लल्लनटॉप के संस्थापक संपादक सोरभ द्विवेदी हाल ही में अपने शो किताबवाला में आईआईएम बेंगलुरु के प्रोफेसर त्रिलोचन शास्त्री के साथ उनकी किताब The Essentials of World Religions पर चर्चा करते हुए दिखाई दिये।
इस चर्चा के दौरान उन्होने यहूदी, ईसाई, इस्लाम, हिन्दू, सिख, जैन धर्मों के इतिहास और संस्कृति पर बातचीत की। हालांकि कार्यक्रम के दौरान उन्होने इस्लाम के बारे में एक बड़ा दावा करते हुए कहा कि अबूबकर इस्लाम के पैगंबर थे। उन सहित चार ओर हुए और वे सभी युद्ध में मारे गए।
प्रोफेसर त्रिलोचन शास्त्री से बातचीत करते हुए सोरभ द्विवेदी कहते है कि “जब मैं आप ही की लिखी हुई इस्लाम की ब्रीफ़ हिस्ट्री देख रहा था। तो हुआ कि साहब पहले पैगंबर हुए अबूबकर! ठीक है। फिर दूसरे, तीसरे और वह क्रमश युद्ध में मारे गए। चारो के चारो। मैं यह कह रहा हूँ कि इसका इंप्रेशन बाद के रेलीजियस इंटेर्पिटेशन और ग्रूपिंग में दिखा।
वहीं उनका ये दावा लल्लनटॉप के यूट्यूब चैनल पर प्रसारित कार्यक्रम में भी दिखाई दिया। जिसे 01:02:00 के टाइमस्टेंप पर देखा जा सकता है।
फैक्ट चेक:
वायरल दावे की जांच के लिए DFRAC ने इस्लाम धर्म के एतिहासिक किताबे “तारीख अल-तबरी” (The History of al-Tabari), सहीह बुखारी (Sahih Bukhari) और सहीह मुस्लिम (Sahih Muslim) का अध्ययन किया। इस दौरान हमने पाया कि इस्लाम धर्म के पैगंबर हजरत मुहम्मद है। नाकि हजरत अबूबकर। हजरत अबूबकर इस्लाम धर्म के पहले खलीफा हुए है। इस्लाम धर्म में पैगंबर मुहम्मद के बाद चार खलीफा हुए है। हजरत अबूबकर, हजरत उमर, हजरत उस्मान और हजरत अली।
हजरत अबूबकर
हजरत अबूबकर इस्लाम धर्म के पहले खलीफा थे। वह पैगंबर मुहम्मद के सबसे करीबी साथी तथा सलाहकार थे। मक्का के कुरैश कबीले से होने के बावजूद, अबू बकर ने इस्लाम को स्वीकार किया और इसके शुरुआती दिनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें इस्लाम का पहला पुरुष अनुयायी माना जाता है। अबू बकर का निधन 23 अगस्त, 634 को मदीना में हुआ। उनका निधन प्राकृतिक कारणों से हुआ, तारीख अल-तबरी (इब्न जरिर अल-तबरी द्वारा लिखित)के अनुसार, अबू बकर की मृत्यु को बीमारी या बुखार को माना गया। उनके अंतिम समय में उनकी देखभाल उनकी बेटी हजरत आइशा ने की थी, उन्हें हजरत आइशा के घर में दफनाया गया, वही स्थान जहाँ हजरत मुहम्मद भी दफनाए गए थे।
हजरत उमर
उमर इब्न अल-खत्ताब का जन्म 584 ईस्वी में मक्का में हुआ था। वे पहले इस्लाम के विरोधी थे, लेकिन बाद में इस्लाम स्वीकार किया और पैगंबर मुहम्मद के करीबी साथी बन गए। पैगंबर की मृत्यु के बाद वे दूसरे खलीफा बने। उनके नेतृत्व में इस्लामी साम्राज्य का विस्तार हुआ और उन्होंने प्रशासनिक सुधार किए। उमर की मृत्यु 3 नवंबर 644 ईस्वी को मदीना में एक हमले में हुई थी। उन्हें मदीना की मस्जिद में नमाज अदा करते समय एक फारसी गुलाम, अबू लुलुआ द्वारा हमला किया गया था। उनकी गंभीर चोटों के बाद, उन्होंने कुछ दिनों तक संघर्ष किया और फिर मदीना में ही उनका निधन हो गया। उन्हें पैगंबर मुहम्मद और हज़रत अबू बकर के पास मदीना में दफनाया गया।
हजरत उस्मान
उस्मान इब्न अफ़ान का जन्म 576 ईस्वी में मक्का में हुआ था। वे उमाय्या कबीले से थे। उनका परिवार मक्का का एक प्रतिष्ठित व्यापारिक परिवार था, और वे इस्लाम से पहले ही एक सम्मानित व्यक्ति माने जाते थे। वे पैगंबर मुहम्मद के करीबी रिश्तेदार भी थे। वे पहले उन मुसलमानों में से थे जो मक्का से मदीना की हिजरत (migration) के बाद मुस्लिम समुदाय में शामिल हुए थे। उनका खलीफा बनने का समय 644 ईस्वी के बाद आया, जब हजरत उमर इब्न अल-खत्ताब की हत्या के बाद खलीफा का चुनाव हुआ। उस्मान के शासनकाल में इस्लामी साम्राज्य का विस्तार हुआ, और उन्होंने विशेष रूप से कुरान के संकलन की प्रक्रिया को पूरा किया। उनकी मृत्यु 17 जून 656 ईस्वी को मदीना में हुई, जब उन्हें विद्रोहियों ने उनके घर में कुरान पढ़ते हुए घेरकर हत्या कर दी।
हजरत अली
अली इब्न अबू तालिब (600–661 ईस्वी) इस्लाम के चौथे खलीफा और पैगंबर मुहम्मद के चचेरे भाई और दामाद थे। वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने इस्लाम को स्वीकार किया। अली का जन्म 600 ईस्वी के आसपास मक्का में हुआ था। अली बचपन से ही पैगंबर मुहम्मद के साथ रहे। हजरत उस्मान की मृत्यु के बाद, अली को चौथा खलीफा चुना गया। अली की मृत्यु 661 ईस्वी में हुई, जब उन्हें कूफे के मस्जिद में जाते समय अब्दुर-रहमान इब्न मुल्जम ने ज़हर-प्रभावी तलवार से हमला कर घायल कर दिया था।
निष्कर्ष:
अत: DFRAC के फैक्ट चेक से स्पष्ट है कि सोरभ द्विवेदी का दावा फेक है। क्योंकि हज़रत अबूबकर पैगंबर नहीं बल्कि इस्लाम धर्म के पहले खलीफा थे। उनकी मौत बीमारी से हुई थी। जबकि अन्य तीनों खलीफा की मौत युद्ध में न होकर धोखे से हमलों में हुई थी।