रिपोर्ट के मुख्य बिन्दु
- बलूचिस्तान का सामरिक महत्व।
- बलूच समुदाय पर होने वाली हिंसा और उनके मानवाधिकार हनन पर चुप्पी।
- बलूच मुद्दे पर ट्विटर के जरिए पाकिस्तानी फौज के प्रोपेगेंडा का विस्तार।
- बलूच समुदाय के आर्थिक, सामाजिक और शेक्षणिक मुद्दों पर खामोशी।
- बलूच कार्यकर्ताओं के समर्थन में न कोई ट्वीट और रीट्वीट
बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत है। हिंसा, बगावत और मानवाधिकार हनन का मुद्दा आज बलूचिस्तान का सबसे बड़ी समस्या है। ब्रिटिश शासन से ही बलूचिस्तान की आजादी की मांग उठती आई है। बंटवारे के तीन दिन पहले ही बलूचिस्तान को एक आजाद मुल्क घोषित कर दिया गया था।
11 अगस्त 1947 को मुस्लिम लीग और कलात के बीच हुए समझौते के अधीन बलूचिस्तान को एक स्वतंत्र मुल्क माना गया था। लेकिन सात महीनों के भीतर ही पाकिस्तानी सेना ने सैन्य अभियान ‘ऑपरेशन गुलमर्ग’ चलाकर 27 मार्च 1948 को बलूचिस्तान को पाकिस्तान में मिला लिया। लेकिन आज भी बलूच इस फैसले के खिलाफ है। ब्रिटिश शासन में बलूचिस्तान को कलात के नाम से जाना जाता था।
ब्लूचिस्तान का सामरिक महत्त्व
सामरिक दृष्टि से भी बलूचिस्तान का अपना एक अलग ही महत्व है। पाकिस्तान के सबसे बड़े और पिछड़े राज्यों में नंबर वन पर आने वाला बलूचिस्तान प्राकृतिक संसाधानों से समृद्ध है। यहां पर यूरेनियम, तांबा और सोना बहुतायात में पाया जाता है। इसके अलावा बलूचिस्तान में ही पाकिस्तान के तीन नौसैनिक ठिकाने और एक परमाणु परीक्षण स्थल भी है। इतना ही नहीं यहीं पर ग्वादर पोर्ट भी शामिल है। जिसे चीन अपनी चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) की नीति के तहत विकसित कर रहा है। वहीं पाकिस्तान ने ग्वादर पोर्ट को 40 वर्षों के लिए चीन को किराये पर दे दिया है। जिसका यहां की स्थानीय बलूच आबादी द्वारा भारी विरोध किया जा रहा है। इन लोगों का मानना है कि ब्लूचिस्तान के संसाधनों पर केवल उनका अधिकार है। उनके इस विरोध को दबाने के लिए पाकिस्तान की और सेना ने हिंसा का रास्ता अपनाया। यहां से हजारों लोग गायब है। इन लोगों के गायब होने में पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसी आईएसआई पर आरोप है। पाकिस्तान के मानवाधिकार आयोग द्वारा जारी 2019 की एक रिपोर्ट के अनुसार, 47,000 बलूच और लगभग 35,000 पश्तून का कोई पता नहीं है। लेकिन हकीकत में लापता लोगों की संख्या कहीं अधिक है।
बलूच लोगों के लापता होने और उन पर हो रहे अत्याचार के विरोध में अब दुनिया भर में आवाज उठने लगी है। कई बलूच संगठन अब अंतराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान के विरोध में आवाज उठा रहे है। ऐसे में अब पाकिस्तान ने सोशल मीडिया विशेषकर ट्विटर पर एक प्रोपेगेंडा शुरू किया है। जिसके तहत बलूचिस्तान के मुद्दे पर पाकिस्तान सरकार और सेना की सकारात्मक छवि निर्मित की जा सके। DFRAC अपनी इस रिपोर्ट में पाकिस्तान के प्रोपेगेंडा का पर्दाफ़ाश करने जा रहा है।
ट्विटर पर पाकिस्तान का प्रोपेगेंडा
बलूचिस्तान में मानवाधिकार हनन के मुद्दे पर घिरते पाकिस्तान ने अपनी छवि को सुधारने के लिए ट्विटर का सहारा लिया है। अपनी ट्विटर आर्मी के जरिए वह बलूचिस्तान में अपने अत्याचारों पर पर्दा ढकने की कोशिशों में जुटा है। नीचे हम कुछ ऐसे ही ट्विटर अकाउंट का खुलासा कर रहे है। जो इस मुहिम में शामिल है।
Asma Baloch (@AsmaB786)
