सोशल मीडिया पर मुस्लिमों के प्रजनन दर को लेकर एक आंकड़ा शेयर किया गया है। वायरल पोस्ट में धर्म आधारित आंकड़े दिए गए है, जिसमें हिन्दूओं का प्रजनन दर 1.94 दिखाया गया है, जबकि मुस्लिमों का प्रजनन दर 4.4 बताया गया है। इसके अलावा सिख 1.61, क्रिश्चियन 1.88, जैन 1.6 और बौद्ध 1.39 के आंकड़े दिए गए हैं।
इन आंकड़ों के साथ Frontalforce नामक यूजर ने पोस्ट शेयर करते हुए जनसंख्या नियंत्रण कानून को जल्द से जल्द बनाए जाने की जरूरत पर बल दिया है।
फैक्ट चेकः
DFRAC की टीम को जांच के दौरान पीआईबी की एक प्रेस रिलीज मिली, जिसके अनुसार स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) लगभग 3 वर्षों के अंतराल पर राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) नामक एक एकीकृत सर्वेक्षण आयोजित करता है और अब तक सर्वेक्षण के पांच दौर पूरे हो चुके हैं। NFHS जनसंख्या गतिशीलता और स्वास्थ्य संकेतकों के साथ-साथ स्वास्थ्य और परिवार कल्याण और संबंधित क्षेत्रों में उभरते मुद्दों पर उच्च गुणवत्ता, विश्वसनीय और तुलनीय डाटा प्रदान करता है, ताकि नीति-निर्माताओं और कार्यक्रम कार्यान्वयन एजेंसियों को बेंचमार्क निर्धारित करने में सहायता मिल सके।
NFHS के 2019-21 के 5वें सर्वेक्षण के अनुसार भारत का कुल प्रजनन दर (TFR) 2 है, जो 2015-16 के NFHS के चौथे सर्वेक्षण में 2.2 था। नवभारत टाइम्स और इंडियन एक्सप्रेस सहित कई मीडिया रिपोर्ट्स में NFHS के हवाले से धर्म आधारित डाटा दिया गया है, जिसमें NFHS के 5वें सर्वेक्षण के अनुसार भारत में मुस्लिमों का प्रजनन दर 2.36 है, जो 2015-16 में 2.62 था।
इन मीडिया रिपोर्ट्स में दिए गए आंकड़ों में देखा जा सकता है कि मुस्लिमों का 4.4 प्रजनन दर 1992-93 के NFHS के पहले सर्वे में था। इससे यह स्पष्ट होता है कि वायरल पोस्ट में मुस्लिमों के प्रजनन दर का लगभग 32 साल पुराना डाटा शेयर किया गया है।
निष्कर्षः
DFRAC के फैक्ट चेक से साफ है कि NFHS के 2019-21 के 5वें सर्वेक्षण के आंकड़ों के अनुसार मुस्लिमों का प्रजनन दर 2.36 है। वहीं सोशल मीडिया पर जो आंकड़ा शेयर किया गया है वह लगभग 32 पुराना है। इसलिए यूजर्स का दावा भ्रामक है।