मीडिया और सोशल मीडिया में चीन से जुड़ी खबरें बहुत कम सामने आ पाती हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह अभिव्यक्ति की आजादी पर पहरा और प्रेस की स्वतंत्रता को कुचलने को मान सकते हैं। शायद इसीलिए 2023 के वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में 180 देशों में सूची में चीन 179वें स्थान पर है। चीन के बाद 180वें यानी आखिरी स्थान पर उत्तर कोरिया है। हालांकि सोशल मीडिया पर चीन का प्रोपेगेंडा बहुत प्रभावी है। उसके कई यूजर्स ऐसे हैं, जो लगातार चीन के पक्ष में प्रोपेगेंडा करते रहते हैं। प्रोपेगेंडा का शाब्दिक अर्थ होता है प्रचार, अधिप्रचार या मत-प्रचार। प्रोपेगंडा के संदर्भ में कहा जाता है कि किसी उद्देश्य, विशेष तौर से राजनीतिक उद्देश्य के लिए किसी विचार और नज़रिये को फैलाने के लिए किया जाता है। दूसरे शब्दों में कहें तो, जब किसी सूचना का प्रचार प्रसार किसी साज़िश या फिर ज्यादा प्रसारित किया जाए, तो उसे सम्प्रचार या प्रोपेगेंडा कहा जा सकता है। हालांकि जिस सूचना को फैलाया जाता है कि उसकी बुनियाद सत्यता पर टिकी नहीं होती है। प्रोपेगेंडा के लिए अर्धसत्य का प्रयोग, किसी खास सूचना को बार-बार दोहराना और दी जाने वाली जानकारी पकपक्षीय और भ्रामक प्रकृति की होती है।
चीन की ट्विटर आर्मी ने सकारात्मक प्रोपेगेंडा के लिए सोशल मीडिया को सबसे उपयोगी टूल के तौर पर इस्तेमाल किया है। इस ट्विटर आर्मी ने चीन के लिए मुश्किल खड़ा करने वाले मुद्दे जैसे- ताइवान, हांग कांग, उइगर और उनके मानवाधिकारों पर चीन के समर्थन में तथ्यों को तोड़-मरोड़ पेश करते हैं। इस ट्विटर आर्मी के कुछ यूजर्स ऐसे हैं, जो दिखते किसी दूसरे देश की तरह हैं, लेकिन उनका मकसद चीन के समर्थन में सकारात्मकता को दिखाना है। इस रिपोर्ट में चीनी ट्विटर आर्मी और उसका ताइवान को लेकर किए गए प्रोपेगेंडा पर विस्तृत विश्लेषण दिया जा रहा है।
चीन का समर्थन करने वाली ट्विटर आर्मीः
चीन की ट्विटर आर्मी में बहुत बड़े-बड़े और प्रोपेगेंडा के माहिर खिलाड़ी शामिल हैं। इसमें सबसे पहला नाम लिजियान झाओ का है, जो चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रह चुके हैं। इसके बाद झाओ दाशुआई, एंडी बोरेहम, संघाई पांडा, जो जो, जेरी चाइना, कार्ल जा, जू पान, कीव वोन्ग, जेरी, कार्लोस और एस.एल. कांथन हैं।
लिजियान झाओः
ट्विटर पर चीन के सीमा और महासागर मामला विभाग के उप महानिदेशक लिजियान झाओ काफी एक्टिव रहते हैं। एक समय में उन्हें वुल्फ वॉरियर भी कहा जाता था, इसके पीछे उनके आक्रामक, टकरावपूर्ण, लड़ाकू दृष्टिकोण और भड़काऊ कथन मुख्य वजह रहे थे। उन्होंने चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता के रूप में कई वर्षों तक काम किया है। इस दौरान वह काफी विवादों में भी रहे। झाओ के ट्विटर पर 1.9 मिलियन यानी 19 लाख 38 हजार फॉलोवर्स हैं। ट्विटर पर 2010 से एक्टिव झाओ ने करीब 71,800 ट्वीट किए हैं।
