सोशल मीडिया भ्रामक और फेक सूचनाओं का मकड़जाल है। यहां प्रसारित की जाने वाली सूचनाओं की सत्यता और वैधता पर सवाल उठता रहता है। ऐसा इसलिए भी कि कई सूचनाएं भ्रामक, तथ्यहीन और फेक होती हैं। ऐसी सूचनाओं को किसी खास व्यक्ति, संप्रदाय, जाति, राजनीतिक पार्टी, विचारधारा या फिर धर्म के प्रति या तो पक्ष में या फिर उसके खिलाफ प्रोपेगैंडा और झूठ फैलाने के लिए किया जाता है।
सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वायरल वीडियो में देखा जा सकता है कि एक शख्स एक बच्चे को बंदूक चलाने की ट्रेनिंग दे रहा है। सोशल मीडिया यूजर्स दावा कर रहे हैं कि भारत के मदरसों में छात्रों को हथियार चलाने की ट्रेनिंग दी जा रही है।
समर्थक विजय गुप्ता नाम के फेसबुक अकाउंट ने लिखा- “मदरसे में छात्र उच्च शिक्षा प्राप्त करते हुए।”
इस पोस्ट के कमेंट में नफरत साफ देखी जा सकती है। कुछ लोग बिना सच्चाई जाने मस्जिद और मदरसा को बंद करने की बात कर रहे हैं, तो कुछ लोग हिन्दू समुदाय से अपने बच्चों को बंदूक और हथियार चलाने की ट्रेनिंग देने की बात कर रहे हैं।
फैक्ट चेकः
वायरल हो रहे इस दावे की सत्यता की जांच के लिए हमने वीडियो के कुछ फ्रेम्स को रिवर्स सर्च किया। जिसके बाद हमें “अल-जजीरा” की वेबसाइट पर वीडियो का एक लिंक मिला। यह एक डॉक्यूमेंट्री “आईएसआईएल एंड द तालिबान” का वीडियो लिंक है, जिसे 1 नवंबर 2015 को पोस्ट किया गया था। इसमें छोटे बच्चों को हथियारों का प्रशिक्षण देने वाले इस्लामिक स्टेट (ISIS) के बारे में दिखाया गया था।
इस वीडियो को ओपेन करने के बाद 45 मिनट 40 सेकेंड के बाद वायरल हो रहे वीडियो के हिस्से को देखा जा सकता है।
https://www.aljazeera.com/program/featured-documentaries/2015/11/1/isil-and-the-taliban
निष्कर्षः
DFRAC की पड़ताल में सामने आया है कि यह वीडियो भारत का नहीं बल्कि अल-जजीरा की एक डॉक्यूमेंट्री का है, जो अफगानिस्तान में आईएस द्वारा दी गई ट्रेनिंग पर बनाया गया था। इसलिए सोशल मीडिया यूजर्स द्वारा किया जा रहा दावा भ्रामक है।
दावा- मदरसों में दी जाती है बच्चों को हथियार चलाने की ट्रेनिंग
दावाकर्ता- सोशल मीडिया
फैक्ट चेक- भ्रामक