ये अकाउंट बलूच लड़की के नाम से बनाया गया है। इस्लामिक पोस्ट की आढ़ में बलूचिस्तान पर पाकिस्तानी आर्मी के अजेंडे के प्रसार के लिए इस अकाउंट का उपयोग किया जा रहा है। इस अकाउंट से हाल ही में बलूचिस्तान में पाक सेना की बाढ़ पीड़ितों की मदद से जुड़े कई ट्वीट किए गये। इसके अलावा CPEC से जुड़े भी कई ट्वीट किए गए।
Bilal Baloch (@Bilal20Baloch)
ये अकाउंट बलूच एक्टिविस्ट के नाम से बनाया गया है। इस अकाउंट के 663 फॉलोवर है। इस अकाउंट से भी इस्लामिक पोस्ट की आढ़ में पाकिस्तानी आर्मी के प्रोपेगेंडा को फैलाया जा रहा है। इस अकाउंट से भी हाल ही में बाढ़ के दौरान पाकिस्तानी फौज की छवि निर्माण की कोशिश की गई।
Arbaz Baloch (@Arbaz_baluch)
ये अकाउंट फरवरी 2022 में बनाया गया। इसके 1850 से अधिक फॉलोवर है। इस अकाउंट से 10000 से ज्यादा ट्वीट किए गए है। इस अकाउंट के जरिए ज्यादतर ट्वीट बलूच संगठनों के खिलाफ किए गए है। साथ ही बाढ़ के दौरान पाकिस्तानी फौज की छवि निर्माण की कोशिश की गई।
Voice of Balochs (@VOB_52)
ये अकाउंट अप्रेल 2019 में बनाया गया। इस अकाउंट के 2100 से अधिक फॉलोवर है। इस अकाउंट से बलूचिस्तान लिब्रेशन आर्मी (BLA) के खिलाफ ट्वीट किए गए है। साथ ही अन्य अकाउंट की तरह ही बाढ़ में पाकिस्तानी फौज की मदद की तस्वीरे पोस्ट की गई।
https://twitter.com/VOB_52/status/1427571419370729472 | https://twitter.com/VOB_52/status/1510863772575019008 |
https://twitter.com/VOB_52/status/1560584306342379521
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https://twitter.com/VOB_52/status/1557366053751119873
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𝐁𝐚𝐥𝐨𝐜𝐡𝐌𝐮𝐡𝐚𝐟𝐢𝐳 (@BlhMuhafiz)
ये अकाउंट अक्टूबर 2020 में बनाया गया। ट्विटर पर इस अकाउंट के 6309 फॉलोवर है। इस अकाउंट के जरिये की जाने वाले ट्वीट को प्रोपेगेंडा फैलाने वाले ज़्यादातर बलूच अकाउंट द्वारा रिट्वीट किया जाता है।
Durnaz Durazai (@Deedag_Blh)
ये अकाउंट मार्च 2021 में बनाया गया। इस अकाउंट के 2275 फॉलोवर है। इस अकाउंट के जरिए सीपीईसी के तहत बलूचिस्तान में हो रहे निर्माण कार्यों के जरिए बलूच लोगों के समर्थन पाने की कोशिश की गई। साथ ही पाकिस्तानी फौज को एक मसीहा के रुप में पेश किया गया।
Baloch Youth Mobilization (@blhYouthMob)
ये अकाउंट अक्तूबर 2020 में बनाया गया। इस अकाउंट के 3600 से अधिक फॉलोवर है। ये अकाउंट सीपीईसी पर पाकिस्तानी फौज के बलूच युवाओं से समर्थन हासिल करने की कोशिशों को दिखाता है। इसके लिए पाकिस्तानी फौज खेल गतिविधियों का सहारा ले रही है।
https://twitter.com/blhYouthMob/status/1572086056656199680 | https://twitter.com/blhYouthMob/status/1570722273132421120 |
Deedag Baloch (@Deedag_Blh)
ये अकाउंट नवंबर 2020 में बनाया गया। इस अकाउंट के करीब 2400 फॉलोवर है। ये अकाउंट कथित बलूच आतंकियों के खिलाफ की जाने वाली पाकिस्तानी फौज की कार्रवाई पर समर्थन हासिल करने के लिए बनाया गया है। साथ ही BLA, BLF और BRA को आतंकी संगठन बताया गया।
https://twitter.com/Deedag_Blh/status/1493891381076578305 | https://twitter.com/Deedag_Blh/status/1567412616393379841 |
Hammad Baloch (@HammadB47216762)
ये अकाउंट हाल ही में मई 2022 में बनाया गया। इस अकाउंट के 586 फॉलोवर है। इस अकाउंट से भी पाकिस्तान फौज का ही गुणगान किया गया। इसके लिए पाक क्रिकेटर शाहिद अफरीदी का भी सहारा लिया गया।
