सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें वायरल हो रही हैं। इन तस्वीरों में महिलाएं यमुना नदी में वहां पूजा करती नज़र आ रही हैं, जहां औद्योगिक कचरे के कारण पानी के साथ बहुत अधिक झाग उनकी ओर बढ़ रहा है। सोशल मीडिया यूज़र्स इन तस्वीरों पर नकारात्मक प्रतिक्रिया के साथ जमकर आलोचना कर रहे हैं।
झाओ दाशुआई नामक यूज़र ने 21 जुलाई, 2023 को ट्विटर पर एक तस्वीर पोस्ट कर लिखा,“भारत में यमुना नदी पर लोग पूजा कर रहे हैं। औद्योगिक कचरे से पानी झाग बना हुआ है, जो पानी में ज़हरीले केमिकल डालने के कारण होता है।” (हिन्दी अनुवाद)
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झाओ दाशुआई ने 21 जुलाई, 2023 को एक और तस्वीर ट्वीट कर लिखा,“यह एक हालिया तस्वीर है, भारत की पर्यावरणीय आपदा को कभी भी ज़्यादा मीडिया कवरेज नहीं मिलती है, क्योंकि पश्चिमी एमएसएम, चीन का मुकाबला करने के लिए भारत की प्रशंसा करने के लिए बाध्य हैं। वैकल्पिक मीडिया को भी यूट्यूब और ट्विटर पर भारतीय व्यूज़ और लाइक की ज़रूरत है।” (हिन्दी अनुवाद)
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इनके अलावा, रॉबर्टो ए. अरुचा नामक एक अन्य यूज़र ने 22 जुलाई, 2023 को ऐसी ही एक तस्वीर ट्वीट कर कैप्शन दिया है,“भविष्य के लिए एक पोस्टल कार्ड: XXI में मानव। भारत में यमुना नदी पर पूजा करते लोग। पानी औद्योगिक कचरे से झाग बना रहा है, जो पानी में जहरीले केमिकल डालने के कारण होता है।” (हिन्दी अनुवाद)
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फ़ैक्ट-चेक:
वायरल तस्वीरों के माध्यम से किए जा रहे दावे की हकीकत जानने के लिए DFRAC टीम ने इन्हें गूगल की मदद से रिवर्स सर्च किया। इस बीच, टीम को ये तस्वीरें अख़बार इंडियन एक्सप्रेस द्वारा 8 नवंबर 2016 को पब्लिश एक न्यूज़ में संग्लग्न मिलीं, जिसका शीर्षक था,“यमुना नदी: झाग के सागर ने किया छठ पूजा पर भक्तों का स्वागत” (हिन्दी अनुवाद)
Source: Indian Express
इसके अलावा, वेबसाइट Scoopwhoop ने भी 08 नवंबर, 2016 को इन्हीं तस्वीरों के साथ एक रिपोर्ट पब्लिश की थी, जिसका शीर्षक था,“झाग से भरी यमुना की ये तस्वीरें दिखाती हैं कि दिल्ली की हवा ही जहरीली नहीं है” [यहां का पानी भी ज़हरीला है।] (हिन्दी अनुवाद)
Source: scoopwhoop
निष्कर्ष:
DFRAC के इस फै़क्ट-चेक से स्पष्ट है कि वायरल तस्वीरों के बारे में सोशल मीडिया यूज़र्स का दावा भ्रामक है क्योंकि वायरल तस्वीरें 7 साल पहले, छठ पूजा के अवसर की हैं, हाल-फ़िलहाल की नहीं।