सोशल मीडिया पर इंडियन ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष सैम पित्रोदा को लेकर एक स्क्रीनशॉट वायरल है। इस स्क्रीनशॉट में पित्रोदा की फोटो लगी है और टेक्स्ट लिखा है, “पाकिस्तानियों और खालिस्तानियों ने न्यूयॉर्क पुलिस से मोदी विरोधी रैली के लिए जगह आवंटित करने का अनुरोध किया। पाकिस्तानियों के साथ-साथ न्यूयॉर्क पुलिस को तीसरा अनुरोध भी प्राप्त हुआ। क्या आप विश्वास कर सकते हैं कि यह तीसरा अनुरोध किसने किया? अपनी सांस थाम लीजिए। यह ओवरसीज कांग्रेस की ओर से सैम पित्रोदा द्वारा किया गया था।” (हिन्दी अनुवाद)
वही इस दावे के साथ कई अन्य यूजर्स ने भी पोस्ट शेयर किया है। जिसे यहां, यहां, यहां और यहां देखा जा सकता है।
फैक्ट चेकः
DFRAC की टीम ने वायरल दावे की जांच की। हमने पाया कि सैम पित्रोदा को लेकर इससे पहले भी ऐसा ही दावा साल 2019, 2020 और 2023 में किया जा चुका है। वर्ष 2019 में एक यूजर ने पित्रोदा को लेकर दावा किया था कि सैम पित्रोदा को उम्मीद थी कि वे न्यूयॉर्क और संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय पर पाकिस्तान और भारत विरोधी खालिस्तानी प्रदर्शनकारियों के साथ नरेंद्र मोदी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व करेंगे।
इस यूजर के जवाब को देते हुए पित्रोदा ने इसे गलत सूचना बताया था। उन्होंने लिखा था, “सच नहीं है। ग़लत ख़बर है। मुझे कुछ पता नहीं।”
वहीं आगे की जांच करने पर हमें कई मीडिया रिपोर्ट्स मिलीं। जिसमें बताया गया है कि पाकिस्तान समर्थक समूहों, खालिस्तानियों और फर्जी कश्मीरी समूहों द्वारा 22 सितंबर, रविवार को ह्यूस्टन में ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की जा सकती है। इसके अलावा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक सप्ताह के दौरे के दौरान न्यूयॉर्क और संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय के बाहर भी भारत विरोधी प्रदर्शन होने की उम्मीद है।
इन मीडिया रिपोर्ट्स में उल्लेखित है कि न्यूयॉर्क शहर की पुलिस ने कहा कि मोदी विरोधी रैली के लिए तीन संगठनों ने अनुमति मांगी थी, जिसमें पाकिस्तान समर्थित संगठनों का गठबंधन भी शामिल है। वहीं उस समय समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए भारतीय समुदाय के कुछ लोगों ने कहा था कि जो लोग कश्मीरी होने के नाम पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, वे घाटी के हैं ही नहीं। उन्होंने दावा किया कि प्रदर्शनकारी पाकिस्तानी प्रतिनिधि हैं, जो झूठी कहानी गढ़ रहे हैं।
इन मीडिया रिपोर्ट्स और पुलिस के बयान में कहीं भी नहीं है कि सैम पित्रोदा ने प्रदर्शन को आयोजित करने के लिए परमिशन मांगी थी।
निष्कर्षः
DFRAC के फैक्ट चेक से साफ है कि सैम पित्रोदा को लेकर सोशल मीडिया यूजर्स द्वारा किया जा रहा दावा गलत है।