https://twitter.com/HammadB47216762/status/1571848478522839040 | https://twitter.com/HammadB47216762/status/1572188369324576768 |
इसके अलावा सैकड़ों की संख्या में कई अन्य ट्विटर अकाउंट है। जो पाकिस्तान सेना के दुष्प्राचर में लिप्त है। इन सभी अकाउंट का बलूचिस्तान के मामले में ट्वीट का एक ही पेटर्न है। जिसे हाल ही में आई बाढ़ के दौरान पाकिस्तानी फौज के राहत कार्य को बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत करने में देखा जा सकता है। इसके अलावा बलूच एक्टिविस्ट और उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों के मामले में इन अकाउंट से कोई ट्वीट नहीं किया गया।
बलूच अकाउंट से प्रति वर्ष किए गए ट्वीट
यह ग्राफ़ बलूचअकाउंट द्वारा प्रति वर्ष किए जाने वाले ट्वीट्स के अनुपात के बारे में बताता है। देखने में आया है कि सभी अकाउंट्स द्वारा किए गए अधिकांश ट्वीट्स 2022 के थे। @SharibBuledi. @Bilal20Baloch and @HammadB47216762 जो साल 2022 में ही बने हैं। सबसे पुराना अकाउंट @VOB_52 है। इस अकाउंट से साल 2019 में ट्वीट्सकिए गए हैं।
बलूच अकाउंट ट्वीट टाइमलाइन
नीचे दी गई ट्वीट टाइमलाइन से पता चलता है कि @AsmaB786 ने अन्य सभी बलूच अकाउंट की तुलना में सबसे अधिक ट्वीट किए है। जबकि अप्रैल से अगस्त 2022 तक सभी अकाउंट में ट्वीट की आवृत्ति बढ़ गई। वॉयस ऑफ बलूच (@VOB_52) अप्रैल 2019 में बनाया गया था और पहला ट्वीट 7 अप्रैल 2019 को किया गया था।
इस्तेमाल किए जाने वाले सामान्य हैशटैग
नीचे हैशटैग को दर्शाने वाला ग्राफ है जिनका ज्यादातर बलूच अकाउंट द्वारा उपयोग किया गया था। कुछ हैशटैग जैसे #balochistan, #emergingbalochistan, #pakistan सभी अकाउंट्स द्वारा इस्तेमाल किए गए। बलूच खातों द्वारा प्रमुख रूप से उपयोग किए जाने वाले अन्य हैशटैग में #CPEC, #ISPR, #DGISPR, #PakArmy, आदि शामिल हैं।
कॉमन फॉलोवर
नीचे दिया गया ग्राफ बलूच अकाउंट के कॉमन फॉलोवर को दिखाता है। अधिकांश कॉमन फॉलोवर में अन्य बलूच अकाउंट भी शामिल हैं जो एक ही नेरेटिव के तहत ओपरेट होते हैं। उदाहरण के लिए, @TslmBlch, @Samreen68550337, @Mehranb82517592, @BolanGazetteआदि।
निष्कर्ष:
उपरोक्त जांच और विश्लेषण से स्पष्ट है कि बलूचिस्तान में मानवाधिकार हनन के मुद्दे पर घिरे पाकिस्तान ने अंतराष्ट्रीय स्तर पर अपनी छवि को सुधारने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया है। सैकड़ों की संख्या में बलूच ट्विटर अकाउंट एक्टिव है। जो पाकिस्तानी फौज के प्रोपेगेंडा को फैला रहे है। हाल ही में आई बाढ़ ने जब दुनिया के सामने बलूचिस्तान में पाकिस्तान के विकास के दावों की पोल खोली तो इन अकाउंट के जरिये पाकिस्तानी फौज के राहत कार्य को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करना शुरू कर दिया गया। हालांकि आम बलूच लोगों के मुद्दों से इन अकाउंट को कोई सरोकार नहीं है। उनकी परेशानियों पर पूरी तरह से चुप्पी दिखाई देती है। इस बारे में न तो कोई ट्वीट दिखाई देता है और नहीं कोई रीट्वीट। वहीं बलूच कार्यकर्ताओं और उनकी और से उठने वाली आवाज को भी पूरी तरह से नजरअंदाज किया गया। सीपीईसी को बलूचिस्तान के विकास की एक मात्र परियोजना करार देते हुए आम बलूच लोगों से समर्थन हासिल करने की कोशिश की गई।