लिजियान झाओ का विवादों से नाताः
लिजियान झाओ कई बार विवादों में रहे। झाओ पहली बार 2015 से 2019 तक पाकिस्तान में चीन के मिशन के उप प्रमुख थे। पाकिस्तान में रहने के दौरान झाओ पाकिस्तान को लेकर काफी सकारात्मक रहे और उन्होंने अपना नाम मोहम्मद लिजियान झाओ कर लिया था। हालांकि बाद में उन्होंने अपना नाम बदल दिया था।
फेक न्यूज फैलाने का आरोपः
लिजियान झाओ पर फेक न्यूज फैलाने का आरोप लग चुका है। झाओ ने एक ऑस्ट्रेलियाई सैनिक की एक अफगान बच्चे के गले पर खून से सना चाकू पकड़े हुए फोटो ट्वीट की थी। फोटो में देखा जा सकता था कि जिस बच्चे की गर्दन पर छुरी रखी गई थी, उसके हाथ में बकरी का बच्चा है। इस ट्वीट के बाद काफी विवाद हुआ था। ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने चीन से माफी की मांग की थी। तत्कालीन ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने झाओ के ट्वीट की निंदा की और चीनी सरकार से माफी मांगने को कहा। मॉरिसन ने कहा था- “चीनी सरकार को इस पोस्ट पर पूरी तरह से शर्मिंदा होना चाहिए। यह उन्हें दुनिया की नजरों में कमतर कर देता है।”
रायटर्स की रिपोर्ट के अनुसार साइबर सुरक्षा फर्म साइब्रा को झाओ के विवादित ट्वीट को बढ़ावा देने के लिए एक सुनियोजित अभियान के सबूत मिले थे। साइब्रा ने बताया था कि झाओ के ट्वीट से जुड़े 57.5% अकाउंट्स फेक थे और इस ट्वीट को बढ़ाने के लिए “बड़े पैमाने पर सुनियोजित दुष्प्रचार अभियान” का सबूत मिला था।
झाओ ने 2020 में कोरोना वायरस के प्रकोप के दौरान यह कहकर विवाद खड़ा कर दिया था कि इस वायरस को अमेरिका सेना द्वारा निर्मित किया गया था और चीन में फैलाया गया था।
झाओ की कश्मीर पर विवादित टिप्पणियां:
लिजियान झाओ कश्मीर को लेकर भी कई विवादित ट्विट किए हैं। उन्होंने अपने ट्विट में पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) को ‘आजाद कश्मीर’ संबोधित किया है। जबकि भारत यह मानता रहा है कि कश्मीर उसका अभिन्न अंग है। दूसरी तरफ एक राजनयिक की हैसियत से झाओ को निष्पक्ष व्यवहार करते हुए उन्हें पाकिस्तानी एजेंडे को आगे नहीं बढ़ाना चाहिए। इसके अलावा झाओ की भारत और कश्मीर पर संकीर्ण मानसिकता का प्रदर्शन इससे भी होता है कि एक तरफ तो वो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) को ‘आजाद कश्मीर’ संबोधित कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ भारत के कश्मीर को ‘भारत नियंत्रित कश्मीर’ संबोधित कर रहे हैं। नीचे दिए कोलाज में आप झाओ के ट्वीट को देख सकते हैं।
यह पाया गया कि लिजियान झाओ ने कश्मीर पर 22 से अधिक ट्वीट किए, जहां उन्होंने इसे ‘आजाद जम्मू और कश्मीर’ के रूप में परिभाषित किया। वहीं कश्मीर पर अपने एक ट्वीट में झाओ ने कहा कि ऐसा माना जाता है कि कश्मीर मुद्दे पर चीन न्याय को बरकरार रखेगा। यहां अपने आप में सबसे ज्यादा विवादित बात यह है कि आखिर वह कश्मीर को लेकर किस प्रकार के न्याय की बात कर रहे हैं?
