सोशल मीडिया पर राजपूत शासक पूरनमल और मुगल सम्राट औरंगजेब की एक कथित तस्वीर वायरल हो रही है। जिसमे दावा किया गया कि पूरनमल ने औरंगजेब को युद्ध में तीन बार हराया था। साथ ही ये भी कहा गया कि औरंगजेब वह युद्ध से पहले ही इतना डर गया था कि रणभूमि में उससे मिला ही नहीं।
फेसबुक पेज ‘वी सपोर्ट राम मंदिर’ द्वारा पोस्ट की गई इस तस्वीर में दावा किया गया –
- पूरनमल ने औरंगजेब को लगातार तीन बार हराया।
- पूरनमल ने औरंगजेब की गुलामी को कभी स्वीकार नहीं की।
- पूरनमल ने मध्य प्रदेश को मुगलों से मुक्त करने के लिए 15 साल तक संघर्ष किया।
- पूरनमल ने औरंगजेब को इतना डरा दिया था कि युद्ध के मैदान में मुगल उससे कभी नहीं मिले।
फैक्ट चेक:
वायरल तस्वीर को रिवर्स सर्च इमेज करने पर हमने पाया कि यह तस्वीर औरंगजेब की नहीं बल्कि बहादुर शाह द्वितीय की है। इस तस्वीर का इस्तेमाल उर्दू लेखक मोहम्मद असलम परवेज की किताब ‘बहादुर शाह जफर मुगलिया सल्तनत का आखिरी ताजदा‘ के कवर इमेज पर किया गया।
आर.एस. खंगारोट और पी.एस. नथावत की किताब ‘जयगढ़, अंबर का अजेय किला’ में राजपूत शासक पूरनमल की मृत्यु 1534 में होने के जिक्र किया गया। जबकि औरंगजेब का जन्म 1618 में हुआ था।
उन्होने अपनी किताब में लिखा, “पृथ्वीराज का उत्तराधिकारी उसका पुत्र पूरनमल था जिसने 1527 से 1534 तक शासन किया था। उसने हुमायूँ के भाई हिंदल को तातार खान के खिलाफ मंड्रिल की लड़ाई में उसके संघर्ष में मदद की थी। जिसमें पूरनमल की मृत्यु हो गई थी।
इसके अलावा इतिहासकार हरबंस मुखिया ने अपनी किताब ‘फॉर कॉन्क्वेस्ट एंड गवर्नेंस’ में लिखा है कि पूरन मल नाम का एक और शासक था, जिसने चंदेरी पर शासन किया था। जो 1545 में शेर शाह सूरी द्वारा पराजित किया गया था यानि औरंगजेब के जन्म से भी पहले।
वहीं द लॉजिकल इंडियन ने एक तीसरे पूरनमल की पहचान की। जिसने 1714 से 1716 तक मालवा में शासन किया था। हालांकि, इस पूरनमल ने औरंगजेब की मृत्यु के बाद शासन किया था। बता दें कि औरंगजेब की मृत्यु 1707 में हो गई थी।
अत: स्पष्ट है कि औरंगजेब के पहले दो शासक पूरनमल हुए और एक पूरनमल ने औरंगजेब कि मृत्यु के सात साल बाद शासन किया था।
निष्कर्ष:
राजपूत शासक पूरनमल के औरंगजेब को युद्ध में तीन बार हराने के दावा फेक है।