अन्य किसी भी मीडिया संस्थान से इस संबंधित कोई खबर नहीं मिली कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने ऐसा कोई आदेश दिया हो
हालांकि मीडिया मे ये खबरें ज़रूर मिली जिसमे अतीत में सशस्त्र बलों को रियायत दी गई हैं। इंडिया टुडे की 6 मार्च 2018 की एक समाचार रिपोर्ट के अनुसार भारत के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने मेजर आदित्य कुमार के खिलाफ सभी कार्रवाइयों पर रोक लगा दी थी। शोपियां में दो पत्थरबाजों की मौत के सिलसिले में मेजर कुमार के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। CJI दीपक मिश्रा ने पीठ का नेतृत्व किया था और तत्कालीन जम्मू-कश्मीर सरकार से सवाल किया कि वे एक सशस्त्र अधिकारी के साथ अपराधी जैसा व्यवहार कैसे कर सकते हैं।

इसके अलावा मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सुप्रीम कोर्ट ने 2008 से 2017 तक पत्थरबाजी के मामलों में शामिल 9,730 लोगों के खिलाफ मामले वापस लेने के जम्मू-कश्मीर सरकार के फैसले की वैधता की जांच करने पर सहमति जताई है।

इसी तरह, 31 अगस्त 2018 को न्यूज़लॉन्ड्री में छपे एक लेख में भारतीय सशस्त्र बलों के अधिकारियों की दुर्दशा के बारे में बताया गया है जो सशस्त्र बलों की ओर से दायर एक याचिका में AFSPA को बिना किसी विशेष संशोधन के कथित रूप से कमज़ोर किए जाने पर केंद्रित था। इसी प्रकार दावे की हक़ीक़त के लिए हमने हमने सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर भी सर्च किया ताकि कोर्ट द्वारा हाल ही में दिए गए सभी फैसलों के बारे में जानकारी मिल सके, लेकिन यहां भी हमें वायरल दावे से जुड़ी कोई जानकारी नहीं मिली।
निष्कर्ष
इस प्रकार फैक्ट चेक से यह स्पष्ट है कि दावा भ्रामक है और सेना या सैनिकों को इस तरह की छूट दिए जाने की कोई खबर नहीं है न ही सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ऐसा कोई फैसला नहीं दिया गया है।