Nishank Rathore

फैक्ट चेकः निशांक राठौर की मौत को सांप्रदायिक एंगल देकर सोशल मीडिया पर फेक दावा वायरल

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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में इंजीनियरिंग के छात्र निशांक राठौर की मौत को लेकर सोशल मीडिया पर अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं। कोई इसे हत्या करार दे रहा है, तो किसी ने इसके पीछे सांप्रदायिक एंगल होने का दावा किया है।

यूपी के कौशांबी से बीजेपी सांसद विनोद सोनकर लिखा- “एक बार फिर ‘सर तन से जुदा’ को लेकर हिन्दू हत्या हुई है. लेकिन अभी तक किसी अशरफ मुसलमान ने ‘सर तन से जुदा’ के विरुद्ध फतवा जारी नहीं किया. ये अशरफ मुल्ला-मौलाना इस देश को दारुल-इस्लाम बनाना चाहते हैं. अगर अभी भी हिन्दू नहीं जागा तो भविष्य खतरे में है. #NishankRathore #Bhopal”

न्यूज नेशन के पत्रकार शुभम त्रिपाठी ने इस मामले पर अपशब्दों का इस्तेमाल करते हुए लिखा- “हाँ तो अभिव्यक्ति की आज़ादी वाले भांडो कहाँ हो? भोपाल में निशांक का शव रेलवे ट्रैक पर मिला है. इससे पहले उसके पिता को ये मैसेज़ किया गया था. ठीक उससे पहले निशांक के इंस्टाग्राम पर ये स्टोरी लगाई गई थी. कन्हैयालाल, उमेश कोल्हे के बाद #NishankRathore”

https://twitter.com/TheShubhamtv/status/1551766156570415105?s=20&t=x2p9PA9DswCd6dQXb824TQ

वहीं इस मामले पर कई अन्य यूजर्स ने भी पोस्ट शेयर किया है।

फैक्ट चेकः

निशांक की हत्या हुई या उसने आत्महत्या की है, यह घटना पुलिस के लिए परेशानी का शबब थी। घटना के जांच की जिम्मेदारी SIT को सौंपी गई। एसआईटी ने इस मामले के सभी पहलूओं की जांच की। भोपाल एम्स की फॉरेंसिक रिपोर्ट और निशांक के पोस्टमार्टम की जांच में सामने आया कि निशांक की हत्या नहीं की गई थी बल्कि उसकी ट्रेन से कटकर मौत हुई थी।

news18.com की रिपोर्ट के मुताबिक भोपाल एम्स की फॉरेंसिक जांच में निशांक की हत्या के सबूत नहीं मिले हैं। रिपोर्ट के मुताबिक- “फॉरेंसिक एक्सपर्ट की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में यह मामला सुसाइड का बताया गया है. ट्रेन के पहियों में फंसकर निशांक 5 से 6 फीट तक घसीटता गया था ज्यादा ब्लीडिंग होने की वजह से उसकी मौके पर ही मौत हो गई।”

वहीं इस मामले पर एसआईटी ने एक और खुलासा किया है कि निशांक ने ऑनलाइन कर्ज ले रखा था। उस पर कर्ज चुकाने का दबाव ज्यादा था। इस संदर्भ में नवभारत टाइम्स ने हेडलाइंस- “Nishank Rathore Death Case: ‘कर्ज के दबाव में इंजीनियरिंग के छात्र ने आत्महत्या की’, एसआईटी का दावा” से एक खबर पर प्रकाशित की है।

निष्कर्षः

DFRAC की जांच और फॉरेन्सिक रिपोर्ट के बाद स्पष्ट हो रहा है कि निशांक की हत्या नहीं हुई बल्कि उसने आत्महत्या की थी। इसलिए सोशल मीडिया यूजर्स का निशांक की हत्या किए जाने और उसे सांप्रदायिक एंगल देने का दावा गलत है।

दावा- निशांक राठौर की हत्या की गई

दावाकर्ता- सोशल मीडिया यूजर्स

फैक्ट चेक- भ्रामक