कश्मीर पर झाओ के ट्वीट को काफी रीच मिली। उनके ट्वीट पर 15,700 लाइक, 4,771 रीट्वीट और 870 कमेंट्स आए थे। हमने पाया कि झाओ के ट्वीट्स पर लाइक्स, रिट्वीट और कमेंट्स करने वाले अधिकांश पाकिस्तानी यूजर्स थे।
ताइवान पर लिजियान झाओ का आक्रामक रवैयाः
ताइवान को लेकर लिजियान झाओ का रवैया काफी आक्रामक रहा है। 2022 में जब अमेरिकी स्पीकर नैन्सी पेलोसी ने ताइवान की यात्रा की थी, तब लिजियान झाओ ने काफी आक्रामक और टकरावपूर्ण बयान दिया था। रायटर्स की एक न्यूज के अनुसार- झाओ ने कहा था कि- अगर अगर पेलोसी ताइवान का दौरा करती हैं तो उसकी सेना ‘खाली नहीं बैठेगी’।
वहीं झाओ लगातार ताइवान को चीन का हिस्सा और एक प्रांत बताते रहे हैं। उन्होंने कई मौकों पर यह दोहराया है कि ताइवान चीन का हिस्सा है। नीचे दिए कोलाज में आप झाओ के ट्वीट को देख सकते हैं।
झाओ दाशुआईः
ट्विटर पर झाओ दाशुआई नामक एक यूजर हैं। इन्होंने अपने बायो में लिखा है- “पीपुल्स सशस्त्र पुलिस प्रोपेगेंडा ब्यूरो” दाशुआई मीडिया के सभी माध्यमों को प्रोपेगेंडा मानते हैं। ट्विटर पर दाशुआई के 48.9K फॉलोवर्स हैं। उन्होंने एक ट्विट को अपनी टाइमलाइन पर पिन करके रखा है, जिसमें लिखा है- “मुझे वास्तव में गर्व है, मेरे परिवार का चीन के प्रचार विभागों में काम करने का इतिहास रहा है। मेरे दादाजी पीएलए जनरल पॉलिटिकल डिपार्टमेंट में सेक्शन प्रमुख थे। यहां मेरे दादाजी नागरिक मामलों के मंत्री कुई नाइफू के साथ 1984 में अग्रिम पंक्ति के सैनिकों का दौरा कर रहे हैं।”
झाओ दशुआई का ट्विटर अकाउंट मई 2018 में बनाया गया था, लेकिन अकाउंट का पहला ट्वीट 19 जुलाई 2021 से दिखाई दे रहा है। इसका मतलब है कि या तो अकाउंट मई 2018-जुलाई 2021 तक सक्रिय नहीं था या अकाउंट ने अपने पिछले सभी ट्वीट हटा दिए हैं। जिससे यह भी स्पष्ट होता है कि शायद इस अकाउंट ने अपना यूजरनेम नाम बदल दिया हो।
जब इसकी हमारी टीम ने जांच की तो पाया कि यह अकाउंट पहले @obsidianstatue1 और obsidianstatue के यूजर आईडी से चल रहा था।
यह देखा गया कि झाओ दशुआई और obsidianstatue दोनों अकाउंट्स की यूजर आईडी एक है जो- 999061779870175232 है। इससे यह स्पष्ट होता है कि इस अकाउंट ने अपना यूजरनेम बदल दिया है। देखा जा सकता है कि obsidianstatue ने 18 जुलाई 2021 को ट्वीट किया था, बाद में अकाउंट होल्डर ने इसका यूजरनेम बदलकर zhao_dashuai कर दिया।
obsidianstatue ने पीएम मोदी पर भी ट्वीट किया है, जिसे बाद में हटा दिया गया। ट्वीट में कहा गया, “5 साल पहले मोदी अभी भी अपने ऑफ-ब्रांड डिस्काउंटेड हिंदू राष्ट्रवाद को बेचने की कोशिश कर रहे थे, आज भी वह वही करने की कोशिश कर रहे हैं।”
झाओ दाशुआई लगातार चीन के समर्थन में पोस्ट शेयर करते रहते हैं। दाशुआई उन सभी मुद्दों पर ट्वीट करते, जिसको लेकर सोशल मीडिया पर चीन की आलोचना की जाती है। ताइवान के मुद्दे पर भी दाशुआई ने ट्वीट कर चीन का समर्थन किया है। यहां दिए कोलाज में आप दाशुआई के ताइवान पर किए ट्वीट को देख सकते हैं।
