क्या भारत में मुस्लिमों के वोट अधिकार छीन लिए गए हैं? दरअसल सोशल मीडिया साइट एक्स पर अब्दुल रहमान नामक यूजर ने अरबी भाषा में किए गए एक ट्वीट में ऐसा दावा किया है। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा है कि भारतीय मुसलमान फ़िलिस्तीनी संघर्ष से क्यों नहीं सीखते हैं और क्या इसे राजनीतिक भूगोल के आलोक में दोहराया जा सकता है, जो फ़िलिस्तीन के भू-राजनीतिक भूगोल के लगभग समान है? उन्होंने आगे लिखा है कि भारतीय चुनावों की शुरुआत के साथ, मुसलमानों को हाशिए पर धकेल दिया गया और वोट देने के अधिकार से बाहर कर दिया गया, क्योंकि यह एक नस्लवादी हिंदू सरकार के तहत एक चुनावी तमाशा है।
फैक्ट चेकः
भारत के संदर्भ में अब्दुल रहमान का दावा फेक है और इस अकाउंट से भारत का गलत नक्शा भी शेयर किया गया है। भारत संविधान के अनुसार सभी भारतीय नागरिकों को मतदान का अधिकार दिया गया है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 326 के तहत सभी नागरिकों को लोकसभा और राज्यों की विधानसभा में मतदान के अधिकार दिए गए हैं।
वहीं संविधान का अनुच्छेद 325 में यह गारंटी दी गई है कि किसी भी नागरिक के साथ संसद या राज्यों की विधानसभा में शामिल किए जाने पर धर्म, मूल वंश, जाति, लिंग या इनमें से किसी के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा। संविधान में उल्लेख किया गया है, “संसद के प्रत्येक सदन या किसी राज्य के विधान-मंडल के सदन या प्रत्येक सदन के लिए निर्वाचन के लिए प्रत्येक प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्र के लिए एक साधारण निर्वाचक-नामावली होगी और केवल धर्म, मूल वंश, जाति, लिंग या इनमें से किसी के आधार पर कोई व्यक्ति ऐसी किसी नामावली में सम्मिलित किए जाने के लिए अपात्र नहीं होगा या ऐसे किसी निर्वाचन-क्षेत्र के लिए किसी विशेष निर्वाचक-नामावली में सम्मिलित किए जाने का दावा नहीं करेगा।”
वहीं हमारी टीम ने अब्दुल रहमान के बारे में जांच की। इस अकाउंट को ट्यूनिशिया के पूर्व विदेश मंत्री डॉ रफ़ीक अब्देस्सलाम भी फॉलो करते हैं।
वहीं हमने पाया कि अब्दुल रहमान ने एक पोस्ट में भारतीय मुसलमानों की तुलना फिलिस्तीन से करते हुए लोगों को जिहाद के लिए उकसाया गया है।
निष्कर्षः
DFRAC के फैक्ट चेक से साफ है कि अब्दुल रहमान नामक यूजर का दावा फेक है, क्योंकि भारत में मुस्लिमों को वोट डालने के अधिकार नहीं छीने गए हैं और भारतीय संविधान में यह स्पष्ट उल्लेखित है कि भारत के सभी नागरिकों को मतदान का अधिकार है।