सोशल मीडिया पर अखबार ‘अमर उजाला’ की एक न्यूज कटिंग वायरल हो रही है। इस न्यूज कटिंग में शीर्षक है, “रेल जिहादः पटरी की फिश प्लेट खोलते पकड़ा गया मुस्लिम युवक”।
इस न्यूज कटिंग को शेयर करते हुए यूजर्स लिख रहे हैं, “देश में लगातार हो रहे रेल और बस हादसे सामान्य और सिर्फ हादसे नही हैं | लगातार तीसरी बार हिंदुओं के प्रति भाव रखने वाली सरकार के सत्ता में आने के बाद रेल हादसों में इतनी तेजी आई है जो सोचनीय है | अब पटरी की फिश खोलते हुए जो मुगल पकड़ा गया है अगर यह पकड़ा नही जाता और अपनी योजना में सफल होता तो ना जाने कितने परिवार अनाथ होते। और कांग्रेसी तत्व अंतराष्ट्रीय स्तर पर देश की सत्ता को बदनाम करने के लिए हर जोर प्रयास करते”।
वहीं कई अन्य यूजर्स ने भी इस न्यूज कटिंग को शेयर किया है।
फैक्ट चेकः
DFRAC की टीम ने वायरल दावे की सत्यता जानने के लिए गूगल पर कुछ कीवर्ड्स सर्च किया। हमें ‘आज तक’ की वेबसाइट पर 20 जनवरी 2018 को पोस्ट एक रिपोर्ट मिली। जिसके अनुसार, “तीन लड़कों की सतर्कता से गाजियाबाद के मुरादनगर में एक बड़ा रेल हादसा टल गया। उन लड़कों ने वहां एक अनजान शख्स को रेलवे लाइन पर उस वक्त धर दबोचा, जब वह रेलवे ट्रैक की फिश प्लेट खोल रहा था। उसकी करतूत देखकर लोगों ने उसे जमकर पीटा। फिर रेल कर्मचारियों ने उसे स्टोर में बंद कर दिया।”
वहीं नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, “दयानंद कॉलोनी निवासी शिवा (16) तुषार (15) और सचिन कुमार (14) शुक्रवार सुबह करीब 8 बजे ट्रैक की ओर गए थे। पोल संख्या 38.19 के पास बैठे एक युवक ने उनसे कॉल करने के लिए मोबाइल मांगा। इस पर किशोरों ने उसे मोबाइल देने से मना कर दिया। इसी बीच तुषार की नजर रेलवे ट्रैक पर खुले पड़े नट बोल्ट और फिश प्लेट पर गई। उन्होंने जब इस बारे में युवक से पूछा तो वह भागने लगा। इस पर तीनों से उसका पीछा किया और उसे दबोच लिया और उसकी जमकर धुनाई कर शोर मचा दिया। शोर सुनकर आसपास के लोग भी मौके पर पहुंच गए और युवक को रेलवे स्टेशन पर ले जाकर स्टेशन मास्टर को सौंप सारी बात बताई।”
मीडिया रिपोर्ट्स में आरोपी की पहचान फुरकान निवासी बुलंदशहर के रूप में हुई थी। घटना के समय आरोपी नशे में बताया जा रहा था। फिश प्लेट निकाले जाने की घटना के कुछ देर बाद ही इस ट्रैक से देहरादून एक्सप्रेस गुजरनी थी, जिसे मुरादनगर स्टेशन पर 50 मिनट तक रोका गया था।
वहीं आगे की जांच के लिए हमारी टीम को अमर उजाला के ऑनलाइन संस्करण पर 20 जनवरी 2018 के गाजियाबाद सेक्शन में यही खबर मिली। जिसमें इसका शीर्षक, “किशोरों की सूझबूझ से बचा बड़ा रेल हादसा” था।
वहीं अमर उजाला का ई-पेपर पर देखने पर हमने पाया वायरल न्यूज कटिंग में हेडिंग और सब हेंडिग को एडिट किया गया है।
निष्कर्षः
DFRAC के फैक्ट चेक से साफ है कि सोशल मीडिया पर वायरल अमर उजाला की न्यूज कटिंग में हेडिंग और सब हेडिंग को एडिट किया गया है और यह घटना हाल-फिलहाल की नहीं बल्कि 2018 की है। इसलिए यूजर्स का दावा भ्रामक है।