सोशल मीडिया पर इस दावे के साथ एक वीडियो वायरल हो रहा है कि ISRO प्रमुख सोमनाथ को बेंगलुरु स्थित आरएसएस कार्यालय में सम्मानित किया गया।
वायरल दावे के साथ वीडियो को X (ट्विटर) यूज़र मिस्टर सिन्हा ने शेयर किया है और कैप्शन में लिखा,“इसरो प्रमुख सोमनाथ आरएसएस कार्यालय, बेंगलुरु में। इससे इटैलियंस/इस्लामिस्टो/कोमीज़ों को गहरी नाराज़गी होगी।”
मिस्टर सिन्हा के ट्वीट को 6000 से अधिक री-पोस्ट और 39000 से अधिक लाइक मिल चुके हैं, जबकि इसे लगभग 9 लाख लोगों ने देखा है।
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अन्य सोशल मीडिया यूज़र्स भी इसी तरह के दावे के साथ वीडियो शेयर कर रहे हैं।
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फ़ैक्ट-चेक
वायरल वीडियो की सच्चाई जानने के लिए DFRAC टीम ने पहले इसे कुछ की-फ़्रेम में कन्वर्ट कर गूगल की मदद से रिवर्स सर्च किया। इस दौरान टीम ने पाया पाया कि यह वीडियो 19 जुलाई 2023 को आरएसएस प्रांत प्रचार प्रमुख राजेश पदमार द्वारा पोस्ट किया गया था। तब राष्ट्रोत्थान परिषद, चामराजपेटे, बेंगलुरु में इसरो प्रमुख को सम्मानित किया गया था।
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अपने पोस्ट में उन्होंने अभिनंदन की तस्वीरें और वायरल हो रहा वीडियो शेयर किया था।
हमने राष्ट्रोत्थान परिषद की वेबसाइट भी विज़िट की। हमें एक लेख मिला, जिसका शीर्षक था,“राष्ट्रोत्थान परिषद ने इसरो प्रमुख डॉ. सोमनाथ को सम्मानित किया।”
इस लेख में आगे उल्लेख किया गया है कि,“डॉ. सोमनाथ को चामराजपेट में राष्ट्रोत्थान परिषद के मुख्य कार्यालय में आमंत्रित किया गया था, जहां उन्हें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सह-कार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबले द्वारा एक शॉल भेंट की गई थी।”
राष्ट्रोत्थान परिषद बैंगलोर, कर्नाटक में एक पब्लिक चैरिटेबल वालियंटर ऑर्गनाइजेशन (सार्वजनिक धर्मार्थ स्वैच्छिक संगठन) है, जो 1965 में सोसायटी अधिनियम के तहत पंजीकृत है। इसलिए यह आरएसएस कार्यालय भी नहीं है।
हमें द् इंडियन एक्सप्रेस, एएनआई और हिंदुस्तान टाइम्स द्वारा पब्लिश 24 अगस्त, 2023 की मीडिया रिपोर्ट्स भी मिलीं, जिनमें बतया गया है कि कर्नाटक सरकार ने इसरो प्रमुख, चंद्रयान -3 मिशन में शामिल 500 वैज्ञानिकों को बेंगलुरु के विधान सौधा में सीएम सिद्धारमैया द्वारा सम्मानित किया।
विधान सौधा (शाब्दिक रूप से ‘विधान भवन’) कर्नाटक राज्य विधानमंडल की सीट है।
निष्कर्ष:
DFRAC के इस फै़क्ट-चेक से स्पष्ट है कि वायरल वीडियो पुराना वीडियो है, जिसे मिस्टर सिन्हा व अन्य यूज़र्स ने ग़लत दावे के साथ शेयर किया है। वीडियो में इसरो प्रमुख को सम्मानित करने के लिए कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रोत्थान परिषद द्वारा स्पेस रिसर्च में उनकी उपलब्धियों का जश्न मनाने और इसरो के भविष्य के मिशनों के लिए अपना समर्थन व्यक्त करने के लिए किया गया था। इसलिए वायरल दावा भ्रामक है।