सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर किया जा रहा है। इस पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि अब ब्राह्मण समाज के खिलाफ अपशब्द कहने पर एट्रोसिटी एक्ट लगेगा। सोशल मीडिया यूजर्स इसके लिए एडवोकेट मुकेश भट्ट को धन्यवाद दे रहे हैं, जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में केस फाइल किया था।
एक यूजर ने एक स्क्रीन शॉट शेयर करते हुए लिखा- “सभी ब्राह्मणों के लिए एक बोहोत बड़ी खुश खबर। एडवोकेट मुकेश भट्ट जी को बोहोत बोहोत धन्यवाद। सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया ने दिया बड़ा फैसला। ब्राह्मण जाति के लिए अपशब्द बोलने पर अभ लागू होगी एट्रोसिटी ऐक्ट। एडवोकेट मुकेश भट्ट जी ने सुप्रीम कोर्ट में फाइल किया पिटीशन, जो आज सुप्रीम कोर्ट ने मान्यता दी। में पंडित कनु शर्मा (एडवोकेट) समस्त ब्राह्मण समाज की तरफ से एडवोकेट मुकेश भट्ट जी को खूब खूब अभिनंदन देता हु।”
दिल की गहराइयों से एडवोकेट मुकेश भट्ट जी को धन्यवाद। #brahman @brajeshpathakup #brahman_ekta pic.twitter.com/sOdghArUS6
— Radha Sharma (@RadhaSharma52) May 26, 2022
वहीं इस पोस्ट को कई अन्य यूजर्स ने भी पोस्ट किया है।
मुकेश भट्ट एडवोकेट जी को दिल से धन्यवाद व बधाई सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया ने दिया बड़ा फैसला*ब्राह्मण जाति के लिए अपशब्द बोलने पे अब लागू होगा एट्रोसिटी ऐक्ट।@NaveenJaihind @SawarnArmychief
— पण्डित ऋषि सन्नी पाण्डेय 🇮🇳 (@sunnypandey0224) May 25, 2022
https://twitter.com/Arunbjp_/status/1529366405463670784?s=20&t=C_gkORy5yI1zvYIojGzG-w
फैक्ट चेकः
वायरल हो रहे इस दावे की पड़ताल के लिए हमने गूगल पर सिंपल सर्च किया। लेकिन ब्राह्मणों के खिलाफ अपशब्द के इस्तेमाल पर एट्रोसिटी एक्ट में कार्रवाई होने की कोई खबर नहीं मिली। चूंकि दावा करने वाले यूजर्स ने 25 मई को पोस्ट किया था। इसलिए हमने सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर जाकर कोर्ट द्वारा दिए गए फैसलों पर सर्च किया। हमें वहां भी ऐसी कोई जानकारी नहीं मिली।
इसके बाद हमने सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट सिद्धार्थ आचार्य से संपर्क किया। सिद्धार्थ आचार्य ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा ऐसा कोई फैसला नहीं दिया गया है। उन्होंने इस तरह के दावों को भ्रामक करार दिया है।
निष्कर्षः
हमारे फैक्ट चेक से साबित हो रहा है कि वायरल हो रहा दावा भ्रामक है। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट द्वारा ऐसा कोई भी फैसला नहीं सुनाया गया है।
दावा- ब्राह्मणों को अपशब्द कहने पर लगेगा एट्रोसिटी एक्ट
दावाकर्ता- सोशल मीडिया यूजर्स
फैक्ट चेक- भ्रामक