सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल हो रहा है। वीडियो में, एक एसयूवी चालक को गुरुद्वारा परिसर में लापरवाही से वाहन चलाते हुए देखा जा सकता है जबकि लोग भागते हुए दिखाई दे रहे हैं। वीडियो को शेयर करते हुए, सोशल मीडिया यूजर्स दावा कर रहे हैं कि वीडियो दिल्ली के गुरुद्वारे में एक आतंकवादी हमला है।
@Khalsavision नाम के एक्स यूजर ने लिखा, “नई दिल्ली के गुरुद्वारा सीसगंज साहिब के बाहर आतंकवादी हमला। कथित तौर पर एक “एच” चरमपंथी ने अपनी एसयूवी को कई सिख पुरुषों, महिलाओं और बच्चों पर चढ़ा दिया”(हिन्दी अनुवाद)
इसके अलावा कई अन्य यूजर ने भी इस वीडियो को शेयर कर इसी तरह के दावे किये हैं।
फैक्ट चेक
हमने वायरल दावे और वीडियो की जांच की। इस दौरान हमें टिंडर टीवी ऑफिशियल नाम के एक यूट्यूब चैनल पर यह वीडियो मिला । यह वीडियो 10 अप्रैल 2024 को पोस्ट किया गया था, जिसके विवरण में बताया गया है कि पिछली रात पटियाला के गुरुद्वारा दुखनिवारन साहिब के बाजार में एक दुकानदार ने ड्रामा किया और टैक्स लेने के बाद वह गाड़ी को तेज गति से चलाने लगा।
नीचे दिये गये कोलाज में आप रियलिटी और वायरल वीडियो की तुलना देख सकते हैं।
इसके अलावा यह वीडियो इस्टाग्राम पर भी 10 अप्रैल 2024 को ही पोस्ट किया गया था। इंस्टाग्राम वीडियो में भी घटना का स्थान ‘ पटियाला में गुरुद्वारा दुखनिवारन साहिब ‘ बताया गया था।
आगे की पड़ताल करने पर हमें हमें टाइम्स ऑफ इंडिया की 11 अप्रैल 2024 की एक रिपोर्ट मिली, जिसमें पटियाला के गुरुद्वारे के उसी स्थान के साथ पूरी घटना की रिपोर्टिंग की गई है। रिपोर्ट में उल्लेखित है, “पटियाला में गुरुद्वारा दुखनिवारन साहिब के बाजार परिसर में एक प्रतिद्वंद्वी दुकानदार के साथ विवाद के दौरान एसजीपीसी (शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति) के सेवादार 25 वर्षीय अजीत पाल सिंह ने कुछ राहगीरों को अपनी जीप के नीचे कुचलने का प्रयास किया। घटनास्थल से केवल दो लोगों के घायल होने की सूचना मिली है और इस घटना में कोई हताहत नही हुआ है।”
इसके अलावा, रिपोर्ट में आगे कहा गया है, कि मंदिर के एसजीपीसी द्वारा नियुक्त प्रबंधक करनैल सिंह ने दावा किया कि विवाद में शामिल दोनों दुकानदार सिख थे।
निष्कर्ष
DFRAC के फैक्ट चेक से स्पष्ट है कि वीडियो अप्रैल 2024 में पटियाला के गुरुद्वारे दुखनिवारन साहिब के बाजार परिसर का है, न कि दिल्ली के गुरुद्वारा सीसगंज का। वहीं दिल्ली गुरुद्वारे में कोई आतंकी हमला नहीं हुआ है। इसलिए सोशल मीडिया यूजर्स का दावा फेक है।