भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर एक विवादास्पद मुद्दा है। पाकिस्तान हमेशा से ही कश्मीर के मुद्दे पर प्रोपेगेंडा करता आया है और कश्मीर को लेकर भारत को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ता। कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद पाकिस्तान ने कश्मीर के मुद्दे को बड़े ज़ोर-शोर के साथ अंतराष्ट्रीय समुदाय के सामने उठाना शुरू कर दिया। 5 अगस्त को कश्मीर से अनुच्छेद 370 की समाप्ति को पाकिस्तान यौम ए इस्तेहसाल यानि उत्पीड़न का दिन का नाम दिया है। इसके साथ ही कश्मीरी अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी के निधन के दिन को शहादत का दिन मनाना शुरू कर दिया।
कौन थे सैयद अली शाह गिलानी?
सैयद अली शाह गिलानी कश्मीर के एक प्रमुख अलगाववादी नेता थे। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत जम्मू और कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस (NC) से की थी, लेकिन बाद में वे जम्मू और कश्मीर मुस्लिम लीग से जुड़े। 1960 के दशक में उन्होंने जमात-ए-इस्लामी पार्टी के सदस्य के रूप में सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया। जिसे बाद में भारत सरकार ने प्रतिबंधित कर दिया था। 1970 के दशक में उन्होंने कश्मीर की आजादी और स्वायत्तता की मांग को लेकर ऑल पार्टीज हुर्रियत कांफ्रेंस (APHC) का नेतृत्व किया। जिसमें 26 से ज्यादा अलगाववादी संगठन शामिल थे। 2003 में इससे अलग होकर उन्होंने तहरीक ए हुर्रियत नाम के नए संगठन की स्थापना की। लेकिन 5 अगस्त 2019 को कश्मीर की अवाम के अनुच्छेद 370 की समाप्ति को अपनाने के बाद, उन्होंने हुर्रियत की राजनीति को हमेशा के लिए त्याग दिया।
सैयद अली शाह गिलानी और पाकिस्तान
गिलानी पर कश्मीर परस्त होने के बजाय पाकिस्तान परस्त होने के आरोप लगते रहे हैं। उन्होंने हमेशा कश्मीर पर पाकिस्तान के हितों को तरजीह दी। वे खुद तीन बार विधायक रहे। लेकिन उन्होंने कश्मीर के युवाओं की भारत के खिलाफ भड़काया और उन्हें चुनावों से दूर रहने को कहा।
उन्होंने कई बार भारत के विरोध और पाकिस्तान के समर्थन में बयान दिये। उन पर भारत विरोधी गतिविधियों के आरोप भी लगे। जिसके कारण उन्हें कई बार गिरफ्तार भी किया गया। सन 2020 में गिलानी को पाकिस्तान ने अपने सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार निशान ए पाकिस्तान से भी सम्मानित किया था।
सैयद अली शाह गिलानी का निधन या शहादत?
कश्मीर मुद्दे पर गिलानी जिंदा रहते हुए भी पाकिस्तान के मददगार थे, तो मरने के बाद भी पाकिस्तान के मददगार बने हुए हैं। दरअसल, पाकिस्तान ने गिलानी की मौत को शहादत के रूप में प्रचारित करना शुरू कर दिया है। भारत के खिलाफ पाकिस्तान ने प्रोपेगेंडा फैलाया कि भारत ने कश्मीर की आजादी की मांग उठाने के कारण गिलानी को शहीद कर दिया। पाकिस्तान ने अपने इस झूठ को पूरी दुनिया में एक सुनियोजित तरीके से फैलाया। जिसका पूरा विश्लेषण हम अपनी इस रिपोर्ट में करेंगे।
फैक्ट चेक
कैसे हुई थी गिलानी की मौत?
