


उनके इस ट्वीट के बाई कई सैकड़ों यूजर ने भी इस तरह के दावे किए है। इस सभी ने एक काले ग्रेनाइट साइनबोर्ड की तस्वीर को अपने दावे का आधार बनाया है।
फैक्ट चेक:

उपरोक्त दावे की पड़ताल करने पर हमारी टीम को इस सबंध में दी मुंबई जू की और से एक स्पष्टीकरण भी मिला। जिसमे कहा गया, बाग का नाम 1969 में रानी विक्टोरिया नामक उद्यान से बदलकर ‘वीरमाता जीजाबाई भोसले उद्यान’ रखा गया। जिसके बाद में 1980 में यह बदलकर ‘वीरमाता जीजाबाई भोसले पार्क और चिड़ियाघर’ हो गया। और अब भी ये ही नाम है।

उपरोक्त दावे की पड़ताल करने पर हमारी टीम को इस सबंध में दी मुंबई जू की और से एक स्पष्टीकरण भी मिला। जिसमे कहा गया, बाग का नाम 1969 में रानी विक्टोरिया नामक उद्यान से बदलकर ‘वीरमाता जीजाबाई भोसले उद्यान’ रखा गया। जिसके बाद में 1980 में यह बदलकर ‘वीरमाता जीजाबाई भोसले पार्क और चिड़ियाघर’ हो गया। और अब भी ये ही नाम है।
आज तक किसी ने आपत्ति नहीं की। अचानक कोई जाग जाता है और ट्विटर पर शरारती संदेश पोस्ट करता है।”
अत: उपरोक्त दावा फर्जी और झूठा है।