पिछले कई रोज़ से सोशल मीडिया पर सज़ा ए मौत देने का एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो को चीन के न्यूज़ पोर्टल ने ट्विटर पर पोस्ट किया है। इस वीडियो को लेकर दावा किया गया है कि यह वीडियो अफगानिस्तान का है, जहां तालिबान जिसे भी अपराधी समझते थे, उसे इसी तरह सज़ा ए मौत देते थे।
इस वीडियो को Public App पर भी प्रसारित किया गया है, जिसका लिंक हम नीचे दे रहे हैं।
पब्लिक एप्प पर पोस्ट किए गए वीडियो को 10,000 से अधिक बार देखा जा चुका है।
फैक्ट चेक:
इस वीडियो के की-फ्रेम्स को रिवर्स सर्च करने पर हमने पाया कि इंटरनेट पर इस वीडियो को पहली बार 2014 में प्रकाशित हुआ था। हम 2014 में पोस्ट किये गए इस वीडियो का लिंक भी नीचे प्रकाशित कर रहे हैं।
इस वीडियो को सोशल मीडिया बहुत से यूजर्स ने 2014 में पोस्ट किया था। उस दौरान इस वीडियो को खूंखार आतंकवादी संगठन आईएसआईएस की क्रूरता का दावा करते हुए प्रसारित किया गया था। लेकिन यदि आप 31 सेकंड के पर वीडियो को पॉज करके ग़ौर से देखेंगे कि तो आप अल-नुसरा फ्रंट का झंडा इस वीडियो में देख पाएंगे। अल नुसरा फ्रंट आतंकवादी संगठन अलकायदा की ही एक शाखा है। इसलिए चीनी मीडिया या भारतीय सोशल मीडिया यूजर्स द्वारा इस वीडियो को अफ़ग़ानिस्तान तालिबान की क्रूरता दिखाने का दावा झूठा है।