चिंकी, मोमो, चाउ चाउ, चाउमिन, बहादुर, नेपाली, चीनी और कोरियाई… ये कुछ वर्ड हैं, जो नॉर्थ-ईस्ट के लोगों को अपमानित करने, उनपर नस्लीय टिप्पणी करने, वेशभूषा और शारीरिक बनावट का मजाक उड़ाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। अभी कुछ दिन पहले की बात है। मणिपुर की रहने वाली मशहूर 10 वर्षीय बाल सामाजिक कार्यकर्ता लिसिप्रिया कंगुजम को उनकी रेस और वेशभूषा के आधार पर विदेशी बता दिया गया। एबीपी न्यूज, हिन्दुस्तान अखबार सहित कई मीडिया हाउसों ने उनको विदेशी बताते हुए खबर भी चला दी। ये वाकया तब हुआ जब लिसिप्रिया कंगुजम ने ताजमहल के पीछे यमुना नदी के किराने प्लास्टिक के बिखरे कूड़े के खिलाफ अभियान चलाया था। ये हालत तब है जब लिसिप्रिया कंगुजन काफी फेमस हैं और उनको कई राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित भी किया जा चुका है।
रेस कितना बड़ा मैटर करता है इसका अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जब राहुल गांधी कुछ दिन पहले नेपाल में अपने दोस्त की शादी में गए थे, तब उनके साथ एक महिला का वीडियो जमकर वायरल हुआ था। लोगों ने इस तस्वीर को शेयर करते हुए राहुल गांधी की नेपाली दोस्त को चीनी राजदूत करार दिया था। राहुल गांधी की दोस्त को कई मीडिया हाउसों ने भी चीनी राजदूत बताया था। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि एक रेस का होने की वजह से नेपाली को चीनी बताने में आसानी हो गई। उसी तरह से उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश के लोगों को भी आसानी से नेपाली बता दिया जाता है। रोजगार की तलाश में नेपाल से दिल्ली और दूसरे बड़े शहरों में आए लोग अक्सर बिल्डिंग के केयरटेकर या फिर वॉचमैन की ड्यूटी करते हैं। इन लोगों के नाम चाहे जो भी हों, लेकिन उन्हें एक कॉमन नेम “बहादुर” से संबोधित किया जाता है।
नेपाली रेस के लोगों को ‘बहादुर’ नाम से संबोधित कई भारतीय फिल्मों में भी किया गया है। आमिर खान, अजय देवगन, काजोल और जूही चावला की फिल्म “इश्क” के एक सीन के अंदर जूही चावला नेपाली टैक्सी ड्राइवर को ‘बहादुर’ संबोधित करती है। इसी सीन में अजय देवगन भी ड्राइवर को बहादुर ही बुलाते हैं। इसके अलावा ‘हसीना मान जाएगी’ फिल्म में भी सिक्योरिटी गार्ड परेश रावल बने हैं, लेकिन उनका ड्रेस और भाषाशैली बिल्कुल नेपाल के रहने वाले शख्स की तरह ही रखी गई है। इसके अलावा नेपालियों पर उनकी रेस को लेकर चुटकुले भी बनाए जाते हैं। जिसे आप नीचे दिए लिंक पर क्लिक करके पढ़ सकते हैं।
DFRAC की इस रिपोर्ट में नॉर्थ-ईस्ट और नेपाल के लोगों के खिलाफ होने वाली रेस, रंग और एथिनिसिटी के आधार पर समाज में फैली स्टीरियोटाइप्स, अपमानजनक टिप्पणियां और भेदभावों का विश्लेषण प्रदान करेंगे।
कुछ चर्चित और प्रमुख घटनाएः
यहां पर हम कुछ चर्चित घटनाओं का विवरण दे रहे हैं, जिन्होंने नॉर्थ-ईस्ट के लोगों की रेस (नस्ल) को लेकर टिप्पणी की गई थी। उस दौरान इन घटनाओं पर काफी बहस भी हुई थी। कुछ घटनाओं में आरोपियों ने माफी मांग ली थी, लेकिन कुछ घटनाओं में कुछ भी नहीं हुआ।
घटना नंबर-एक-
रोन बिकास गौरव (Ron Bikash Gaurav) नाम के एक यूजर ने कलर्स टीवी (@ColorsTV) के डांस दीवाने-3 (#DanceDeewane3) का एक वीडियो पोस्ट किया है। इस वीडियो में देखा जा सकता है कि एंकर राघव जुयल (@TheRaghav_Juyal) को असम की रहने वाली गुंजन सिन्हा को “मोमो-चाउमीन” कहकर संबोधित किया जाता है। उनकी भाषा को चीनी बताई जाती है। इस दौरान शो पर मौजूद अभिनेत्री माधुरी दीक्षित और कोरियोग्राफर रेमो डीसूजा कोई आपत्ति नहीं जताते हैं। इस घटना के बाद काफी विवाद हुआ था और विवाद बढ़ने के बाद राघव जुयल ने माफी मांग ली थी। लेकिन सवाल उसी नस्लवाद को लेकर उठता है कि आखिर किसी की नस्ल, रंग और भाषा को लेकर कैसे टिप्पणी की जा सकती है?
