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क्या फिलिस्तीनी मेकअप और केमिकल इस्तेमाल कर रोते हैं और पीड़ित होने का ढोंग करते हैं? जानें वायरल वीडियो की सच्चाई

فلسطین-اسرائیل جنگ سے متعلق سوشل میڈیا سائٹس پر ویڈیوز اور فوٹوز کا سیلاب آ گیا ہے۔ انہی میں سے ایک ویڈیو اس دعوے کے ساتھ وائرل ہو رہا ہے کہ فلسطینی مظلوم ہونے کا ڈھونگ کرتے ہیں۔ وہ میک اپ اور کیمکل استعمال کرکے خود کو بے یار و مددگار، بے بس اور بے چارہ دکھاتے ہیں۔

इज़रायल-फ़िलिस्तीन संघर्ष को लेकर सोशल मीडिया साइट्स पर वीडियोज़ और फ़ोटोज़ की बाढ़ आ गई है। इन्हीं में से एक वीडियो इस दावे के साथ वायरल हो रहा है कि फ़िलिस्तीनी पीड़ित होने का ढोंग करते हैं। वे मेकअप और केमिकल इस्तेमाल कर खुद को बेबस और बेचारा दिखाते हैं।

माइक्रो ब्लॉगिंग साइट एक्स पर प्रीति यादव (@cutepreetiji) नामक यूज़र ने वीडियो पोस्ट कर लिखा,“इस्लामिक यूनिवर्सिटी ऑफ़ विक्टिम कार्ड में आपका स्वागत है। यहां आप सीख सकते हैं कि कैसे पूरा मेकअप किया जाता है और केमिकल का इस्तेमाल करके रोया जाता है और फिर #ISRAEL को दोष दिया जाता है। इस यूनिवर्सिटी में महिलाओं और छोटे बच्चों के लिए विशेष छूट है।”

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वही, अन्य सोशल मीडिया यूज़र्स भी वीडियो शेयर कर ऐसा ही दावा कर रहे हैं। 

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https://twitter.com/Singodiya21/status/1712632075164213694

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फ़ैक्ट-चेक: 

वायरल वीडियो की सच्चाई जानने के लिए DFRAC टीम ने पहले इसे कुछ की-फ्रेम में कन्वर्ट किया। फिर उन्हें गूगल की मदद से रिवर्स सर्च किया। इस दौरान टीम ने पाया कि वायरल वीडियो को तुर्की के मीडिया हाउस @trtworld के ऑफिशियल यूट्यूब चैनल पर 2 मार्च 2017 को अपलोड किया गया था। यह फिल्म मेकिंग का वीडियो है, जो मेकअप आर्टिस्ट मरियम सलाह पर केंद्रित एक विशेष रिपोर्ट है।

टीआरटी के इस रिपोर्ट के अनुसार- गज़ा पट्टी में ज़्यादा फिल्में नहीं बनतीं। लेकिन इस माहौल ने मरियम सलाह को अपना सपना पूरा करने से नहीं रोका। उन्होंने परंपरागत रूप से पुरुषों द्वारा चलाए जाने वाले फ़िल्म इंडस्ट्री में सेंध लगाते हुए फिलिस्तीनी फि़ल्मों के लिए नकली खून बनाना खुद से सीखा।

निष्कर्ष:

DFRAC के इस फ़ैक्ट-चेक से स्पष्ट है कि वायरल वीडियो संदर्भहीन है, जिसे भ्रामक रूप से शेयर किया जा रहा है, क्योंकि वीडियो पुराना, 2017 का है, और फ़िल्म-कला से संबंधित है। 

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