सोशल मीडिया पर भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को लेकर एक दावा शेयर किया जा रहा है। यूजर्स का दावा है कि वर्ष 1966 में नई दिल्ली में गौहत्याबंदी को लेकर आंदोलन कर रहे साधुओं पर इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री रहते गोली चलवाई थी, जिसमें 400 से ज्यादा साधुओं की मौत हो गई थी। वहीं कुछ यूजर्स 5000 साधुओं के मारे जाने का दावा कर रहे हैं।
एक यूजर ने लिखा- “25 मार्च को गौहत्याबंदी आंदोलन में संसद के सामने इंदिरा गांधी ने एक घंटे में 400 साधुओं को गोली चलाकर मार डाला। मैं कांग्रेस पार्टी को श्राप देता हूं कि एक दिन हिमालय में तपस्या कर रहा एक साधु आधुनिक वेशभूषा में इसी संसद पर कब्जा करेगा और कांग्रेसी विचारधारा को नष्ट कर देगा।”
वहीं एक अन्य यूजर ने 5000 साधुओं के मारे जाने का दावा किया है।
वहीं कई अन्य यूजर्स भी ऐसा ही दावा कर रहे हैं।
फैक्ट चेकः
वायरल दावे का फैक्ट चेक करने के लिए DFRAC की टीम ने गूगल पर सिंपल सर्च किया। हमें बीबीसी की एक रिपोर्ट मिली। बीबीसी की इस रिपोर्ट में इस पूरे घटनाक्रम की पड़ताल की गई है। इस रिपोर्ट में कई पत्रकारों और किताबों का जिक्र करते हुए बताया है कि इस आंदोलन में मृतक साधुओं की संख्या 8 थी। इतिहासकार हरबंस मुखिया के हवाले से बताया गया है कि मृतकों की संख्या 10 से ज्यादा नहीं थी। वहीं वरिष्ठ पत्रकार राशिद किदवई ने ‘बैलेट: टेन एपिसोड्स देट हैव शेप्ड इंडियन डेमोक्रेसी’ में 1966 की उस घटना का वर्णन किया है। इसमें बताया गया है कि मरने वालों की संख्या 7 है। वहीं कुछ रिपोर्ट्स में मरने वालों की संख्या 8-10 बताया गया है।
वहीं विकिपीडिया पेज पर इस घटना के संदर्भ में दी गई जानकारी के मुताबिक गोलीबारी में मरने वालों का सरकारी आंकड़ा 8 था।
वहीं मिंट की रिपोर्ट में बताया गया है कि एक बड़ी और उग्र भीड़ संसद की ओर बढ़ रही थी। लेकिन परिसर को सशस्त्र गार्डों द्वारा सील कर दिया गया था। भीड़ ने कांच कांच तोड़े, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, 250 कारों में तोड़-फोड़ की, कांग्रेस के संरक्षक के. कामराज के घर में तोड़-फोड़ की और उसमें आग लगी दी। जिसके बाद कर्फ्यू लगा दिया गया था, और पुलिसकर्मी आंसू गैस और बंदूकों के साथ दिखाई दिए। इस घटना में आठ लोग मारे गए और लगभग 50 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे।
निष्कर्षः
मीडिया रिपोर्ट्स से स्पष्ट हो रहा है कि 1966 के गौहत्याबंदी आंदोलन में मरने वाले साधुओं की संख्या 10 से ज्यादा नहीं थी। इसलिए सोशल मीडिया यूजर्स का दावा गलत है।