जून- जुलाई 2022 में भारत की 2000 वेबसाइट हैक कर ली गईं। यह पिछले दिनों में भारत पर हुए गंभीर साइबर हमलों में से एक है। अहमदाबाद की साइबर पुलिस के डीसीपी अमित वधावा ने इंडोनेशिया और मलेशिया सरकार के साथ साथ इंटरपोल को पत्र लिखा। इस पत्र में इंडोनेशिया और मलेशिया में बैठकर भारत की 2000 वेबसाइट को हैक करने के लिए ‘ड्रैगन फॉर्स मलेशिया’ और ‘हैकटिविस्ट इंडोनेशिया’ को ज़िम्मेदार बताया गया।
इन दोनों ग्रुप ने दुनिया के बाक़ी हैकर समूहों से भी अपील की कि वह भारत की वेबसाइटों को हैक करें। इन समूहों ने भारतीय जनता पार्टी की पूर्व नेता नुपूर शर्मा की निजी जानकारियाँ भी वेबसाइट पर डाल दीं। आंध्र प्रदेश पुलिस के अलावा भारत के कई नेताओं की निजी जानकारियाँ भी आम कर दीं। सुदूर पूर्व के इन दो मुस्लिम बहुल देशों की तरफ़ से भारत के प्रति नफ़रत और साइबर हमलों का यह पहला उन्मुक्त मामला देखने में आया। ज़ाहिर है यह भारतीय जनता पार्टी की नेता नुपूर शर्मा के उस ग़ैर ज़िम्मेदाराना बयान के बाद का घटनाक्रम है और इंडोनेशिया और मलेशिया के मुस्लिम समूहों ने ही इन साइबर हमलों को अंजाम दिया।
थ्रेट पोस्ट नाम की मशहूर वेबसाइट ने जून में एक आलेख में कहा कि रैडवेयर ने एक नई एडवाइज़री के माध्यम से बताया कि ड्रैगनफोर्स मलेशिया नामक एक हैक्टिविस्ट समूह, कई अन्य समूहों की सहायता से, भारत में कई वेबसाइटों के खिलाफ अंधाधुंध स्कैनिंग, डिफाइनिंग और डिनायल-ऑफ-सर्विस हमलों को लॉन्च कर चुका है। इसने अपने अभियान को “OpsPatuk” कहा। इन हमलों में उन्नत खतरे वाले एक्टर शामिल किए गए। नेटवर्क का उल्लंघन और डेटा लीक करना इस ग्रुप की मंशा थी।
ड्रेगन फॉर्स मलेशिया एक बेनामी हैक्टिविस्ट समूह है। वे राजनीतिक लक्ष्यों से जुड़े हुए हैं। उनके सोशल मीडिया चैनल और वेबसाइट फ़ोरम ऑपन हैं। इसे हज़ारों लोग फॉलो करते हैं और देखते हैं। अतीत में, इस मलेशियाई ग्रुप ने मध्य पूर्व और एशिया में संगठनों और सरकारी संस्थाओं के खिलाफ हमले शुरू किए हैं। उनका पसंदीदा लक्ष्य इज़राइल रहा है, जिसने तेल अवीव और इज़राइली संगठनों पर कई गंभीर हमले किए हैं।
बेनामी और लो ऑर्बिट आयन कैनन की तरह, ड्रैगन फॉर्स अपने ख़ुद के ओपन सोर्स DoS टूल्स – स्लोलोरिस, DDoSTool, DDoS-Ripper, Hammer, और बहुत कुछ – कोरियोग्राफ किए गए, आकर्षक वेबसाइट डिफेक्शन में हथियार बनाता है। जानकार कहते हैं कि यह ग्रुप परिष्कृत नहीं है लेकिन इसके हमलों को देखकर लगता है कि इसे बच्चा समझना नादानी होगा। ड्रैगनफोर्स मलेशिया और उसके सहयोगियों ने पिछले वर्ष में खतरे के परिदृश्य के साथ अनुकूलन और विकसित होने की अपनी क्षमता साबित कर दी है। रेडवेयर को आशंका है कि ड्रैगनफोर्स मलेशिया निकट भविष्य में अपने सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक जुड़ाव के आधार पर नए प्रतिक्रियावादी अभियान शुरू करना जारी रखेगा। इस हिसाब से भारत पर ड्रैगन फॉर्स मलेशिया के नए हमलों की आशंका जताई जा सकती है।
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर काउंटर टेररिज्म यानी आईसीटी ने ‘इस्लामिक स्टेट का दक्षिण पूर्व एशिया में हैक्टिविस्ट को समर्थन’ नाम से रिपोर्ट जारी की। इसमें कहा गया कि वेब साइट की विकृति, डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल-ऑफ-सर्विस (DDoS) हमलों और सूचना लीक सहित दक्षिण पूर्व एशिया में हैक्टिविज्म गतिविधियों की प्रवृत्ति बढ़ी है। इस रणनीति का उपयोग करने वाला एक समूह यूनाइटेड साइबर खिलाफत (यूसीसी) है, जो इस्लामिक स्टेट (आईएस) के समर्थन से संचालित होता है। दक्षिण पूर्व एशिया में इस्लामिक स्टेट ने इसलिए साइबर गतिविधि बढ़ा दी है क्योंकि इराक और सीरिया में अपने मुख्य क्षेत्र के नुकसान के कारण वह इस क्षेत्र में अपना भौतिक विस्तार कर रहा है। दक्षिण पूर्व एशिया के क्षेत्र में गरीबी, बेरोजगारी और सलफ़ी विचारधारा मौजूद है। यह इस इलाक़े के युवाओं में कट्टरता उभारने के लिए काफ़ी है।
रिपोर्ट कहती है कि दक्षिण पूर्व एशिया में साइबर का विकास तो तेज़ी से हुआ है लेकिन साइबर सुरक्षा कमज़ोर है। इसका फ़ायदा उठाकर कोई भी जानकार इस क्षेत्र का इस्तेमाल साइबर हमलों के लिए कर सकता है। कनेक्शन तकनीकों पर बढ़ती सामाजिक निर्भरता और हैक्टिविस्टों के एक समूह की उपस्थिति के साथ, ये तत्व आने वाले वर्षों में एक वास्तविक खतरा पैदा करेंगे।
आईएस समर्थित हैक्टिविस्ट समूह, अंसार खिलाफत सेना, यूसीसी कलेक्टिव का हिस्सा है। समूह को पहली बार जून 2018 में बंद टेलीग्राम समूहों से चलाया गया। इसमें उसने खुद को यूसीसी कलेक्टिव के भीतर काम करने वाले समूहों में से एक घोषित किया था। भाषा विश्लेषण से पता चला कि इस समूह की उत्पत्ति इंडोनेशियाई है।
सभी तथ्यों पर ग़ौर करने पर पता चलता है कि भारत के ख़िलाफ़ साइबर हमलों के लिए अब नई ज़मीन के तौर पर सुदूर पूर्व तैयार हो गई है। इसमें नुपूर शर्मा जैसे बयान भी मदद ही कर देते हैं। सुदूर पूर्व में भारत के लिए पैदा हो रही नफ़रत, नए साइबर हैक्टिविस्ट का उभार, इस्लामिक स्टेट का समर्थन एक संयोजन ही बना रहे हैं। भारत के लिए यह नया मोर्चा है।
(लेखक साइबर सुरक्षा और सूचना युद्ध के जानकर तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में पीएचडी हैं)