प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) द्वारा 18 जून 2021 को एक रिपोर्ट जारी किया गया, जिसमें बताया गया कि आईआईटी गांधीनगर सहित 8 अन्य संस्थाओं की स्टडी में पाया गया है कि नदियों में कोरोना वायरस हो सकता है। इस रिपोर्ट के बाद बहुत सारे न्यूज चैनलों और वेबसाइटों ने इस स्टोरी को लपक लिया और अपने अंदाज में इसे सनसनीखेज बनाकर खबर प्रसारित करने लगे।
टीवी-9 भारतवर्ष के एक्जीक्यूटिव एडिटर समीर अब्बास ने 18 जून 2021 को इस संदर्भ एक ट्वीट किया। उन्होंने लिखा- “ सावधान!! कोरोना वायरस पानी को भी संक्रमित कर रहा है। देश की 2 नदियों और कई झीलों में जिंदा कोरोना वायरस मिला है। ये दो नदियां हैं गुजरात की साबरमती नदी और गुवाहाटी की भारू नदी, इसके अलावा अहमदाबाद की कांकरिया और चंदोला झील के पानी के सैंपल भी कोरोना पाजिटिव पाए गए हैं।” समीर अब्बास के अलावा टीवी-9 भारतवर्ष, न्यूज-18, याहू न्यूज, और माइक्रोसॉफ्ट न्यूज ने भी ऐसा ही दावा किया है।
फैक्ट चेक-
जब समीर अब्बास और दूसरे न्यूज चैनलों के इस दावे की जांच की गई तो पाया गया कि उनका यह दावा भ्रामक है। जिस रिसर्च पेपर के हवाले से नदियों में जिंदा कोरोना पाए जाने का दावा किया जा रहा था, वह पेपर इंटरनेट पर मौजूद है। पेपर में “भारू नदी” के बारे में कोई उल्लेख नहीं किया गया है। हालांकि पेपर में असम की भारलू नदीं का जिक्र है जहां से पानी टेस्ट के लिए सैंपल लिए गए थे।
वहीं जब भारू नदी के बारे में जानकारी प्राप्त की गई तो पता चला कि असम में भारू नाम की नदी है ही नहीं। इस बात की पुष्टि के लिए सरकारी वेबसाइटों, रिकॉर्ड और लोकल अधिकारियों से बात भी की गई। प्रोजेक्ट की अगुवाई करने वाले प्रोफेसर मनीष कुमार द्वारा जारी किए गए पेपर और उनकी टिप्पणियों के अनुसार, उनका पेपर यह दावा नहीं कर रहा है कि वायरस जीवित है या नहीं। वहीं उन्होंने इस विषय पर आगे भी शोध किए जाने की सलाह दी है।
इस फैक्ट से यह साबित होता है कि समीर अब्बास, टीवी-9 भारतवर्ष, न्यूज-18, याहू न्यूज, और माइक्रोसॉफ्ट न्यूज का दावा गलत और भ्रामक है, क्योंकि असम में भारू नाम की कोई नदी नहीं है। भारू नदी के सत्यापन के लिए आप गूगल सर्च करके भी पता कर सकते हैं।