रत्नेश्वर मंदिर और पीसा टॉवर के बीच ऊंचाई की तुलना करते हुए एक इन्फोग्राफिक इंटरनेट पर वायरल हो रहा है। Queen of Bundelkhand नामक एक ट्विटर यूजर ने इन्फोग्राफिक को शेयर करते हुए लिखा, “ आखिर क्यों ? भारत गौरव गुमनाम है।
और देखते ही देखते यह ट्वीट हजारों से ज़्यादा लाइक्स के साथ वायरल हो गया।
फैक्ट चेकः
दावे की सच्चाई के लिए, DFRAC की टीम ने दोनों स्मारकों के बारे में जानकारी हासिल की और साथ ही उनकी खासियत और ऐतिहासिक मूल्य को भी खंगाला।
पीसा की झुकी हुई टॉवर पीसा कैथेड्रल का एक स्वतंत्र घंटाघर है। यह यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल है, जो अपने 4-डिग्री झुकाव के लिए प्रसिद्ध है। Leeningtowerpisa.com के अनुसार , 56.7 मीटर (गूगल के मुताबिक 57 मीटर पर गोल) की ऊंचाई के आधार पर सबसे निचले बिंदु से सबसे ऊंचे बिंदु तक मापा जाता है और टॉवर की सबसे निचले बिंदु 55.9 मीटर की पैमाईश पर है ।
हालाँकि, यह टॉवर उससे भी ऊँचा है और चूंकि इसकी नींव जमीन में धँस गई है (निचला बिंदु लगभग 2 मीटर) अब टॉवर की कुल ऊंचाई 58.36 मीटर होगी। इस ढ़ांचे का निर्माण 11 वीं शताब्दी में शुरू हुआ था लेकिन 14 वीं शताब्दी में पूरा हुआ।
दूसरी ओर, रत्नेश्वर महादेव मंदिर, जिसे काशी करवात के नाम से भी जाना जाता है। यह पवित्र शहर वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर स्थित है और यह मंदिर अपनी पिछली (उत्तर-पश्चिम) की तरफ 9 डिग्री झुकाव के लिए जाना जाता है ।
और इसका निचला हिस्सा आमतौर पर गर्मियों के दौरान कुछ महीनों को छोड़कर, वर्षा के मोसम में ज़्यादातर समय पानी के नीचे ही रहता है। स्मारक के निर्माण का वास्तविक समय का पता नहीं है, लेकिन ऐतिहासिक साक्ष्य बताते हैं कि इसे राजा मान सिंह के समय में बनाया गया था और विकिपीडिया के अनुसार मंदिर की ऊंचाई 74 फीट है।
निष्कर्ष:
रतनेश्वर महादेव मंदिर की ऊंचाई 74 मीटर नहीं है जैसा कि वायरल इन्फोग्राफिक में दावा किया गया है कि यह पीसा की झुकी हुई टॉवर से ऊँची नहीं है।
ऐतिहासिक स्मारक जैसे पीसा की झुकी टॉवर या रत्नेश्वर महादेव मंदिर मानव जाति के लिए ऐतिहासिक धरोहर हैं। लेकिन कुछ सोशल मीडिया यूजर्स गलत तथ्य का हवाला दे रहे हैं,और इसकी तुलना कर के लोगों को गुमराह कर रहे हैं।