मीडिया की घटती विश्वसनीयता को संबोधित करते हुए हमारी टीम ने पत्रकार सुधीर चौधरी पर एक एक्सक्लूसिव रिपोर्ट तैयार की है। अब DFRAC की इस विशेष रिपोर्ट में, हम रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के प्रबंध संचालक और प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी(Arnab Goswami) को कवर करेंगे। अर्नब द्वारा कई भ्रामक और अपमानजनक टिप्पणियां की गई हैं। उनमें से कुछ को हमारी टीम ने इस विशेष रिपोर्ट में संबोधित किया है।
शाहीनबाग़ में कथित अवैध अतिक्रमण हटाने पर अर्नब गोस्वामी।
उन्होंने पूछा कि शाहीनबाग़ में अवैध अतिक्रमण को बचाने वाले लोग कौन हैं ? क्या शाहीनबाग़ क़ानून से ऊपर है? क्या दिल्ली नगर निगम के क़ानून शाहीनबाग़ पर लागू नहीं होते?
वहीं अर्नब ने अभिनेत्री कंगना रनौत का समर्थन किया जब बीएमसी ने उनके कार्यालय के अवैध हिस्से पर बुलडोज़र चलाया । उस समय उन्होंने खुद अवैध अतिक्रमण का समर्थन किया था। क्या नगर निगम के क़ानून कंगना रनौत पर लागू नहीं होते?
अर्नब ने दावा किया कि 2002 के गुजरात दंगों को कवर करने के दौरान उन पर हमला किया गया था।
हकीक़त: घटना इंडिया टुडे के राजदीप सरदेसाई के साथ हुई थी, अर्नब के साथ नहीं। इसके अलावा, इंडिया टुडे ने अर्नब के इस झूठ का भंडाफोड़ करते हुए एक पूरा शो प्रसारित किया था।
अर्नब द्वारा पालघर की घटना को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश
उन्होंने तथाकथित ‘लॉबी’ से पूछा कि वे इस घटना पर सन्नाटे में क्यों हैं? स्वरा भास्कर और जावेद अख्तर जैसे नाम लेते हुए उन्होंने उन पर आरोप लगाया कि वे चुप हैं क्योंकि पालघर हमले के शिकार हिंदू हैं।
हकीकत: स्वरा भास्कर और जावेद अख्तर दोनों ने इस घटना की निंदा की थी।
लोगों को देशद्रोही कहना
अर्नब ने प्रवासी मज़दूरों को राष्ट्र-विरोधी बताया । उन्होंने वारिस पठान को भी स्टूडियो में राष्ट्रगान पर खड़े न होने के उनके तर्क के लिए राष्ट्र-विरोधी कहा।
यहां तक कि कोर्ट ने भी कहा कि सिनेमाघरों में राष्ट्रगान के लिए खड़े नहीं होना राष्ट्र-विरोध का संकेत नहीं है।
अर्नब गोस्वामी ने प्रवासी मज़दूरों को मज़दूर नहीं, किराये पर आने वाले अभिनेता कहा।
भारत में लॉकडाउन के बाद हज़ारों की संख्या में लोग बांद्रा रेलवे स्टेशन के बाहर जमा हो गए। अर्नब ने उनको किराये पर बुलाये गए अभिनेता बताकर उन पर टिप्पणी की कि “वे ना भूखे थे, ना प्यासे थे, ना मजबूर थे, ना मज़दूर थे वे तफ़रीह़ करने वाले नायक थे ।
हकीकत: साल 2020 में जब देश में कोरोना की पहली लहर आई और देश में लॉकडाउन लगा तो आम लोगों के बीच हड़कंप मच गया था। चूंकि स्थिति अभूतपूर्व थी, यह सुनिश्चित नहीं था कि लॉकडाउन की स्थिति में क्या किया जाए, बहुत से लोग जो अपने घर से बाहर काम कर रहे थे, वे घर वापस लौटना चाहते थे। इस अस्पष्ट स्थिति के बीच बांद्रा रेलवे स्टेशन के बाहर भारी भीड़ जमा हो गई। यही घटना सूरत जैसे देश के कई अन्य हिस्सों में भी देखने को मिली।
कश्मीर फाइल्स पर बहस
फिल्म द कश्मीर फ़ाइल्स एक बहुत ही संवेदनशील मुद्दे पर आधारित है जो वर्ष 1991 में कश्मीरी पंडितों का पलायन है। यह दुखद है कि पलायन के शिकार हुए कई कश्मीरी पंडित अभी भी पीड़ित हैं। फिल्म पर बहस करते हुए अर्नब हर बार फिल्म को वास्तविक घटना पर आधारित बताते हैं और फिल्म में दिखाए गए हर घटना को सच बताते हैं। उन्होंने कहा कि, ” इस मामले में लोग सच्चाई को सॉफ़्ट करने की बात कह रहे हैं।
वास्तविकता:
फिल्म में कुछ गलत फ़ैक्ट प्रस्तुत किए गए थे जैसे
दावा नंबर 1-
मिथुन चक्रवर्ती, जो आईएएस अधिकारी ब्रह्म दत्त की भूमिका निभा रहे हैं , के अनुसार 5 लाख कश्मीरी पंडितों को मार दिया गया और घाटी से भगा दिया गया। जबकि पी. पी कपूर के दायर आरटीआई के जवाब के मुताबिक़ 1.5 लाख लोग कश्मीर से पलायन कर गए थे और उनमें से 88 प्रतिशत हिंदू थे जो घाटी में हुई हिंसा और ख़तरे के कारण वहां से पलायन कर गए थे। वहीं द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, 219 कश्मीरी पंडित मारे गए और पंडितों के 24000 परिवार घाटी से पलायन कर गए। कश्मीर घाटी छोड़ने वाले केवल 1.5 लाख प्रवासियों के रिकॉर्ड हैं। हालांकि 88% हिंदू थे, लेकिन ऐसा कोई डेटा 5 लाख की बड़ी संख्या से मेल नहीं खाता।