ताइवान के मुद्दे पर झाओ दाशुआई परमाणु हथियारों को लेकर काफी भड़काऊ ट्वीट करते हैं। उन्होंने कई ट्वीट्स में यह साफ लिखा है कि चीन को परमाणु नीति पर आक्रामक होना चाहिए। इनमें कई ट्वीट ताइवान से जुड़े हैं। एक ट्वीट में दाशुआई चीन की पहले परमाणु हथियारों के इस्तेमाल न करने की नीति को त्यागने की वकालत करते हैं। उन्होंने लिखा- “ताइवान पर कार्रवाई में लगे चीनी संपत्तियों पर हमला करने वाले अमेरिकी बेड़े का कहना है कि चीन एक बेड़े पर परमाणु हमला कर सकता है। यही कारण है कि, चीन के लिए जापान और फिलीपींस में अमेरिकी रुख का मुकाबला करने का सबसे अच्छा तरीका “पहले उपयोग न करने की नीति” को त्यागना है”
एक ट्वीट में दाशुआई अमेरिकी-चीन युद्ध की स्थिति होने पर परमाणु हथियार होने की बात करते हैं। वहीं एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा- “इसलिए युद्ध को रोकने के लिए चीन को अपनी परमाणु नीति में और अधिक आक्रामक होना होगा, इसने शीत युद्ध के लिए काम किया। अमेरिका युद्ध के व्यवसाय में है, लेकिन केवल तभी जब यह लाभदायक हो। अमेरिकी सैन्य औद्योगिक परिसर के लिए सबसे अच्छा युद्ध वह है, जिसमें वे स्वयं शामिल नहीं होते हैं।”
शंघाई पांडाः
ट्विटर पर शंघाई पांडा नामक यूजर के 59.4K फॉलोवर्स हैं। ताइवान को लेकर शंघाई पांडा बहुत ज्यादा आपत्तिजनक और विवादित पोस्ट शेयर करते रहते हैं। एक ट्वीट में देखा जा सकता है कि एक फौजी एक महिला को सड़क पर गिराकर उसकी गर्दन पर पैर रखा हुआ है। इस फोटो पर लॉफिंग इमोजी के साथ शंघाई पांडा ने लिखा- “ओह, अब मूर्ख मान रहे हैं कि ताइवान चीन का हिस्सा है।”
शंघाई पांडा ने एक अन्य ट्वीट में लिखा- “2015 मिस ताइवानी अमेरिकन पेजेंट प्रतियोगी…ऐसा लगता है कि कुछ ताइवानी चीनी पारंपरिक मूल्यों को त्याग रहे हैं और अमेरिकी मूल्यों को अपना रहे हैं। ताइवान को जल्द से जल्द ठीक करने का एक और कारण”
इसके अलावा शंघाई पांडा की टाइमलाइन ताइवान पर चीनी प्रोपेगेंडे से भरी पड़ी है। वह समय-समय पर ताइवान के लोगों की भावनाओं को भड़काने और पर अपमानजनक टिप्पणी करते रहते हैं। शंघाई पांडा की ताइवान में होने वाले राष्ट्रपति चुनावों को लेकर भी कई अपमानजनक टिप्पणियां कर रहे हैं। नीचे दिए कोलाज में शंघाई पांडा के ट्वीट्स को देखा जा सकता है।
हमारी जांच में सामने आया है कि ताइवान पर शंघाई पांडा के 40 से अधिक ट्वीट्स किए हैं। जिसका विश्लेषण करने पर सामने आया कि इन ट्वीट्स का व्यापक प्रभाव रहा। कुल मिलाकर 4,68,732 इंप्रेशन मिले। इन ट्वीट्स पर 7 हजार से ज्यादा लाइक्स, 922 रीट्वीट और 760 कमेंट्स हुए थे।
जू पान और जेरी चाइनाः
ट्विटर पर जू पान और जेरी नामक यूजर हैं। जू पान के 2635 और जेरी चाइना के 83.2K फॉलोवर्स हैं। ये दोनों यूजर भी ताइवान पर चीन के समर्थन में ट्वीट करते रहते हैं। इनके ट्वीट को यहां देखा जा सकता है।
एस. एल. कांथन और जो-जोः
ट्विटर पर एस. एल. कांथन और जो जो नाम के यूजर हैं। कांथन के 93K फॉलोवर्स और जो जो के 13.6K फॉलोवर्स हैं। कांथन ने अपनी लोकेशन में बेंगलुरू-भारत मेंशन किया है। एस.एल.कांथन बहुत बारीकी से ताइवान के मुद्दे पर चीन की तरफ झुकाव रखते हैं। एक ट्वीट में उन्होंने लिखा- “Wait! ताइवान के एथलीट न केवल चीन जाते हैं और #चेंगदू खेलों में भाग लेते हैं, बल्कि वे अपने साथ “चीनी ताइपे” लिखा हुआ चिन्ह भी रखते हैं। लेकिन ताइवान की “रक्षा” के लिए अमेरिका WW3 शुरू करने जा रहा है?? GTFO यहाँ! अमेरिकी साम्राज्यवाद का पूर्ण पागलपन और भ्रम”
