सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में खून और इधर-उधर ज़ख़्मी हालत में लोगों को देखा जा सकता है। यूज़र दावा कर रहे हैं कि मुस्लिमों द्वारा फ्रांस में हत्या और बलात्कार किया जा रहा है, क्या भारत और हिन्दुओं के पास मोदी के अलावा कोई और विकल्प है?
मनोज श्रीवास्तव नामक यूज़र ने वीडियो ट्वीट कर लिखा,“*फ्रांस* *मुस्लिम शरणार्थियों द्वारा* *बड़ी संख्या में* *श्वेत लोगों की हत्या* *और* *बलात्कार किया जा रहा है* *भारत और हिंदूयो* *क्या मोदी के अलावा* *आप के पास* *कोई और विकल्प है*”
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इस ट्वीट को अभी तक 1300 से अधिक रिट्वीट और 22 हज़ार से अधिक व्यूज़ मिल चुके हैं।
वहीं एक अन्य यूज़र ने भी यही वीडियो ट्विटर पर शेयर कर लिखा है,“सुनने मे ये आ रहा है की, #फ्रांस मे मुस्लिम शरणार्थियों द्वारा बड़ी संख्या में श्वेत लोगों की हत्या और बलात्कार कीया गया है? सच मे #FactCheck होना चाहिए!”
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फ़ैक्ट-चेक:
वायरल वीडियो के माध्यम से किए जा रहे दावे की हकीकत जानने के लिए DFRAC टीम ने वीडियो को पहले कुछ की-फ़्रेम कन्वर्ट किया। फिर उन्हें गूगल की मदद से रिवर्स सर्च किया। इस दौरान हमें कई मीडिया रिपोर्ट्स मिलीं।
जॉर्जीयन् न्यूज़ वेबसाइट timer.ge द्वारा 15 जुलाई 2016 को पब्लिश न्यूज़ के अनुसार- फ्रांस के शहर नीस में एक ट्रक भीड़भाड़ वाली जगह में घुस गया और लोगों को टक्कर मार दी। यह घटना नीस के समुद्र तट पर हुई, जहां नागरिक आतिशबाजी के साथ बैस्टिल दिवस मना रहे थे।
वहीं हमें crimesofempire.com पर इस बाबत एक रिपोर्ट मिली।
रिपो्र्ट के इंट्रोडक्शन में बताया गया है कि- जब से दुनिया को बताया गया कि मोहम्मद लाहौएज बौहलेल ने नीस बुलेवार्ड पर एक ट्रक से 85 लोगों की हत्या कर दी और 300 अन्य लोगों को घायल कर दिया, तब से कई विसंगतियाँ सामने आई हैं, जिससे यह अटकलें लगाई जाने लगी हैं कि नीस हमला एक काल्पनिक घटना थी।
वहीं अन्य मीडिया हाउसेज़ द्वारा भी इस घटना को कवर किया गया है।
वन इंडिया न्यूज़ ने अपने वेरीफ़ाइड यूट्यूब चैनल पर 15 जुलाई 2016 को फ्रांस के नीस में हुए इस हमले का वीडियो अपलोड किया था, जिसका शीर्षक है, “फ़्रांस में बैस्टिल दिवस की भीड़ को ट्रक ने कुचल दिया, 84 की मौत।” (हिन्दी अनुवाद)
निष्कर्ष:
DFRAC के इस फ़ैक्ट-चेक से स्पष्ट है कि वायरल वीडियो हाल-फ़िलहाल का नहीं, बल्कि 7 साल पुराना 2016 का है, इसलिए मनोज श्रीवास्तव सहित अन्य सोशल मीडिया यूज़र्स का दावा ग़लत है।