सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर कर दावा किया गया है कि इंदौर में ईद के मौके पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने हिन्दू समुदाय के घरों पर पथराव किया और उन्हें डराने-धमकाने की कोशिश की। जिसके बाद मध्य प्रदेश पुलिस आरोपियों को रस्सी से बांधकर घटनास्थल पर ले गई और पत्थरबाजों से एक-एक पत्थर को उठवाया।
एक यूजर ने वीडियो को शेयर करते हुए लिखा, “MP इंदौर में अब्दुल और उसके साथियों ने मिलकर ईद पर हिंदूओं के घर पर पत्थर फेंके और डराने धमकाने लगे थे। CM-मोहन यादव जी की पुलिस ने अब्दुल गैंग को थाने में बढ़िया से कूटा… अर्द्धनग्न किया और रस्सी से बांधकर वहीं लेकर आईं जहां पत्थर फेंके थें! इस कठोर कारवाई के लिए इंदौर पुलिस का बहुत बहुत धन्यवाद!”
इस वीडियो को ऐसे ही दावे के साथ Tiger Raja singh Satire नामक यूजर ने भी शेयर किया है।
फैक्ट चेकः
DFRAC की टीम ने वायरल वीडियो को कीफ्रेम्स में कन्वर्ट कर गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च किया। हमें वीडियो के संदर्भ में कई मीडिया रिपोर्ट्स मिलीं, जिसमें यह सामने आया कि यह घटना हाल-फिलहाल की नहीं, बल्कि सितंबर 2023 की है और दोनों पक्ष मुस्लिम है। इस घटना में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है।
‘इंडिया टीवी’ की 9 सितंबर 2023 की एक रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश के इंदौर में सदर बाजार क्षेत्र में दो पक्षों के बीच आपसी विवाद के बाद पथराव हो गया। इस मामले में पुलिस को सूचना मिली तो आपसी विवाद में पथराव करने वाले दोनो पक्षों के बदमाशों को पुलिस ने फौरन पकड़ लिया। पुलिस ने पथराव करने वाले दोनो पक्षों के बदमाशों को अर्धनग्न करके क्षेत्र में जुलूस निकाला। पुलिस ने बदमाशों से फेंके गए पत्थर बिनवाए और क्षेत्र के लोगों से कान पकड़कर माफी भी मंगवाई। इस रिपोर्ट में दोनों पक्षों के 8 आरोपियों के नाम लिखे गए हैं और ये सभी मुस्लिम हैं।
वहीं ईटीवी भारत, नई दुनिया सहित कई मीडिया रिपोर्ट्स में भी सांप्रदायिक घटना का होने की बात नहीं लिखी गई है।
इसके अलावा घटना के दौरान मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की सरकार थी। मोहन यादव ने बीजेपी की विधानसभा चुनाव में जीत के बाद 13 दिसंबर 2023 को सीएम पद की शपथ ली थी।
निष्कर्षः
DFRAC के फैक्ट चेक से साफ है कि वायरल वीडियो ईद का नहीं है, बल्कि सितंबर 2023 का है और इस घटना में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं है। पत्थरबाजी करने वाले दोनों पक्ष मुस्लिम ही थे। वहीं उस समय राज्य के CM मोहन यादव नहीं, शिवराज सिंह चौहान थे। इसलिए यूजर्स का दावा भ्रामक है।