सोशल मीडिया साइट्स पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो में ये देखा और सुना जा सकता है कि पाकिस्तानी इंजीनियर और राजनेता अहसन इक़बाल, जनवरी 2023 में हुए देश भर में इलेक्ट्रीसिटी शटडाउन पर अपनी ही पार्टी की गठबंधन सरकार की आलोचना कर रहे हैं। सोशल मीडिया यूज़र्स उनकी समझदारी भरे शब्दों की तारीफ़ कर रहे हैं।
एक वेरीफ़ाइड यूज़र ने वीडियो को कैप्शन दिया, “एक स्व-घोषित देसी अरस्तू के इस ख़ुलासे से मैं पूरी तरह सहमत हूं। कभी-कभी साल में यह बंदा ग़लती से सझदारी की भी बातें कर देता है।#ElectricityShutDown” (हिन्दी अनुवाद)
इस बीच, कई अन्य सोशल मीडिया यूज़र्स भी ऐसा ही दावा शेयर कर रहे हैं।
फ़ैक्ट चेक:
वायरल वीडियो की हक़ीक़त जानने के लिए DFRAC की टीम ने वीडियो को की-फ्रेम कनवर्ट किया, फिर उन्हें रिवर्स सर्च किया, तो टीम को ऑफ़िशियल पाकिस्तानी यूट्यूब चैनल जियो न्यूज़ पर ऐसा ही एक वीडियो मिला, जिसे 10 जनवरी 2021 को अपलोड किया गया है। इसे कैप्शन दिया गया है, “देश की अर्थव्यस्था डूब रही है, अह़सन इक़बाल” (Mulki Maeeshat Doob Rahi Hai, Ahsan Iqbal)।
अहसन इक़बाल ने आगे कहा- “हालिया बिजली के बदतरीन शट डाउन ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि यह (इमरान) सरकार नालायक़ है, ना अहल (अक्षम) है। और इन (इमरान ख़ान) के पास मुल्क चलाने की कोई सलाहियत (दक्षता) नहीं है। उन्होंने (इमरान खान ने) सोचा कि देश की अर्थव्यवस्था डूब रही है, और नए नए संकट उभर रहे हैं, तो चलिए पाकिस्तान को एक मोबाइल फोन की तरह रिबूट करने की कोशिश करते हैं, शायद यह काम करे! उन्होंने पूरे बिजली सिस्टम को बंद कर दिया और इसे फिर से चालू करने की कोशिश की। इमरान सर ये देश कोई मोबाइल फ़ोन नहीं है, जो रिबूट करने से स्टार्ट हो जाएगा।”
पाकिस्तान को नेशनल बिजली ब्रेकडाउन की तकलीफ़ से गुज़रना पड़ा है, जिसे अधिकारियों ने एक इंजीनियरिंग फॉल्ट को ज़िम्मेदार ठहराया।
इस बीच कई सोशल मीडिया यूज़र्स 2021 में पाकिस्तान में भारी ब्लैकआउट को लेकर ट्वीट कर रहे हैं।
वहीं, DFRAC टीम को पाकिस्तानी ब्लैकआउट के 2 साल पुराने वीडियोज़ भी मिले।
निष्कर्ष:
DFRAC के इस फै़क्ट-चेक और मीडिया रिपोर्ट्स से साफ़ है कि अहसन इक़बाल का पाकिस्तान में इलेकट्रीसिटी ब्रेकडाउन पर अपनी ही सरकार की आलोचनात्मक, वायरल वीडियो दो साल पुराना है, इसका पाकिस्तान में हाल ही में हुई बिजली शटडाउन से कोई लेना-देना नहीं है, इसलिए सोशल मीडिया यूज़र्स का दावा भ्रामक है।