दावा नंबर 2-
इसके अलावा एक दृश्य, जिसमे कश्मीरी पंडित अन्य शरणार्थियों के साथ जम्मू के बाहरी इलाके में शिविरों में रह रहे हैं, जो उन्हें आवश्यकता अनुसार नहीं प्रदान की गई मदद के बारे में शिकायत करते हैं। एक शरणार्थी ने गृह मंत्री से पूछा, हमें केवल 600 रुपये की नक़द राशि ही जीवन यापन के लिए क्यों प्रदान की जाती है और कुछ क्यों नहीं।
गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, पलायन के दौरान मुफ्त राशन की सुविधा के साथ 250 रुपये प्रति परिवार नक़द दिये गए। सुविधाओं को बार-बार संशोधित किया गया था। देश में कश्मीर से 62000 प्रवासियों का पंजीकरण हुआ था और वर्तमान में सरकार राशन पर छूट सहित परिवार के सदस्यों को प्रति व्यक्ति 2500 रुपये नकद प्रदान कर रही है। सरकार ने जम्मू के पुरखू , मुठी, नगरोटा में भी दो कमरों के मकान उपलब्ध कराए।
इसलिए, यह दावा भ्रामक है कि पलायन के दौरान, केंद्र सरकार ने कोई सुरक्षा प्रदान नहीं की थी, लेकिन जम्मू और कश्मीर की राज्य सरकार ने अधिकांश पंजीकृत परिवारों को एक नया जीवन शुरू करने के लिए सुविधाएं प्रदान कीं।
सोनिया गांधी पर अर्नब गोस्वामी की अपमानजनक टिप्पणियां
एक टीवी डिबेट में, गोस्वामी ने सोनिया गांधी पर 16 अप्रैल की रात को महाराष्ट्र के पालघर में हुई मॉब लिंचिंग की घटना पर चुप रहने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा कि अगर ईसाई पादरी पीड़ित होते तो वह चुप नहीं रहतीं। उन्होंने कहा, “मैं देश से पूछना चाहता हूं कि क्या हिंदू संतों की तरह मौलवी या ईसाई पादरियों को निशाना बनाया गया होता तो वह चुप रहती? क्या इटली की एंटोनिया माइनो (सोनिया गांधी) तब चुप रहते? अगर पीड़ित ईसाई पादरी होते तो सोनिया गांधी, जो रोम से आई थीं, इस मुद्दे पर चुप नहीं रहतीं? वह इटली में रिपोर्ट भेजेगी कि कितने हिंदू मारे गए थे जहां पर उनकी सरकार है।
हक़ीक़त: इस मामले में अर्नब के खिलाफ़ एफआईआर दर्ज़ की गई थी और कई लोगों ने अर्नब की निंदा भी की थी क्योंकि उन्होने सोनिया गांधी पर टिप्पणी निराधार है।
एक अन्य घटना में, उन्होंने आरोप लगाया कि सोनिया गांधी के गुंडो ने उन पर और उनकी पत्नी पर हमला किया था। जिसके बाद ट्विटर पर #BarBala, और #Bardancer जैसे हैशटैग ट्रेंड करने लगे थे।
चिल्लाने और वाद–विवाद करने पर अर्नब गोस्वामी
( स्रोत : https://www.youtube.com/watch?v=MwCN3KRW-7s)
कुछ बहसों में अर्नब एक सज्जन की तरह व्यवहार करते हैं और कहते हैं कि चिल्लाओ मत चलो सज्जनों की तरह बहस करते हैं और अन्य बहस में वह लोगों के साथ असममानपूर्ण व्यवहार करते हैं और चिल्लाते हैं। साथ ही, कई बहसों में वह एक पक्ष लेते हैं और फिर बहस का संचालन करते हैं।
एक पक्ष लेना अर्नब की शैली हो सकती है लेकिन यह एक आदर्श एंकर का गुण नहीं है जो वाद-विवाद संचालित कराता है।
शुशांत सिंह राजपूत के मामले पर अर्नब ने कई डिबेट कीं।
कई बहसों में उन्होंने दृढ़ता से कहा कि शुशांत की हत्या कर दी गई थी। इसके अलावा, अपनी कई बहसों में रिया के पूरे चरित्र की हत्या करते हुए उन्होंने दावा किया कि रिया व्हाट्सएप पर ड्रग्स के लिए भीख मांग रही थी और उन्होने इस बात को झूठला दिया कि सुशांत ने कभी ड्रग्स का सेवन किया। इसके अलावा, उन्होंने इस मामले में सलमान ख़ान और करण जौहर को भी घसीटा, जिनका इस मामले से कोई भी सीधा संबंध नहीं है।
हकीकत: इस मामले में सीबीआई को आज तक कोई मर्डर एंगल नहीं मिला लेकिन अर्नब ने इस मामले को कई बार मर्डर एंगल देने की पूरी कोशिश की। साथ ही, सुशांत को आत्महत्या के लिए उकसाने में रिया की भूमिका के खिलाफ कुछ भी सुबूत नहीं मिला है। फिर भी अर्नब ने अपने चैनल पर बार बार रिया के लिए अपमानजनक टिपपड़ियां की हैं।
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