सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है। इस वीडियो में देखा जा सकता है कि एक युवक को जूते में पानी पिलाया जा रहा है। इस वीडियो के साथ यूजर्स दावा कर रहे हैं कि मोदी युग में ऊंची जाति के नल का पानी पीने पर नीची जाती के हिंदू को जूते से पानी पिलाकर दंडित किया गया। यूजर्स सवाल खड़े कर रहे हैं कि सरकार जब देश से भेदभाव नहीं खत्म कर पाई, तो फिर सरकार पिछड़ी जाति का विकास क्या करेगी?
इस वीडियो को शेयर करते हुए Nidhi Singh Rathore नामक यूजर ने लिखा- “मोदी के भारत की अदबुद्ध तस्वीर मोदी युग में ऊँची जाति के नल का पानी पीने पर नींची जाती के हिंदू को जूते से पानी पीला के दंडित करने की प्रथा देखे ।सरकार देश से भेदभाव नहीं ख़त्म कर पायी वो सरकार पिछड़ी जाति का विकास क्या करेगी #NoVoteForBJP #NehaSinghRathore #LokSabhaElections2024”
इस वीडियो को ऐसे ही दावों के साथ कई अन्य यूजर्स ने भी शेयर किया है, जिसे यहां, यहां और यहां क्लिक करके देखा जा सकता है।
फैक्ट चेकः
DFRAC की टीम ने वायरल वीडियो को की-फ्रेम्स में कन्वर्ट कर रिवर्स सर्च किया। हमें वायरल वीडियो के संदर्भ में दैनिक भास्कर और वन इंडिया सहित कई मीडिया रिपोर्ट्स मिलीं, जिसमें बताया गया है कि यह घटना चार साल पहले की है। दैनिक भास्कर की खबर के मुताबिक, “पाली जिले के सुमेरपुर के निकट भारुंदा गांव से एक युवक का अपहरण कर सिरोही के निकट सुपरणा (सरदारपुरा) गांव के एक कृषि कुएं पर कुछ लाेगाें ने एक युवक का अपहरण के बाद मारपीट कर अमानवीयता की हदें पार कर दी। पीड़ित युवक के उसके गांव की ही स्वजाति विवाहिता से प्रेम प्रसंग रखने से आरोपी नाराज थे, जिन्हाेंने मारपीट के दाैरान शराब की बाेतल में पेशाब और जूताें में पानी भरकर युवक काे पिलाया।”
सोर्स- दैनिक भास्कर और वन इंडिया
खबर के मुताबिक “आराेपियाें ने पीड़ित के चाचा और भाई काे माैके पर बुलाया और उन्हें भी रातभर पेड़ से बांध कर रखा। दूसरे दिन सुबह पीड़ित के माता-पिता माैके पर पहुंचे ताे आराेपियाें ने दंड स्वरूप उनसे 5 हजार रुपए वसूले। इसके बाद पीड़ित पक्ष काे गांव छाेड़ने की धमकी देकर छाेड़ा।” मीडिया रिपोर्ट्स में आगे बताया गया है कि सुमेरपुर पुलिस ने इस मामले में पांच आरोपी लक्ष्मणराम देवासी, जवानाराम, भीमाराम, नवाराम और दरगाराम देवासी काे गिरफ्तार भी किया था, जबकि एक बाल अपचारी काे भी संरक्षण में लिया गया था।
निष्कर्षः
DFRAC के फैक्ट चेक से साफ है कि सोशल मीडिया यूजर्स दावा भ्रामक है। इस घटना में जातिवाद का एंगल और नल से पानी पीने पर सजा देने का कोई मामला नहीं है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह मामला स्वजातीय विवाहित महिला से प्रेम संबंध रखने वाले युवक के साथ उसके ही जाति के लोगों द्वारा की गई अमानवीयता का है।