गिलानी लंबे समय से बीमार थे। वे दो दशकों से अधिक समय से गुर्दे की बीमारी से जूझ रहे थे। बीमारी के ज्यादा बढ़ जाने के कारण उनका गुर्दा भी निकालना पड़ा था। इलाज के लिए उन्होंने अमेरिका का वीजा भी मांगा था। लेकिन इराक युद्ध के लिए अमेरिका की आलोचना के कारण गिलानी को वीजा भी नहीं मिला था। ऐसे में साफ है कि पाकिस्तानियों का गिलानी की मौत को शहादत बताना गलत है।
पाकिस्तान का प्रोपेगेंडा
पाकिस्तान ने कश्मीर के मुद्दे को उठाने के लिए विशेष दिवस के तौर पर एक पूरा बकेट बनाया हुआ है। हर साल पाकिस्तान इन दिनों में सुनियोजित तरीके से भारत के खिलाफ अपना प्रोपगेंडा शुरू कर देता है। कश्मीर सोलिडेरिटी डे, ब्लेक डे, यौम ए इस्तेहसाल और अब गिलानी की डेथ एनिवर्सरी पाकिस्तान के लिए भारत विरोधी प्रोपेगेंडा का टूल बन चुकी है।
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय और गिलानी की डेथ एनिवर्सरी
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने दुनिया भर में गिलानी की डेथ एनिवर्सरी को शहादत के रूप में मनाया। इस दिन को दुनिया भर में पाकिस्तानी दूतावासों में गिलानी को खिराज ए अक़ीदत पेश की गई। इसके साथ ही गिलानी को कश्मीरियों के लिए एक मसीहा के रूप में दिखाया गया। जो कश्मीरियों के लिए आजीवन लड़ा।
पाकिस्तान हर साल दुनियाभर में अपने दूतावासों एक जरिये गिलानी की डेथ एनिवर्सरी को मनाता रहा है। इस दौरान वह दुनियाभर में कश्मीर पर अपने भारत विरोधी एजेंडे को रखता है।
#SyedAliGilani
गिलानी की डेथ एनिवर्सरी को लेकर सोशल मीडिया एक्स पर #SyedAliGilani ट्रेंड हुआ। इसके साथ ही कई अन्य हैशटेग #StandWithKashmir #QaiedHamaraGeelani, #FreeKashmir, #KashmirisLivesMatter #HumPakistaniHumaraPak, #IndiaOutOfKashmir, #FreeKashmirNow का भी इस्तेमाल हुआ। ये हैशटेग पाकिस्तानी सोशल मीडिया यूजर्स द्वारा ट्रेंड कराये गए थे। जिसमें गिलानी के पाक समर्थक वीडियो, पोस्टर, तस्वीरें, थ्रेड पोस्ट किये गए। हालांकि सब कुछ पहले से ही सुनियोजित था। इसके लिए पूरी तैयारी की गई थी। सोशल मीडिया पर इस बारे में अपील भी की गई थी।
मुशाल मलिक ने भी गिलानी की मौत को शहादत बताया
मुशाल मलिक कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक की पत्नी हैं। यासीन मलिक टेरर फंडिंग के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। मुशाल मलिक पाकिस्तान की नागरिक हैं। उन्होंने 2009 में यासीन मलिक से शादी की थी। वह सोशल मीडिया पर कश्मीर को भारत से अलग करने के लिए अभियान चलाती रहती हैं। गिलानी की डेथ एनिवर्सरी पर भी उन्होंने एक वीडियो पोस्ट किया। जिसमें उन्होंने गिलानी की मौत को शहादत बताया। उन्होंने भारत पर गिलानी के परिजनों को उनका अंतिम संस्कार नहीं करने देने का भी आरोप लगाया। हालांकि मुशाल मलिक का X अकाउंट भारत में प्रतिबंधित है।
फेक न्यूज़
गिलानी की डेथ एनिवर्सरी पर भारत के खिलाफ जमकर फेक न्यूज़ भी वायरल हुए। जिसमें कश्मीरियों की किलिंग के बेबुनियाद और झूठे दावे भी किए गए।
कश्मीर में भारतीय सेना पर नागरिकों की हत्या का झूठा आरोप
गिलानी की डेथ एनिवर्सरी पर पाकिस्तानी एक्स यूजर जबीन (@jabeen__6686) ने पोस्ट कर दावा किया कि भारतीय सेना कश्मीरियों की हत्या कर रही है।
यूजर ने अपनी पोस्ट में लिखा कि अगस्त में ही फर्जी मुठभेड़ों में सात निर्दोष लोगों की जान चली गई। दुनिया के जागने से पहले और कितने शहीद होंगे? #JusticeForKashmir
Fact Check:
पोस्ट में किये गए दावे की जांच के लिए DFRAC टीम ने कई मीडिया रिपोर्ट को देखा। इस दौरान टीम ने पाया कि अगस्त 2024 के महीने में आतंकवादियों और सुरक्षाकर्मियों के बीच कई झड़पें हुई थीं।
रिपोर्ट्स के अनुसार, 11 अगस्त 2024 को एक आतंकवादी मुठभेड़ के दौरान गोलीबारी में 1 नागरिक की जान चली गई थी। इसके अलावा किसी नागरिक के हताहत होने की कोई खबर नहीं थी।
हालाँकि, अगस्त 2024 के दौरान कई मुठभेड़ और आतंकवादी हमले हुए, जहां भारतीय सुरक्षाकर्मी शहीद हुए और जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी भी मारे गए।
ऐसे में फैक्ट चेक से स्पष्ट है कि जम्मू-कश्मीर में भारतीय सेना द्वारा नागरिकों की हत्या का दावा फेक है।
निष्कर्ष:
सैयद अली शाह गिलानी पर पाकिस्तान परस्त होने के आरोप हमेशा लगते रहे हैं। उनका झुकाव कश्मीर पर कम और पाकिस्तान की तरफ दिखाई पड़ता था। उन पर ये भी आरोप लगते रहे कि वह अपने एजेंडे के कश्मीर के युवाओं को बरगलाते रहे। “आजाद कश्मीर” का नारा देकर उन्होंने घाटी को दशकों तक लहूलुहान रखा। गिलानी की इस सोच ने युवाओं के हाथों में पत्थर और हथियार थमाए। गिलानी के बहाने पाकिस्तान कश्मीर पर अपनी नापाक हरकतों को अंजाम दे रहा है। इसके लिए वह सोशल मीडिया के जरिए फिर से उस नरेटिव को खड़ा करने की कोशिश कर रहा है, जो गिलानी की मौत के साथ ही खत्म हो गया था।