इजराइल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष जारी है। इस बीच सोशल मीडिया पर बड़े पैमाने पर फेक सूचनाओं की बाढ़ आ गई है। ऐसा ही एक वीडियो वायरल हो रहा, जिसमें दावा किया जा रहा है कि रेडीमेड कपड़े बनाने वाली ZARA ब्रांड ने इजरायल का समर्थन किया था, जिसके बाद अमेरिका में लोगों ने ZARA कंपनी का विरोध किया और उसके आउटलेट के बाहर सड़क पर कपड़े फेंक दिए।
वाजिद खान नाम के एक एक्स यूजर ने वीडियो को शेयर करते हुए लिखा, ”’ZARA’ द्वारा गाजा युद्ध के बारे में अपमानजनक विज्ञापन करने के बाद अमेरिकी लोगों ने कंपनी के सामने ZARA ब्रांड के सारे कपड़े फेंक दिए. गाजा में नरसंहार का मजाक उड़ाने वाली तस्वीरों के विज्ञापन के कारण दुनिया भर के कई देशों में कपड़ों के ब्रांड ZARA का बहिष्कार किया जा रहा है। भारत में भी इसका बहिष्कार होना चाहिए।”
वहीं अन्य यूजर्स ने भी वीडियो शेयर कर यही दावा किया है।
फैक्ट चेकः
वायरल वीडियो की पड़ताल के लिए DFRAC टीम ने वीडियो को कुछ कीफ्रेम में बदला और गूगल पर रिवर्स सर्च किया। हमने पाया कि यह वीडियो वेस्टियायर कलेक्टिव द्वारा टिकटॉक पर अपलोड किया गया था, जिसमें कहा गया था, “हर साल 92 मिलियन टन कपड़ा लैंडफिल में भेजा जाता है, अब कार्रवाई करने का समय है। इसलिए आज से, हम वेस्टियायर कलेक्टिव के अन्य 30 फैशन ब्रांडों पर प्रतिबंध लगा रहे हैं, जिनमें ज़ारा, एच एंड एम, गैप, एबरक्रॉम्बी एंड फिच, मैंगो, अर्बन आउटफिटर्स और यूनीक्लो शामिल हैं।
इसके अलावा, हमें फैशन अनटाइटल्ड और जस्ट स्टाइल के कुछ समाचार लेख भी मिले, जिनमें कहा गया था कि वेसिटारे कलेक्टिव ने अपने प्लेटफॉर्म से 30 फैशन ब्रांडों पर प्रतिबंध लगा दिया है।
निष्कर्ष
DFRAC के फैक्ट चेक से यह स्पष्ट है कि यूजर्स का गाजा संघर्ष के बारे में अपमानजनक विज्ञापन करने के बाद अमेरिकी लोगों ने ZARA कंपनी के विरोध स्वरूप कपड़े फेंकने का दावा भ्रामक है, क्योंकि यह वीडियो वेस्टियायर कलेक्टिव द्वारा बनाया गया था।