Racism!@TheRaghav_Juyal introducing Gunjan Sinha of Assam in #DanceDeewane3 of @ColorsTV with "Momo", "Chinese" and celebs like @remodsouza, @MadhuriDixit have no objection in it.
People of Assam is not Chinese, yet such shows always do racism comments.
When will it stop? pic.twitter.com/cOTA8s8nvy— Ron Bikash Gaurav (Modi Ka Parivar) (@RonBikashGaurav) November 15, 2021
घटना नंबर-दो-
‘कलर्स टीवी’ के चर्चित शो ‘बिग बॉस-15’ में प्रतीक सहजपाल को राकेश बापत द्वारा ‘कोरियन’ कहकर बुलाया गया। प्रतीक को उनकी नस्ल की वजह से इस टिप्पणी का सामना करना पड़ा। वहीं बिग बॉस के इसी शो में निया शर्मा ने प्रतीक का समर्थन किया। जिसका एक वीडियो भी जमकर वायरल हुआ। इस वीडियो को मिस्टर जॉय नाम के एक यूजर ने शेयर किया है।
Nepali,Chinki,Chinese
Pratik Never Reacted & Create Any Big Scene Against Racist Comments Which he is facing in his @BiggBoss journey By Housemates in mny Fights. 2dy #NiaSharma gave answer in frnt of al housemates@realsehajpal :I dn't give🖕
Good Going Pratik#BiggbossOTT pic.twitter.com/UYxiw9ZALe
— Mr. Joy (@YoutuberMrJoy) September 1, 2021
घटना नंबर-तीन-
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालिवाल ने ट्वीटर पर एक वीडियो पोस्ट किया था। इस वीडियो में देखा जा सकता है कि नॉर्थ-ईस्ट की कुछ लड़कियों के साथ मनबढ़ युवकों का एक ग्रुप नस्लीय और सेक्सुअली कमेंट करता है। इस वीडियो को शेयर करते हुए स्वाति मालिवाल ने दिल्ली पुलिस से कार्रवाई की अपील की थी।
Came across a shameful video on social media wherein some women from the North East have alleged that a group of men have racially and sexually harassed them and asked, "Tumhara rate kya hai". This is a very very serious matter, issuing Notice to Delhi Police to register FIR. pic.twitter.com/EpqCAxJDVh
— Swati Maliwal (@SwatiJaiHind) July 21, 2021
केस नंबर-4-
लोकसभा के सांसद जामयांग त्सेरिंग नामग्याल ने ट्वीटर पर एक पोस्ट किया। इस पोस्ट के रिप्लाई में एक यूजर ने सांसद नामग्याल को नेपाली और चिंकी कहा।
Haa bhai Nepali kya haal Hai tre
Bade tweets kr raha hai aajkal
Chinki log hindi bhi likhte Hai waah 😂😂😂— GHATAK SINGH Cool 🇮🇳 (@GhatakCool) December 30, 2021
केस नंबर-5-
ट्वीटर पर एक फोटो पोस्ट की गई है। जिसमें शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी, कांग्रेस नेता अलका लांबा, बीजेपी की निलंबित प्रवक्ता नुपूर शर्मा के साथ एक अन्य महिला नेता दिख रही हैं। इस फोटो पर कमेंट करते हुए एक यूजर ने महिला नेता को ‘चिंकी मोमो’ कह दिया।
Aur ek chinki momo 😂
— Sudarshan (@Bri8t_Li8t) June 25, 2022
नॉर्थ-ईस्ट के लोगों का दर्दः
ट्विटर पर नॉर्थ-ईस्ट के कई लोगों ने अपने साथ हुए नस्लीय भेदभावों को शेयर किया है। एक यूजर ने लिखा- “मैं ईमानदारी से यह महसूस कर सकती हूं…. मेरे पास हर जगह छेड़खानी का रिकॉर्ड भी है… सिर्फ इसलिए कि हम उनसे अलग दिखते हैं। वे चिंकी, चाइनीज, मोमो जैसे कमेंट पास करते हैं… मुझे इसकी आदत हो चुकी है। यह इस हद तक कि यह वास्तव में मुझे अब और परेशान नहीं करता (वास्तव में नहीं)।”
I can feel yuh honestly…. I also have a record for getting eve teased everywhere I go….just because we look different than them, they pass comments like chinki, Chinese, momo….I am used to it to such an extent, that it doesn't really bother me anymore(not really)
— Kim Richa (@Kimricha15) February 20, 2022
इसी तरह एक अन्य यूजर ने लिखा- “नॉर्थ-ईस्ट के भारतीयों को चीनी, कोरियाई, चिंकी, मोमो आदि कहना अच्छा नहीं है। यह नस्लवाद है!”