एक अन्य ट्वीट में कांथन मेडल लिस्ट में ताइवान के आगे ब्रैकेट में चीन [Taiwan (China)] लिखते हैं। जबकि प्वाइंट टेबल में चीन और ताइवान दो अलग-अलग देश हैं।
एक अन्य ट्वीट में भी कांथन ने ताइवान के आगे चीन लिखा है। जिसे नीचे दिए ट्वीट में देखा जा सकता है।
कांथन और जो जो के ताइवान पर किए गए ट्वीट्स का कोलाज यहां दिया जा रहा है।
एस.एल. कांथन के अकाउंट ने ताइवान पर 50 से अधिक ट्वीट किए हैं। इन ट्वीट्स पर कुल मिलाकर 25,00,000 से अधिक इंप्रेशन हैं। इन ट्वीट्स पर 23,685 लाइक, 6,980 री-ट्वीट और 1,634 कमेंट्स किया गया है।
वहीं जो जो द्वारा ताइवान पर किए गए ट्वीट कोलाज यहां दिया जा रहा है।
एंडी बोरेहमः
एंडी बोरेहम नामक यूजर हैं, जिन्होंने अपने बायो में खुद को शंघाई डेली का स्तंभकार बताया है। बोरेहम चीन के मुद्दों पर ट्विटर पर पोस्ट शेयर करते रहते हैं। उन्होंने उइगर और ताइवान के मुद्दे पर भी चीन के पक्ष में ट्वीट किये हैं। एक ट्वीट में उन्होंने लिखा- “घृणित, संकट जैसी कल्पना और उस कष्टप्रद तथ्य के अलावा कि #ताइवान #चीन का हिस्सा है (यहां तक कि अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र भी सहमत हैं), इस व्यक्ति के तीन बिंदु आसानी से डिस्क्रेडिट हो जाते हैं: 1- पुनर्मिलन के बाद, ताइवान अपनी वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था और यहां तक कि अपनी सेना भी बनाए रखेगा; 2-चीन को अपनी अनूठी प्रणाली को निर्यात करने की कोई इच्छा नहीं है, और उसने कई बार कहा है: चीन उन देशों का एक बड़ा समर्थक है जिनके पास अपनी प्रणालियां हैं जो उनकी अपनी परिस्थितियों, संस्कृतियों और इतिहास के अनुरूप हैं; 3- पुनर्एकीकरण के बाद, ताइवान विश्व अर्थव्यवस्था में भाग लेने के लिए और भी बेहतर स्थिति में होगा”
एंडी बोरेहम के ताइवान पर ट्वीट को नीचे दिए कोलाज में देखा जा सकता है।
निष्कर्षः
ताइवान को चीन अपना एक प्रांत मानता आया है, लेकिन ताइवान खुद को एक संप्रभु राष्ट्र मानता है, जिसका अपना संविधान है और यहां जनता द्वारा चुनी हुई सरकार काम करती है। हाल के कुछ वर्षों में ताइवान के मुद्दे पर चीन कुछ ज्यादा ही आक्रामक रुख अपनाया हुआ है। चीन की ट्विटर आर्मी भी ताइवान को लेकर सोशल मीडिया पर प्रोपेगेंडा करती रहती है। ऐसे कई यूजर हैं, जो खुद को दिखाते निष्पक्ष हैं, लेकिन उनके विचारों में कहीं ना कहीं चीन का पक्ष दिख जाता है। इसके अलावा कई यूजर खुलेआम चीन का समर्थन करते हैं, लेकिन सवाल है कि जिस चीन की वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में 180 देशों में नीचे से दूसरा स्थान यानी 179वां स्थान है, उस देश से ताइवान के खिलाफ प्रोपेगेंडा करने के लिए पूरी मशीनरी लगा दी गई है। जो यह दिखाता है कि ताइवान के मुद्दे पर चीन वर्चुअल और रियल दोनों दुनिया में प्रभावी हो रहा है।