सोशल मीडिया साइट्स पर फुटबॉल खिलाड़ियों के ब्लैक एंड व्हाइट फोटो के साथ एक पोस्ट शेयर किया गया है। इस पोस्ट में दावा किया गया है कि ये फोटो लंदन ओलंपिक 1948 का है, जहां भारतीय खिलाड़ी बगैर जूते के खेलने के लिए मैदान में उतरे हुए थे।
फेसबुक पर पोस्ट शेयर करते हुए Er Brij Mohan नामक यूजर ने लिखा- “यह एक तस्वीर है 1948 के ओलंपिक कि जो लंदन में हुआ था। हमारी फुटबॉल टीम ने फ्रांस के साथ मैच 1-1 से बराबर किया था। हमारे खिलाड़ी इसलिए जीत न सके क्योंकि उनके पास जूते ही नहीं थे और वह नंगे पैर पूरा मैच खेले थे। जिसके कारण बहुत ही खिलाडियों को दूसरी टीम के खिलाडियों के जूतों से चोट भी लगी थी। फिर भी मुकाबला बराबरी का रहा। इस टीम के कप्तान थे शैलेन्द्र नाथ मन्ना। वो विश्व के बेहतरीन खिलाडियों में से एक थे। सरकार ने जूते क्यों नहीं दिए क्योंकि सरकार के पास इतने पैसे भी नही थे। यह वो वक्त था जब नेहरू के कपड़े पेरिस से ड्राई क्लीन हो कर आते थे और साहब अपने कुत्ते के साथ प्राइवेट जेट में घूमते थे। नतीजा यह हुआ के फीफा ने 1950 वर्ड कप में इंडिया को बैन कर दिया, क्योंकि बिना जूते के कोई भी टीम मैच नही खेल सकती थी। फिर कभी भारतीय टीम फीफा वर्ड कप मैं नही गई।”
Source- Facebook
फैक्ट चेकः
वायरल दावे का फैक्ट चेक करने के लिए DFRAC की टीम ने गूगल पर कुछ कीवर्ड्स सर्च किए। हमें आज तक की एक रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि- “उन दिनों भारतीय टीम नंगे पैर फुटबॉल खेलती थी और लंदन में खेले गए ओलंपिक के इस मैच में भी भारत के ज्यादातर खिलाड़ी बिना जूते के मैदान में उतरे थे। भारत को फ्रांस के खिलाफ 1-2 से जरूर हार का सामना करना पड़ा।”
Source- Aaj Tak
वहीं आगे की जांच में हमें बीबीसी की एक रिपोर्ट मिली। इस रिपोर्ट में जयदीप बसु की संपादित किताब ‘बॉक्स टू बॉाक्स : 75 ईयर्स ऑफ़ द इंडियन फ़ुटबॉल टीम’ का संदर्भ दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार- “लंदन ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले सात-आठ खिलाड़ियों के हवाले से जयदीप बसु ने लिखा है- उस टीम में शामिल सात-आठ खिलाड़ियों के ट्रैवल बैग में स्पाइक बूट रखे हुए थे और ये खिलाड़ियों के लिए अपनी पसंद का मामला था।” इसके अलावा इस रिपोर्ट में लिखा गया है कि, “फ़ीफ़ा के भारतीय खिलाड़ियों के नंगे पांव खेलने पर आपत्ति का कोई सवाल ही नहीं था। दरअसल यह वह दौर था, जब फुटबॉल खिलाड़ी अपने पांव पर मोटी पट्टी बांध कर खेलना पसंद करते थे और 1954 तक यह चलन दुनिया के कई दूसरे देशों में भी मौजूद था।”
Source- BBC Hindi
वहीं फीफा वर्ल्ड कप के ऑफिशियल एक्स अकाउंट से शेयर किए गए एक फोटो में देखा जा सकता है कि लंदन ओलंपिक के दौरान कुछ खिलाड़ी नंगे पैर थे, तो एक खिलाड़ी ने जूते पहन रखे थे।
Source- X
वहीं olympics.com के मुताबिक 1948 में भारतीय फुटबॉल टीम के कप्तान शैलेंद्र नाथ मन्ना नहीं, बल्कि तालीमेरेन एओ थे।
Source- Olympics.com
निष्कर्षः
DFRAC के फैक्ट चेक से साफ है कि सोशल मीडिया यूजर्स का यह दावा भ्रामक है कि भारतीय खिलाड़ियों को लंदन ओलंपिक 1948 में पैसे की कमी से जूते उपलब्ध नहीं करवाए गए थे।