It's not cool to call North East Indians Chinese,Korean,Chinki,Momo etc etc. It's racism!
— bigger than Eze༘ (@Eze__pcy) January 20, 2022
एक यूजर ने अपने अनुभवों को शेयर करते हुए लिखा- “ऐसी घटना इतनी आम हो गई है। ऐसे स्टीरियोटाइप लोगों को सलाखों के पीछे डाल देना चाहिए @TheRaghav_Juyal @ColorsTV। मुझे व्यक्तिगत रूप से कॉलेज, ऑफिसों में इस तरह की नस्लीय टिप्पणियों का सामना करना पड़ा है। मोमो, चिंकी, तुम लोग सब वही दिखते हैं। कोरोना तुम लोगो ने लेके आया है इंडिया पे..”
Such incident has been so common. Such Stereotype people should be put behind the bar @TheRaghav_Juyal @ColorsTV
I personally have face such racial remarks lots in college , offices.
momo, chinki, tum log saab same dikhte hon.corona tum logo ne leke aya hain india pe..#racism— Mangi Khumakcham (@mangiKh) November 17, 2021
यहां हम एक कोलाज दे रहे हैं, जिसमें कई लोगों द्वारा खुद के साथ हुई घटनाओं के बारे में अपना अनुभव शेयर किया है।
नॉर्थ-ईस्ट के लोगों पर किए गए आपत्तिजनक ट्वीट्सः
यहां हम दो कोलाज प्रदान कर रहे हैं, जिसमें नॉर्थ-ईस्ट के लोगों पर रेस, भाषा, एथिनिसिटी और शारीरिक वेशभूषा को लेकर आपत्तिजनक ट्वीट्स और भद्दे कमेंट्स किए गए हैं।
वर्डक्लाउडः
उत्तर-पूर्व के लोगों को ट्रोल करने के लिए आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले शब्दों का वर्डक्लाउड नीचे दिया गया है। कुछ शब्दों में- “मोमोज”, “चिंकी”, “चीनी”, “नेपाली”, “कुत्ते”, “आंख”, आदि शामिल है।
ट्रोल करने वाले अकाउंट्सः
नीचे कुछ एकाउंट्स दिए गए हैं, जिन्होंने उत्तर-पूर्व के लोगों पर ट्वीट किया या उनको खूब रिप्लाई दिया है। इन लोगों ने ट्विटर पर उनका मजाक उड़ाया और उन्हें ट्रोल किया। कुछ यूजर्स में @MumukshuSavitri, @Angelic_Quest, @sherbetsofie, @apcchief_phukan शामिल हैं।
आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमालः
नीचे कुछ शब्द दिए गए हैं जिनका इस्तेमाल उत्तर-पूर्व के लोगों को ठेस पहुंचाने और उनका मजाक उड़ाने के लिए किया गया है। इन शब्दों में “चिंकी” का इस्तेमाल 110 से अधिक बार किया गया है। इसके बाद “चीनी” का 90 से अधिक बार और “मोमोज” का 65 से अधिक बार इस्तेमाल किया गया है। इसके बाद नेपाली सहित दूसरे शब्द हैं जिसके इस्तेमाल किया गया है।
निष्कर्षः
भारतीय समाज में नस्ल को लेकर विवादित टिप्पणियां करना कोई नया नहीं है। यहां पहले से ही जातिवादी और रंगभेदी टिप्पणियां की जाती रही हैं। दलित जातियों के लिए जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल करके आज भी गालियां दी जाती हैं। इन जातियों के नाम पर कई ऐसी कहावतें भी बना दी गई हैं, जिसमें उनके अपमान का बोध होता है। इसमें “धोबी का कुत्ता, न घर का न घाट का” शामिल हैं। इसके अलावा कई कहावतें और संज्ञाएं ऐसी भी हैं, जिन्हें सार्वजनिक तौर पर लिखा और बोला नहीं जा सकता है। इस प्रकार के अपशब्दों, आपत्तिजनक नस्लीय टिप्पणियों और जातिवादी गालियों की सोशल मीडिया पर भरमार है। नॉर्थ-ईस्ट और नेपाल के लोगों को नस्ल के आधार पर तरह तरह की संज्ञाएं दी गई हैं। अलग रंगरूप, वेशभूषा और भाषा के आधार पर उन्हें चीनी, जापानी, नेपाली और कोरियन तक कह दिया जाता है, जबकि वह हिन्दी बोलते हैं और भारतीय हैं। इस प्रकार की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए सरकार को विशेष रुप से कानूनी प्रावधान किए जाने की जरूरत है।