आम भारतीय जनमानस में ये बात क़ायदे से बैठ गई है कि दिल्ली की जामा मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिद है। लाल क़िले से महज़ 500 मीटर की दूरी पर स्थित जामा मस्जिद का निर्माण वर्ष 1650 में शाहजहां ने लाल पत्थरों और संगमरमर से शुरु करवाया था और उस वक़्त इसे बनने में 6 वर्ष का समय और 10 लाख रुपये ख़र्च हुए थे।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की DTC बस स्टॉप पर आपको ऐसे होर्डिंग लगे नज़र आ जायेंगे, जिनमें दावा किया गया है कि दिल्ली की जामा मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिद है।
दरगाह हज़रत निज़ामुद्दीन ؒ बस स्टॉप पर जामा मस्जिद समेत, क़ुतुब मीनार, अक्षर धाम, संसद व अन्य की ख़ूबसूरत तस्वीरों के साथ होर्डिंग लगा है। इस होर्डिंग में लिखा गया है, “Do you know? Jama Masjid is the largest mosque in India.” (क्या आप जानते हैं? जामा मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिद है।)
फ़ोटो वेबसाइट आलमी के मुताबिक़ जामा मस्जिद को भारत की सबसे बड़ी मस्जिद बताने वाले होर्डिंग लक्ष्मी नगर बस स्टॉप पर लगे हुए हैं।
वहीं दिल्ली टूरिज़्म विभाग की वेबसाइट पर भी जामा मस्जिद के बारे में यही दावा किया गया है कि दिल्ली की जामा मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिद है।
फ़ैक्ट चेक:
दिल्ली की जामा मस्जिद की बाबत ये जानने के लिए, हमने कुछ ख़ास “कीवर्ड” की मदद से सर्च किया कि क्या ये भारत की सबसे बड़ी मस्जिद है? हमें इस हवाले से इतिहासकार सोहैल हाशमी द्वारा फ़ेसबुक पर किया गया एक पोस्ट मिला। उन्होंने अंग्रेज़ी में लिखा है,“प्रिय दिल्ली सरकार, जामा मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिद नहीं है। भोपाल की ताज-उल-मसाजिद 33 फीसदी बड़ी है।”
सोहैल हाशमी के फ़ेसबुक पोस्ट के बाद,पंजाब केसरी, ज़ी सलाम, नव भारत टाइम्स और प्रभात ख़बर समेत अन्य मीडिया हाउसेज़ ने इस पर रिपोर्ट्स पब्लिश की हैं।
पंजाब केसरी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित ताज-उल-मसाजिद का निर्माण 1868-1901 के बीच भोपाल की तीसरी महिला शासक शाहजहां बेगम द्वारा कराया गया था। ताज-उल-मसाजिद का मतलब ‘मस्जिदों का ताज’ होता है।
रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि ताज-उल-मसाजिद के दारुल उलूम के प्रोफेसर हसन खान भी हाशमी से सहमत हैं। खान ने कहा, ‘‘ताज-उल-मसाजिद वास्तव में भारत की सबसे बड़ी मस्जिद है जो जामा मस्जिद से एक तिहाई गुना बड़ी है। वास्तव में, मेरी व्यक्तिगत राय में, ‘कवर क्षेत्र’ के मामले में यह दुनिया में सबसे बड़ी मस्जिद है। हालांकि, खुले क्षेत्र और कवर क्षेत्र दोनों को मिलाकर देखें तो, औरंगजेब द्वारा निर्मित लाहौर की बादशाही मस्जिद सबसे बड़ी है।”
पंजाब केसरी के अनुसार कोई सत्यापित आयाम आसानी से उपलब्ध नहीं है लेकिन ‘कल्चर ट्रिप’ और ‘हैलो ट्रैवल’ जैसी कई वेबसाइट दावा करती हैं कि ताज-उल-मसाजिद में 1,75,000 लोगों के बैठने की क्षमता है, जबकि ‘ब्रिटानिका डॉट कॉम’ के मुताबिक़, जामा मस्जिद के प्रांगण (सेहन) में 25,000 लोग ही बैठ सकते हैं।
ज्ञातव्य हो कि गूगल पर जामा मस्जिद, दिल्ली को सर्च करने पर सामने आता है कि जामा मस्जिद भारत की भव्य और बड़ी मस्जिदों में से एक है।
निषकर्ष:
DFRAC के इस फ़ैक्ट चेक से स्पष्ट है कि दिल्ली में बस स्टॉप पर लगे होर्डिंग और दिल्ली टूरिज़्म विभाग की वेबसाइट का ये दावा कि दिल्ली की जामा मस्जिद भारत की सबसे बड़ी मस्जिद है, भ्रामाक है क्योंकि हक़ीक़त में भारत की सबसे बड़ी मस्जिद भोपाल की ताज-उल-मसाजिद है।
दावा: दिल्ली की जामा मस्जिद है भारत की सबसे बड़ी मस्जिद
दावाकर्ता: दिल्ली पर्यटन विभाग, बस स्टॉप पर लगे होर्डिंग्स व अन्य
फ़ैक्ट चेक: भ्रामक