सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में देखा जा सकता है कि एक ब्रिज टूटकर नदी में गिर गया है। इस टूटे ब्रिज के बगल में एक दूसरा ब्रिज भी है, जिस पर खड़े होकर लोग टूटे ब्रिज को देख रहे हैं। सोशल मीडिया यूजर्स इस वीडियो के साथ दावा कर रहे हैं कि कांग्रेस का बनाया पुल खड़ा है, जबकि मोदी सरकार में बनाया गया पुल ढह गया है।
शेखर नामक यूजर ने लिखा, “बगल वाला जो कांग्रेस के लूट वाला पूल जस का तस सीना ताने खडा है और आज मोदी का एक और विकास डूबकी लगा दिया”
वहीं कई अन्य यूजर्स ने भी इस वीडियो को ऐसे ही कैप्शन के साथ शेयर किया है। जिसे यहां, यहां, यहां, यहां और यहां देखा जा सकता है।
फैक्ट चेकः
DFRAC की टीम ने वायरल वीडियो के की-फ्रेम्स को रिवर्स इमेज सर्च किया। हमने पाया कि एक यूट्यूब चैनल पर 8 अगस्त को इसी वीडियो को अपलोड कर इसे कर्नाटक के कारवार में काली नदी पर पुराने ब्रिज का ढह जाना बताया गया है।
इसके बाद हमारी टीम ने काली नदी पर ब्रिज ढहने के बारे में गूगल पर कुछ कीवर्ड्स सर्च किया। हमें TOI की एक रिपोर्ट मिली। जिसमें बताया गया है कि कारवार में काली नदी पर बना 50 साल पुराना पुल ढह गया। यह पुल एनएच 66 पर कारवार और गोवा के बीच एक महत्वपूर्ण संपर्क था। इस पुल को जिला प्रशासन ने 2011 में बंद कर दिया था, क्योंकि आशंका थी कि यह कभी भी ढह सकता है।
वहीं एबीपी न्यूज की रिपोर्ट में इस ब्रिज को 41 साल पुराना बताया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर कन्नड़ जिले के कारवार में काली नदी पर बना 41 साल पुराना पुल करीब 2:00 बजे ढह गया, जिससे एक लॉरी नदी में गिर गई। लॉरी चालक, जो तमिलनाडु का रहने वाला है, को पुलिस और स्थानीय मछुआरों ने बचा लिया।
निष्कर्षः
DFRAC के फैक्ट चेक से साफ है कि सोशल मीडिया पर ब्रिज ढहने का वायरल वीडियो मोदी सरकार से जोड़कर भ्रामक दावा किया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह पुल 40 से 50 साल पुराना था, जिसे 2011 में बंद कर दिया गया था।