सोशल मीडिया साइट्स पर दीनदयाल उपाध्याय को लेकर यूज़र्स दावा कर रहे हैं कि उन्होंने मुस्लिम लीग के साथ मिलकर गठबंधन की सरकार चलाई थी।
HELL WALA नामक यूज़र ने ट्वीट रिप्लाई करते हुए लिखा, “दिन हीन दयाल उपाध्याय जी एक मात्र हीरो है इनके हालांकि इतिहास में उनका कोई योगदान ढूंढने से नही मिलता सिवाय मुस्लिम लीग के साथ सरकार बनाने के।”
वहीं ट्वीटर पर एक और यूज़र #सत्यसारथी – नरेंद्र ने एक तस्वीर ट्वीट करते हुए दावा किया,“भारत में रहने वाले मुस्लिम तभी से संघीयो के आँखों की किरकिरी बने हुए हैं और पाकिस्तान के मुस्लिम भाई। जिन्ना के लिए भी संघीयो के दिलों में विशेष आदर है इसलिए आडवाणी मजार पर माथा भी टेकने कर आए थे।फोटो में संघीयो के गुरू दीन दयाल उपाध्याय और जिन्ना साथ साथ है।”
फ़ैक्ट चेक:
उपरोक्त दावे की पड़ताल के लिए हमने कुछ खास की-वर्ड की मदद से गूगल पर एक सिंपल सर्च किया। पंडित दीनदयाल उपाध्याय पर अलग अलग मीडिया हाउसेज़ द्वारा पब्लिश बहुत सी रिपोर्ट्स मिलीं।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितम्बर 1916 को उत्तर प्रदेश के ज़िला मथुरा में हुआ था। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के चिन्तक और संगठनकर्ता थे।
वो अखिल भारतीय जनसंघ के संस्थापक सदस्य थे, जिसकी की स्थापना 21 अक्टूबर 1951 को श्यामा प्रसाद मुखर्जी, प्रोफेसर बलराज मधोक और उनके द्वारा दिल्ली में की गई थी। इस पार्टी का चुनाव चिह्न दीपक था। इसने 1952 के संसदीय चुनाव में 3 सीटें जीती थीं।
1967 तक पं. दीनदयाल भारतीय जनसंघ के महामंत्री रहे। 1967 में कालीकट अधिवेशन में वो भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। वह मात्र 43 दिन जनसंघ के अध्यक्ष रहे। उन्होंने भारत की सनातन विचारधारा को युगानुकूल रूप में प्रस्तुत करते हुए देश को एकात्म मानववाद नामक विचारधारा दी थी।
10/11 फरवरी 1968 की रात, मुग़लसराय स्टेशन पर उनकी हत्या कर दी गई। यही सबब है कि 1862 में बने मुगलसराय स्टेशन का नाम योगी आदित्यनाथ सरकार ने जून 2018 में बदल कर पंडित दीनदयाल उपाध्याय कर दिया है।
वहीं 1906 में ऑल इंडिया मुस्लिम लीग की स्थापना ढाका में हुई। पंडित दीनदयाल द्वारा मुस्लिम लीग के साथ गठबंधन की सरकार बनाने के बारे में हमें कहीं भी कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं मिला।
सवाल ये है कि फिर किसने मुस्लिम लीग के साथ आज़ादी से पहले सरकार बनाई थी? ٖपहले हम दूसरे ट्वीट की हक़ीक़त जानेंगे फिर इस सवाल का जवाब ढूंढेंगे।
सत्यसारथी – नरेंद्र द्वारा ट्वीट की गई तस्वीर के माध्यम से दावा किया गया है कि इसमें दीनदयाल उपाध्याय, जिन्ना के साथ नज़र आ रहे हैं।
इंटरनेट पर इसे रिवर्स इमेज करने पर हमने पाया कि ये तस्वीर मोहम्मद अली जिन्ना की विकीपीडिया पेज से उठाई गई है।
ये तस्वीर, अक्टूबर 1937 में लखनऊ में एक बैठक के बाद मुस्लिम लीग की कार्य समिति की है।
विकीपीडिया पेज के अनुसार 1937 में दीनदयाल उपाध्याय, कानपुर से ग्रेजुएशन कर रहे थे।
जनसत्ता अख़बार ने एक रिपोर्ट में लिखा है, “यह दूसरे विश्व युद्ध का दौर था। अंग्रेज भारतीय को युद्ध में झोंक रहे थे। कांग्रेस इसके खिलाफ़ अलग-अलग राज्यों में चल रही अपनी सरकारों को भंग करने का निर्देश दे रही थी। ठीक उसी वक्त हिन्दू महासभा मुस्लिम लीग के साथ मिलकर सिंध, उत्तर पश्चिम प्रांत और बंगाल में सरकार बना रही थी। 1941 में हिन्दू महासभा और मुस्लिम लीग के गठबंधन से बंगाल में बनी सरकार के प्रीमियर यानी प्रधानमंत्री थे फजलुल हक और वित्त मंत्री थे श्यामा प्रसाद मुखर्जी। भारत विभाजन का प्रस्ताव पेश करने वाले फजलुल की सरकार में मुखर्जी 11 महीने वित्त मंत्री रहे।”
हिंदू महासभा की वेबसाइट के अनुसार वह देश की पहली पॉलिटिकल पार्टी है । इसकी स्थापना पं. मदन मोहन मालवीय ने 1914 में की थी।
निष्कर्ष
DFRAC के इस फ़ैक्ट-चेक से स्पष्ट है कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने मुस्लिम लीग के साथ मिलकर सरकार नहीं बनाई थी बल्कि मुस्लिम लीग के साथ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नेतृत्व में हिंदू महासभा ने सरकार बनाई थी और पंडित दीनदयाल उपाध्याय का संबंध भारतीय जनसंघ से है जो 21 अक्टूबर 1951 को वजूद में आई थी, इसी तरह तस्वीर में जिन्ना के साथ उनके नज़र आने का सवाल ही नहीं पैदा होता क्योंकि तस्वीर 1937 की है, जब वो कानपुर में पढ़ाई कर रहे थे, इसलिए सोशल मीडीया यूज़र्स द्वारा किया जा रहा दावा भ्रामक है।
दावा: दीनदयाल ने मुस्लिम लीग के साथ गठबंधन की सरकार बनाई थी
दावाकर्ता: सोशल मीडिया यूज़र्स
फ़ैक्ट चेक: भ्रामक